ब्राहुई भाषा
ब्राहुई | |
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براوی Bráhuí | |
बोलने का स्थान | बलोचिस्तान |
तिथि / काल | 1998 |
मातृभाषी वक्ता | 22 लाख |
भाषा परिवार |
द्रविड़
|
लिपि | अरबी-फ़ारसी, रोमन |
भाषा कोड | |
आइएसओ 639-3 | brh |
द्राविड़ भाषाएँ ब्राहुई (सुदूर ऊपर बाएँ) अन्य द्राविड़ भाषाओं से भौगोलिक रूप से काफ़ी विलग है।[1] | |
द्राविड़ भाषाएँ ब्राहुई (सुदूर ऊपर बाएँ) अन्य द्राविड़ भाषाओं से भौगोलिक रूप से काफ़ी विलग है।[1] |
ब्राहुई (Urdu: براہوی) या ब्राहवी (براوی) एक द्रविड़ भाषा है। यह भाषा पाकिस्तान और अफ़ग़ानिस्तान के ब्राहुई लोगों द्वारा तथा क़तर, संयुक्त अरब अमीरात, इराक़ व ईरान के आप्रवासी समुदायों द्वारा बोली जाती है। यह अपनी निकटतम द्राविड़-भाषी जनसंख्या से १५०० किमी से भी अधिक की दूरी से विलग है।[1]
क्षेत्रीय व सामुदायिक विस्तार
[संपादित करें]ब्राहुई पाकिस्तान के दक्षिण-पश्चिम में तथा पाकिस्तान से लगे हुए अफ़ग़ानिस्तान व इरान के क्षेत्रों में बोली जाती है। हालाँकि इनके नृवंश (सांस्कृतिक-समूह) के कई सदस्य अब ब्राहुई नहीं बोलते हैं।[1] ऍथ्नोलॉग के २००५ संस्करण के अनुसार इस भाषा के करीबन २२ लाख मातृभाषी हैं, जिनमें से ९०% पाकिस्तान में रहते हैं (मुख्यतया बलोचिस्तान क्षेत्र में)।[2]
बलोचिस्तान के ब्राहुई-भाषी ज़िले
[संपादित करें]ब्राहुई बोलने वाले पाकिस्तान के बलोचिस्तान प्रान्त के आवारान, पंजगूर, चाग़ई, ख़ारान, ख़ुज़दार, क़लात, क्वेटा, मसतूंग, नूश्की और बोलान ज़िलों में रहते हैं।
समुदाय
[संपादित करें]बलोचिस्तान के यह क़बीले ब्राहुई बोलते हैं: आहमदज़ई, राईसानी, बिज़न्जो, ज़ीरी, करद, मैंगल, रख़सानी, शाहवानी, धवार, कबरानी, नौशेरवानी, बंगलज़ई, लहड़ी, लांगो, नीचारी, मुहम्मदशाही, मुहम्मद हसणी, सैयद, समालानी, जतक, मीरवाड़ी, कलंदरानी, गरगनाड़ी, परकानी, सरपरा, रोदीनी और रिकी।
अनूठापन
[संपादित करें]कहा जाता है कि हर नये सीखने वाले के लिए यह भाषा मुश्किल साबित होती है। ब्रिटिश काल में अंग्रेज़ों ने भारतीय उपमहाद्वीप की लगभग सारी भाषाओं का कमोबेश ज्ञान प्राप्त किया परन्तु ब्राहुई के बारे में जब किसी अंग्रेज़ से पूछा गया तो उसने टीन के डिब्बे में कंकरियाँ डालकर हिलाना शुरू कर दिया और उससे जो आवाज़ निकली तो कहा कि ब्राहुई ज़बान की मिसाल ऐसी है।
लेखनप्रणाली
[संपादित करें]ब्राहुई अकेली ऐसी द्राविड़ भाषा है जो ब्राह्मी-आधारित लिपि में नहीं लिखी जाती है, बल्कि अरबी-फ़ारसी लिपि में लिखी जाती है। हाल में एक रोमन-आधारित लेखन प्रणाली, ब्रोलिक्वा नाम से (ब्राह्मी रोमन लिक्वार का संक्षेपण) भी विकसित की गयी है, जिसका विकास ब्राह्मी भाषा बोर्ड, बलोचिस्तान विश्वविद्यालय (क्वेटा) ने किया है।
रोमन लिपि
[संपादित करें]ब्राहुई लिखने के लिये जो रोमन लिपि को बदलकर वर्णमाला तैयार की गई है उसके अक्षर इस प्रकार हैं:[3]
b | á | p | í | s | y | ş | v | x | e | z | ź | ģ | f | ú | m | n | l | g | c | t | ŧ | r | ŕ | d | o | ð | h | j | k | a | i | u | ń | ļ |
संकटग्रस्तता
[संपादित करें]2009 की यूनेस्को रिपोर्ट के अनुसार, ब्राहुई, पाकिस्तान की उन 27 भाषाओं में से है जो विलुप्ति के खतरे का सामना कर रही हैं। वहाँ इसे असुरक्षित स्तर पर वर्गीकृत किया गया है, जो कि संकटग्रस्तता के स्तरों में से सबसे कम संकटग्रस्तता का है (असुरक्षित, निश्चिततया संकटग्रस्त, बुरी तरह संकटग्रस्त, क्रान्तिकतया संकटग्रस्त, तथा विलुप्त).[4]
प्रकाशन
[संपादित करें]हाल ही में हफ़्तई तलार ब्राहुई में प्रकाशित होने वाला पहला दैनिक समाचारपत्र बन गया है। यह नई रोमन लेखनप्रणाली प्रयोग करता है। यह ब्राहुई भाषा को मानकीकृत करने तथा उसे विकसित करके आधुनिक राजनीतिक, सामाजिक तथा वैज्ञानिक विमर्शों की ज़रूरतों के योग्य बनाने की दिशा में एक प्रयास है।[5]
टिप्पणियाँ
[संपादित करें]- ↑ अ आ इ Parkin 1989, पृष्ठ 37
- ↑ Lewis 2009
- ↑ "संग्रहीत प्रति". मूल से 7 जून 2012 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2 फ़रवरी 2012.
- ↑ Moseley 2009
- ↑ Haftaí Talár, Talár Publications, मूल से 24 जून 2013 को पुरालेखित, अभिगमन तिथि 2010-06-29
सन्दर्भ
[संपादित करें]- Online Brahui Dictionary. Brahui Dictionary
- Emeneau, Murray B. (1962), "Bilingualism and structural borrowing", Proceedings of the American Philosophical Society, 106 (5): 430–442, JSTOR 985488
- Elfenbein, J. H. (1987), "A Periplus of the 'Brahui Problem'", Studia Iranica, 16 (2): 215–233, डीओआइ:10.2143/SI.16.2.2014604
- Parkin, Robert (1989), "Some comments on Brahui kinship terminology", Indo-Iranian Journal, 32 (1): 37–43, डीओआइ:10.1007/BF00182435
- Sergent, Bernard (1997), Genèse de l'Inde, Bibliothèque scientifique Payot, OCLC 38198091, आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 9782228891165
- Witzel, Michael (1998), "The Languages of Harappa", प्रकाशित Kenoyer, Jonathan Mark (संपा॰), Proceedings of the Conference on the Indus Civilisation (PDF), Madison, Wisconsin, मूल (PDF) से 31 जनवरी 2012 को पुरालेखित, अभिगमन तिथि 2 फ़रवरी 2012 नामालूम प्राचल
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की उपेक्षा की गयी (मदद) - Bashir, Elena (2003), "Brahui - Notes", South Asian Language Resource Center Workshop on Languages of Afghanistan and neighboring areas (PDF), मूल (PDF) से 13 अक्तूबर 2008 को पुरालेखित, अभिगमन तिथि 2010-06-29 नामालूम प्राचल
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की उपेक्षा की गयी (मदद) - Lewis, M. Paul, संपा॰ (2009), "Report for language code: brh", Ethnologue: Languages of the World (16th संस्करण), Dallas, Texas: SIL International, मूल से 2 फ़रवरी 2012 को पुरालेखित, अभिगमन तिथि 2010-06-23
- Moseley, Christopher, संपा॰ (2009), Interactive Atlas of the World's Languages in Danger, UNESCO, OCLC 435877932, मूल से 28 जून 2009 को पुरालेखित, अभिगमन तिथि 2 फ़रवरी 2012