भीण्डर

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भीण्डर
Bhinder
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भीण्डर is located in राजस्थान
भीण्डर
भीण्डर
राजस्थान में स्थिति
निर्देशांक: 24°30′11″N 74°11′17″E / 24.503°N 74.188°E / 24.503; 74.188निर्देशांक: 24°30′11″N 74°11′17″E / 24.503°N 74.188°E / 24.503; 74.188
देश भारत
प्रान्तराजस्थान
ज़िलाउदयपुर ज़िला
ऊँचाई469 मी (1,539 फीट)
जनसंख्या (2011)
 • कुल17,878
भाषा
 • प्रचलितहिन्दी, मेवाड़ी
समय मण्डलभामस (यूटीसी+5:30)

भीण्डर (Bhinder) भारत के राजस्थान राज्य के उदयपुर ज़िले में स्थित एक नगर है। यह उदयपुर से 60 किलोमीटर दूर स्थित है।[1][2]

महाराज रणधीर सिंह भीण्डर[संपादित करें]

राजस्थान के प्रसिद्ध सामाजिक-राजनीतिक नेतृत्वकारी व्यक्तित्व और जनता सेना के संस्थापक महाराज रणधीर सिंह भींडर ने भींडर के राजमहल में जन्म लिया। रणधीर सिंह भींडर भारत के गौरव महाराणा प्रताप के भाई शक्ति सिंह के वंशज है। उन्होंने अपनी वंश परंपरा के अनुसार बचपन से ही विधार्थी जीवन से सामाजिक समर्पण और जन सरोकार रखा जिसके कारण के विद्यार्थियों के एक बहुत अच्छे नेता के रूप में जाने जाते थे। उन्होंने अपने जीवन के शुरुआत के समय और युवा अवस्था से ही सामाजिक विकासकर्ता के रूप में सार्वजनिक जीवन शुरू किया। उनका जीवन जनहित के मुद्दों पर और जनता की समस्याओं के समाधान के साथ जुड़ा होने के कारण उनके समर्थकों के आग्रह पर वे समाज में सकारात्मक सामाजिक परिवर्तन के लिए एक लोकप्रिय जननेता और सफल नेतृत्वकारी व्यक्तित्व के रूप में राजनीतिक व्यवस्था में शामिल हुए। उनके व्यक्तित्व और जन हितार्थ कार्यशैली के कारण उन्होंने राजस्थान, भारत में एक सफल लोकप्रिय राजनीतिक व्यक्तित्व की छवि प्राप्त की है।

महाराज रणधीर सिंह भींडर का जन्म मेवाड़, राजस्थान के उदयपुर जिले में भींडर के राजमहल में महाराज साहेब भैरव सिंह जी और राणीसा आनंद कंवर जी से हुआ था। यह सर्व विदित है कि उनके पूर्वज महान नायक और देशभक्त महाराणा प्रताप सिंह की बहादुरी के कारण मुगल शासन में एकमात्र स्वतंत्र राज्य के लिए मेवाड़ अच्छी तरह से जाने जाता रहा है। महाराज रणधीर सिंह भींडर के पूर्वजों ने मेवाड़ की रक्षा और विकास के लिए महाराणा प्रताप के सिद्धांतों का पालन व निर्वाह करते हुए बहुत अच्छी भूमिका निभाई। मेवाड़ वह रियासत रहा जहां राजपूत और भील योद्धा आक्रमणकारियों के खिलाफ लड़े थे और उन्होंने राष्ट्र की विरासत और गौरव को कायम रखा था। मेवाड़ में महाराणा प्रताप के समय से ही भील और अन्य सामान्यजन की बराबर स्थिति रही है।

जीवन के प्रारंभिक चरण में एक सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में महाराज रणधीर सिंह भींडर ने अपने पूर्वजों की जीवन शैली पर आधारित जन कल्याण और जनहित के लिए समर्पित भूमिका निभाई। रणधीर सिंह को आनुवांशिकता के तौर पर "त्याग, तपस्या और बलिदान" के समृद्ध सांस्कृतिक-नैतिक मूल्य और संस्कार विरासत में मिले है। उन्होंने उदयपुर के सेंट पॉल सीनियर सेकेंडरी स्कूल में अध्ययन किया। इसके पश्चात उन्होंने कृषि विज्ञान (बीएससी) में स्नातक की उपाधि प्राप्त की और कृषि विस्तार (एमएससी) में स्नातक की उपाधि प्राप्त की।

वे सामाजिक सेवा कार्य के दौरान भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) नेतृत्व के आग्रह पर तत्कालीन दिवंगत भूतपूर्व मुख्यमंत्री भैरों सिंह जी शेखावत के समय राजनीति में शामिल हुए। अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद वे राजनीति में शामिल हुए। इस दौरान किसानों के हित और कल्याण के लिए कार्य करते हुए वे एक किसान नेता बन गए। एक लोकप्रिय परिवर्तनकारी जननेता के साथ ही वे आज भी एक अच्छी तरह से पहचाने जाने वाले किसान नेता हैं। समाज और क्षेत्र में सामाजिक परिवर्तन के कार्य के साथ वे क्षत्रीय महासाभा में शामिल हुए और वे अभी भी सामाजिक सुधारऔर कल्याणकारी संगठन के अध्यक्ष रहे हैं ।किसानों और स्थानीय लोगों के लिए सकारात्मक स्थायी परिवर्तन और सामाजिक विकास कार्य करने के लिए वह सामाजिक कार्यों के साथ राजनीतिक क्षेत्र में शामिल हुए। भींडर क्षेत्र में किसानों और जनता ने उनके साथ जुड़कर सामाजिक-राजनीतिक कार्यक्रमों को गहराई से समर्थन दिया। राजनीतिक जीवन में उनकी एक सकारात्मक परिवर्तनकारी नेतृत्व वाले व्यक्तित्व की भूमिका और सक्रिय सामाजिक भागीदारी के कारण वह भींडर और मेवाड़ ही नहीं राजस्थान के एक बड़े जननेता के तौर पर अच्छी तरह से पहचाने जाते हैं। उनके सामाजिक जीवन में सही दिशा में आगे बढ़ने से और महाराणा प्रताप के एक वंशज के तौर पर जनविकास में निरंतर जुड़े रहते हुए वे क्षेत्र के विकास की जरुरत के रूप में एक आवश्यक नेतृत्वकारी और परिवर्तनकारी के तौर पर माने जाने लगे।

सामाजिक और राजनीतिक क्षेत्र में उनकी उपलब्धियों और सक्रिय सामाजिक भूमिका को देखते हुए जनता ने उन्हें उम्मीदवार के रूप में चुना जिस पर उन्होंने 1993 और 1998 में विधायक के लिए मैदान में उतरकर चुनाव लड़ा। उन्होंने चुनाव में क्षेत्र के विकास के मुद्दे उठाए और बाद में जनता के साथ संघर्ष करके कई ऐसे मुद्दों को लागू करवाया जो उनके जनसंघर्ष के परिणामस्वरुप क्षेत्र के विकास के लिए संभव हो पाए। उनकी लोकप्रियता और विकास में सक्रीय भूमिका के कारण क्षेत्र की जनता के आग्रह पर वे फिर से मैदान में उतरे और उन्होंने वर्ष 2003 में चुनाव जीता। उन्होंने यह चुनाव राजस्थान के पूर्व गृह मंत्री के खिलाफ लड़कर जीता और विधायक चुने गए। उन्होंने उस चुनाव में भारी मात्र में व्यापक जन समर्थन के कारण काफी वोट हासिल किए, इससे उनको अच्छा अनुभव भी मिला। एक विधायक के रूप में उन्होंने बहुत सारी उपलब्धियां हासिल की और उन्होंने जनता व क्षेत्र के विकास के लिए कई अतिरिक्त लक्ष्य अर्जित किए। उन्होंने भींडर क्षेत्र को बहुत अधिक विकसित किया और रिकॉर्ड योग्य लक्ष्य हासिल किए, जिन्हें कोई अन्य राजनीतिक नेता इस तरह सार्थक अंजाम नहीं दे सकता है।

उन्होंने इसके पश्चात् भी एक चुनाव लड़ा लेकिन कुछ राजनीतिक कारणों से आवश्यक लक्ष्य हासिल नहीं हुआ लेकिन उन्होंने इस चुनाव में भी फिर से बहुत अधिक वोट प्राप्त किए। उन्होंने जनता के साथ मिलकर और अपने सामाजिक विकास के लिए काम करना जारी रखा। जिन कुछ राजनितिक कारणों से वोटों का पिछले चुनाव में थोड़ा अंतर रहा, उनके समर्थकों और क्षेत्र की जनता ने उनसे राजनीतिक कारणों से अलग रहकर क्षेत्र को सर्वांगीण विकास की धारा से वापस जोड़ने के लिए निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ने का आग्रह किया। समर्थकों और जनता के व्यापक समर्थन पर उन्होंने निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ा और भारी मतों से भींडर विधान सभा से विजयी होकर 2013 में फिर विधायक चुने गए। 2013 से विधायक रहते हुए उन्होंने कई जबरदस्त विकास के कार्य करवाए। इनमें दो सबसे उल्लेखनीय कार्य कानोड़, भींडर और कुराबड को तहसील बनाने के हुए है जिसकी जनता की वर्षों से मांग व जरुरत थी। उन्होंने अमरपुरा में खेल गाँव व लूणदा में आदिवासी बालिका छात्रावास खुलवाए।

समय की जरुरत को देखते हुए उनसे भावनात्मक, राजनितिक और सामाजिक रूप से जुड़े लाखों अनुयाइयों और मेवाड़-राजस्थान की जनता के आग्रह पर जनता सेना का गठन किया गया जो काफी समय से परिवर्तनकारी जन सेना के रूप में निरंतर विकास और जन संघर्ष के मार्ग में अग्रणी है और क्षेत्र-प्रदेश-देश में प्रगति का मार्ग प्रशस्त करने के लिए आगे बढ़ रही है।

सामाजिक और राजनीतिक क्षेत्र में उनकी सक्रिय भूमिका के कारण उनकी भींडर क्षेत्र, मेवाड़ में, राज्य स्तर पर राजस्थान में और राष्ट्रीय स्तर पर देश में एक बहुत अच्छे जननेता के रूप में पहचान बनी है। वह लगातार लोगों और विकास के अधिकारों के लिए संघर्ष का नेतृत्व करते रहे हैं और एक अच्छे बड़े सामाजिक व राजनीतिक नेता के रूप में काम कर रहे है। राजनीति में एक व्यापक परिवर्तन को देखते हुए आपके नेतृत्व में जनता सेना का गठन किया गया है जो आपके दृष्टिकोण के अनुसार समाज और राष्ट्र में सकारात्मक परिवर्तन लाने के लिए समर्पित हैं। उनका और जनता सेना की सक्रीय टीम का उद्देश्य समाज और कार्यक्षेत्र को जरुरत के अनुसार बदलते हुए विकास की सही दिशा में आगे ले जाना है। भींडर क्षेत्र की जनता ने वर्तमान और पिछले कार्यकाल के दौरान हुए व्यापक परिवर्तन और विकास को और आगे बढ़ाने के लिए महाराज रणधीर सिंह भींडर जनता सेना के साथ हमेशा जन सेवा के लिए कार्यरत रहते है।

इन्हें भी देखें[संपादित करें]

बाहरी जोड़[संपादित करें]

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. "Lonely Planet Rajasthan, Delhi & Agra," Michael Benanav, Abigail Blasi, Lindsay Brown, Lonely Planet, 2017, ISBN 9781787012332
  2. "Berlitz Pocket Guide Rajasthan," Insight Guides, Apa Publications (UK) Limited, 2019, ISBN 9781785731990