मलयज
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मलयज (जन्म : १५ अगस्त १९३५ , मृत्यु : २६ अप्रैल १९८२) जिनका पूरा नाम भरत जी श्रीवास्तव है, हिंदी के प्रतिष्ठित कवि, लेखक और आलोचक हैं। मलयज का रामचन्द्र शुक्ल की आलोचना दृष्टि को पुनर्व्याख्यायित करने में महत्त्वपूर्ण योगदान है, जिसके कारण हिंदी आलोचना जगत में वे विशेष उल्लेखनीय माने जाते हैं।[1]
अनुक्रम
संक्षिप्त जीवनी[संपादित करें]
प्रमुख रचनाएँ[संपादित करें]
कविता संग्रह[संपादित करें]
- जख़्म पर धूल
- अपने होने को अप्रकाशित करता हुआ
- हँसते हुए मेरा अकेलापन
आलोचना[संपादित करें]
- कविता से साक्षात्कार
- संवाद और एकालाप
- रामचन्द्र शुक्ल
डायरी[संपादित करें]
- मलयज की डायरी[2]- तीन भागों में प्रकाशित (नामवर सिंह द्वारा संपादित)
पत्र[संपादित करें]
- रंग अभी गीले हैं (रमेशचन्द्र शाह के नाम मलयज के पत्र)
सन्दर्भ[संपादित करें]
- ↑ मलयज की संघर्ष मीमांसा नामवर सिंह की पुस्तक वाद विवाद संवाद से
- ↑ मलयज की डायरी
बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]
- कविता कोश पर मलयज
- रंग अभी गीले हैं: मलयज प्रतिलिपि पत्रिका पर मलयज के पत्र।