भारत एक खोज
भारत एक खोज | |
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विधा | ऐतिहासिक |
सर्जनकर्ता | श्याम बेनेगल |
अभिनय | रोशन सेठ Om Puri टॉम अल्टर सदाशिव अम्रापुरकर |
मूल देश | भारत |
चरणों की संख्या | 1 |
अंक संख्या | 53 |
निर्माण | |
एग्ज़ेक्यूटिवनिर्माता | राज प्लस |
निर्माताकंपनी | दूरदर्शन सह्याद्री फ़िल्म्स |
प्रसारण | |
मूल चैनल | दूरदर्शन |
मूल प्रसारण | 1988 |
इस नाम की पुस्तक के लेखक थे - पंडित जवाहरलाल नेहरू। (अंग्रेजी में इस किताब का नाम, "डिस्कवरी ऑफ इण्डिया" हैं।) इस किताब पर आधारित निर्देशक श्याम बेनेगल ने दूरदर्शन पर धारावाहिक बनाया था।
बोल[संपादित करें]
श्याम बेनेगल के धारावाहिक के प्रसिद्ध शीर्षक गीत के निम्न बोल हैं।
नासदासीन नो सदासीत तदानीं नासीद रजो नो वयोमापरो यत |
किमावरीवः कुह कस्य शर्मन्नम्भः किमासीद गहनं गभीरम ||
सृष्टि से पहले सत नहीं था
असत भी नहीं
अंतरिक्ष भी नहीं
आकाश भी नहीं था
छिपा था क्या, कहाँ
किसने ढका था
उस पल तो
अगम अतल जल भी कहां था
सृष्टि का कौन है कर्ता?
कर्ता है या है विकर्ता?
ऊँचे आकाश में रहता
सदा अध्यक्ष बना रहता
वही सचमुच में जानता
या नहीं भी जानता
है किसी को नही पता
नही पता
नही है पता
नही है पता
वो था हिरण्य गर्भ सृष्टि से पहले विद्यमान
वही तो सारे भूत जाति का स्वामी महान
जो है अस्तित्वमान धरती आसमान धारण कर
ऐसे किस देवता की उपासना करें हम हवि देकर
जिस के बल पर तेजोमय है अंबर
पृथ्वी हरी भरी स्थापित स्थिर
स्वर्ग और सूरज भी स्थिर
ऐसे किस देवता की उपासना करें हम हवि देकर
गर्भ में अपने अग्नि धारण कर पैदा कर
व्यापा था जल इधर उधर नीचे ऊपर
जगा चुके व एकमेव प्राण बनकर
ऐसे किस देवता की उपासना करें हम हवि देकर
ऊँ! सृष्टि निर्माता, स्वर्ग रचयिता पूर्वज रक्षा कर
सत्य धर्म पालक अतुल जल नियामक रक्षा कर
फैली हैं दिशायें बाहु जैसी उसकी सब में सब पर
ऐसे ही देवता की उपासना करें हम हवि देकर
ऐसे ही देवता की उपासना करें हम हवि देकर
इन्टरनेटपर कईं जगहों पे गलतियां[संपादित करें]
यहां ऊपर जो शब्द दिये गये हैं "जगा चुके व एकमेव प्राण बनकर" वहीं शब्द कईं सारी वेबसाईट्स पर हैं। कईं जगहों पर "जगा चुके व का एकमेव प्राण बनकर" ऐसे भी शब्द दिखाई देते हैं।
यह दोनो पंक्तियां / शब्दरचनाएं गलत हैं।
यहीं पंक्ती कईं जगहों पे इंग्लिश में Jagaa chuke vo ka ekameva pran bankar ऐसे दी गई है।
इन पंक्तियों का कोई भी मतलब नहीं बनता।
सही पंक्ती है "जगा जो देवों का एकमेव प्राण बनकर"।
अगर अच्छे क्वालिटी के हेडफोन लगा कर कोई सुने तो ये बिल्कुल ठीक तरह सुनाई देता है।
http://www.youtube.com/watch?v=0GeUkRIOXaM
३:०९ पे यह श्लोक शुरू होता है।
मूल श्लोक ऋग्वेद के मंडल १०, सूक्त १२१-७ का ऐसा है -
आपो॑ ह॒ यद्बृ॑ह॒तीर्विश्वं॒ आय॒न् गर्भं॒ दधा॑ना ज॒नय॑न्तीर॒ग्निम्। ततो॑ दे॒वानां॒ सं अ॑वर्त॒तासु॒रेकः॒ कस्मै॑ दे॒वाय॑ ह॒विषा॑ विधेम ॥ ७ ॥
याने -
आपः ह यत् बृहतीः विश्वं आयन् गर्भं दधानाः जनयन्तीः अग्न् इं ततः देवानां सं अवर्तत असुः एकः कस्मै देवाय हविषा विधेम ॥ ७ ॥
"देवों का प्राण, देवों के निर्माण का मूल, ईश्वर जाग गया" इस अर्थ से इंटरनेटपर बहुत जगहों पे मिलनेवाले इस पंक्ती का "जगा चुके व (का) एकमेव प्राण बनकर" कोई मतलब नहीं बनता।
"जगा जो देवों का एकमेव प्राण बनकर" यह सही है।
ऐपिसोड[संपादित करें]
- भारत माता की जय
- शुरुआत
- वेदिक लोगों का आगमन
- जातियों का बनना
- महाभारत भाग १
- महाभारत भाग २
- रामायण भाग १
- रामायण भाग २
- वंश और राजघराने
- जिवन का मुल्य
- चानक्य और चंद्रगुप्त भाग १
- चानक्य और चंद्रगुप्त भाग २
- अशोक भाग १
- अशोक भाग २
- संगम काल: सिलापदिराक्रम भाग १
- संगम काल: सिलापदिराक्रम भाग १
- मध्य युग
- कालिदास और शाकुंतला भाग १
- कालिदास और शाकुंतला भाग २
- हर्षवर्धन
- भक्ती
- चोल वंश भाग १
- चोल वंश भाग २
- दिल्ली की सुल्तानियत और पृथ्विराज रासो भाग १
- दिल्ली की सुल्तानियत और पृथ्विराज रासो भाग २
- दिल्ली की सुल्तानियत और पद्मावत।
- संश्लेषण
- विजयनगर वंश
- सामंतवाद
- विजयनगर वश का पतन
- राना सांगा, इब्राहिम लोदी और बाबर
- अकबर भाग १ (दीन-ए-इलाही)
- अकबर भाग २
- स्वर्णिय भारत
- औरंगज़ेब भाग १
- औरंगज़ेब भाग २
- शिवाजी भाग १
- शिवाजी भाग २
- कंपनी बहादुर
- टिपू सुल्तान
- बंगाल का पुनःजागरण और राजा राम मोहन रॉय
- १८५७ भाग १
- १८५७ भाग २
- इंडिगो विद्रोह
- महात्मा फ़ुले
- सर सयैद अहमद ख़ान
- विवेकानंद
- उग्रवादी और नरमपंथी
- गांधी का आगमन भाग १
- गांधी का आगमन भाग २
- पृथकतावाद
- करो या मरो
- सारांश