भारतीय गिद्ध
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भारतीय गिद्ध | |
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भारतीय गिद्ध | |
वैज्ञानिक वर्गीकरण | |
जगत: | जंतु |
संघ: | रज्जुकी |
वर्ग: | पक्षी |
गण: | फ़ैल्कनीफ़ॉर्मीस (या ऐक्सिपिट्रिफ़ॉर्मीस, देखें) |
कुल: | ऐक्सिपिट्रिडी |
वंश: | जिप्स |
जाति: | जी. इन्डिकस |
द्विपद नाम | |
जिप्स इन्डिकस (स्कोपॉलि, १७८६) | |
भारतीय गिद्ध का क्षेत्र बैंगनी रंग से दर्शित | |
पर्यायवाची | |
जिप्स इन्डिकस इन्डिकस |
भारतीय गिद्ध (Gyps indicus) पुरानी दुनिया का गिद्ध है जो नई दुनिया के गिद्धों से अपनी सूंघने की शक्ति में भिन्न हैं। यह मध्य और पश्चिमी से लेकर दक्षिणी भारत तक पाया जाता है। प्रायः यह जाति खड़ी चट्टानों के श्रंग में अपना घोंसला बनाती है, परन्तु राजस्थान में यह अपना घोंसला पेड़ों पर बनाते हुये भी पाये गये हैं। अन्य गिद्धों की भांति यह भी अपमार्जक या मुर्दाख़ोर होता है और यह ऊँची उड़ान भरकर इंसानी आबादी के नज़दीक या जंगलों में मुर्दा पशु को ढूंढ लेते हैं और उनका आहार करते हैं। इनके चक्षु बहुत तीक्ष्ण होते हैं और काफ़ी ऊँचाई से यह अपना आहार ढूंढ लेते हैं। यह प्रायः समूह में रहते हैं। भारतीय गिद्ध का सर गंजा होता है, उसके पंख बहुत चौड़े होते हैं तथा पूँछ के पर छोटे होते हैं। इसका वज़न ५.५ से ६.३ कि. होता है। इसकी लंबाई ८०-१०३ से. मी. तथा पंख खोलने में १.९६ से २.३८ मी. की चौड़ाई होती है।[2][3]
पतन
[संपादित करें]यह जाति आज से कुछ साल पहले अपने पूरे क्षेत्र में प्रचुर मात्रा में पायी जाती थी। १९९० के दशक में इस जाति का ९७% से ९९% पतन हो गया है। इसका मूलतः कारण पशु दवाई डाइक्लोफिनॅक (diclofenac) है जो कि पशुओं के जोड़ों के दर्द को मिटाने में मदद करती है। जब यह दवाई खाया हुआ पशु मर जाता है और उसको मरने से थोड़ा पहले यह दवाई दी गई होती है और उसको भारतीय गिद्ध खाता है तो उसके गुर्दे बंद हो जाते हैं और वह मर जाता है। अब नई दवाई मॅलॉक्सिकॅम meloxicam आ गई है और यह हमारे गिद्धों के लिये हानिकारक भी नहीं हैं। जब इस दवाई का उत्पादन बढ़ जायेगा तो सारे पशु-पालक इसका इस्तेमाल करेंगे और शायद हमारे गिद्ध बच जायें।
संरक्षण
[संपादित करें]आज भारतीय गिद्धों का प्रजनन बंदी हालत में किया जा रहा है। इसका कारण यह है कि खुले में यह विलुप्ति की कगार में पहुँच गये हैं। radiation शायद इनकी संख्या बढ़ जाये। गिद्ध दीर्घायु होते हैं लेकिन प्रजनन में बहुत समय लगाते हैं। गिद्ध प्रजनन में ५ वर्ष की अवस्था में आते हैं। एक बार में एक से दो अण्डे पैदा करते हैं लेकिन अगर समय खराब हो तो एक ही चूजे को खिलाते हैं। यदि परभक्षी इनके अण्डे खा जाते हैं तो यह अगले साल तक प्रजनन नहीं करते हैं। यही कारण है कि भारतीय गिद्ध अभी भी अपनी आबादी बढ़ा नहीं पा रहा है। लेकिन कुछ स्थानों से गिद्धों की संख्या बढ़ने के समाचार आ रहे हैं।[4]
इन्हें भी देखें
[संपादित करें]बाहरी कड़ियाँ
[संपादित करें]- Drugs firms told to do more to prevent vulture extinctions
- Vulture videos on the Internet Bird Collection
- Ventana Wildlife Society
- Vulture observatory in Spain
सन्दर्भ
[संपादित करें]- ↑ IUCN redlist.
- ↑ "The Peregrine Fund". The Peregrine Fund. 2010-11-03. मूल से 26 मई 2011 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2011-05-31.
- ↑ Raptors of the World by Ferguson-Lees, Christie, Franklin, Mead & Burton. Houghton Mifflin (2001), ISBN 0-618-12762-3
- ↑ "विलुप्त होते गिद्धों के सम्बन्ध में सुसमाचार". मूल से 20 फ़रवरी 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 20 फ़रवरी 2018.