बेनज़ीर भुट्टो
बेनज़ीर भुट्टो بینظیر بھٹو | |
---|---|
![]() | |
पद बहाल 19 अक्टूबर 1993 – 5 नवम्बर 1996 | |
पूर्वा धिकारी | मुहम्मद ज़िया-उल-हक़ |
उत्तरा धिकारी | गुलाम मुस्तफा जतोई |
पद बहाल 2 दिसम्बर 1988 – 6 अगस्त 1990 | |
पूर्वा धिकारी | मोइन कुरेशी |
उत्तरा धिकारी | मिराज खालिद |
जन्म | 21 जून 1953 कराची, पाकिस्तान |
मृत्यु | 27 दिसम्बर 2007 रावलपिंडी, पाकिस्तान | (उम्र 54 वर्ष)
राष्ट्रीयता | पाकिस्तानी |
राजनीतिक दल | पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी |
जीवन संगी | आसिफ अली जरदारी (वि॰ 1987) |
संबंध | भुट्टो परिवार जरदारी परिवार |
बच्चे | |
शैक्षिक सम्बद्धता | रैडक्लिफ़ कॉलेज लेडी मार्गरेट हॉल, ऑक्सफोर्ड सेंट कैथरीन कॉलेज, ऑक्सफोर्ड |
धर्म | इस्लाम धर्म |
हस्ताक्षर | ![]() |
बेनज़ीर भुट्टो (उर्दू: بینظیر بھٹو; जन्म 21 जून 1953, कराची - मृत्यु 27 दिसम्बर 2007, रावलपिंडी) पाकिस्तान की १२वीं (1988 में) व १६वीं (1993 में) प्रधानमंत्री थीं। रावलपिंडी में एक राजनैतिक रैली के बाद आत्मघाती बम और गोलीबारी से दोहरा अक्रमण कर, उनकी हत्या कर दी गई।[1] पूरब की बेटी के नाम से जानी जाने वाली बेनज़ीर किसी भी मुसलिम देश की पहली महिला प्रधानमंत्री तथा दो बार चुनी जाने वाली पाकिस्तान की पहली प्रधानमंत्री थीं। वे पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी की प्रतिनिधि तथा मुसलिम धर्म की शिया शाखा की अनुयायी थीं।
जीवन परिचय
[संपादित करें]बेनज़ीर भुट्टो का जन्म पाकिस्तान के धनी ज़मींदार परिवार में हुआ।[2] वे पाकिस्तान के भूतपूर्व प्रधानमंत्री ज़ुल्फिकार अली भुट्टो, जो सिंध प्रांत के पाकिस्तानी थे तथा बेगम नुसरत भुट्टो, जो मूल रूप से ईरान और कुर्द देश से संबंधित पाकिस्तानी थीं, की पहली संतान थीं। उनके बाबा सर शाह नवाज़ भुट्टो अविभाजित भारत के सिंध प्रांत स्थित लरकाना ज़िले में भुट्टोकलाँ गाँव के निवासी थे। यह स्थान अब भारत के हरियाणा प्रांत में है। 18 दिसम्बर 1987 में उनका विवाह आसिफ़ अली ज़रदारी के साथ हुआ। आसिफ़ अली ज़रदारी सिंध के एक प्रसिद्ध नवाब, शाह परिवार के बेटे और सफल व्यापारी थे। बेनज़ीर भुट्टो के तीन बच्चे हैं। पहला बेटा बिलावल और दो बेटियाँ बख़्तावर और और असीफ़ा।
शिक्षा
[संपादित करें]उनकी प्रारंभिक शिक्षा कराची के लेडी जेनिंग नर्सरी स्कूल तथा कॉन्वेंट जीजस एंड मेरी में हुई।[3] 15 वर्ष की आयु में उन्होंने कराची ग्रामर स्कूल से 'ओ' लेवेल की परीक्षा उत्तीर्ण की।.[4] सोलह साल की उम्र में वो अमरीका गईं, जहाँ 1969 से 1973 तक वे रैडक्लिफ़ कॉलेज में पढ़ाई की तथा उसके बाद हार्वर्ड विश्वविद्यालय से कला-स्नातक की परीक्षा उत्तीर्ण की।[5] बाद में उन्होंने इंगलैंड के ऑक्सफॉर्ड विश्वविद्यालय से भी अंतर्राष्ट्रीय कानून, दर्शन और राजनीति विषय का अध्ययन किया।.[6] ऑक्सफ़ोर्ड में अध्ययन के दौरान वे ऑक्सफ़ोर्ड यूनियन की अध्यक्ष चुनी जाने वाली वे पहली एशियाई महिला थीं।[2]
वापस स्वदेश की ओर
[संपादित करें]पढ़ाई पूरी करने के बाद वे 1977 में पाकिस्तान वापस पहुँचीं, लेकिन घर वापस आने के कुछ ही दिनों के अंदर उनके पिता और पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री ज़ुल्फिकार अली भुट्टो का तख़्तापलट हो गया। वे चुनाव जीत कर सत्ता में आए थे, लेकिन उनके विरोधियों का आरोप था कि चुनाव में धांधली हुई है। भुट्टो के चुनाव के विरोध में पाकिस्तान की सड़कों पर प्रदर्शन हुए। इसी बीच सेना प्रमुख जनरल ज़िया उल हक ने भुट्टो को बंदी बना लिया और शासन की बागडोर अपने हाथ में ले ली। भुट्टो पर आरोप लगा कि उन्होंने अपने सहयोगियों की हत्या करवाई है। 4 अप्रैल 1979 में भुट्टो को फांसी दे दी गई। भुट्टो को फांसी देने के बाद सैनिक सरकार द्वारा बेनज़ीर को हिरासत में ले लिया गया। 1977 से 1984 के बीच बेनज़ीर अनेक बार रिहा हुई और अनेक बार कैद हुईं। 1984 में तीन साल की क़ैद के बाद उन्हें पाकिस्तान से बाहर जाने की अनुमति दी गई। उस समय वे लंदन जाकर रहीं। इसी समय 1985 में पेरिस में उनके भाई शाहनवाज़ भुट्टो की मौत संदिग्ध हालात में हो गई। अपने भाई की अंतिम क्रिया के लिए बेनज़ीर पाकिस्तान पहुँचीं, जहाँ सैनिक सरकार के विरोध में चल रहे प्रदर्शनों का नेतृत्त्व करने के आरोप में उन्हें गिरफ़्तार कर लिया गया। लेकिन जल्दी ही उन्हें रिहा करने के बाद वहाँ आम चुनाव की घोषणा कर दी गई।
प्रधानमंत्री काल
[संपादित करें]1988 में बेनज़ीर भारी मतों से चुनाव जीत कर आईं और पाकिस्तान की प्रधानमंत्री बनीं। वे किसी इस्लामी देश की पहली महिला प्रधानमंत्री थीं। दो साल बाद 1990 में उनकी सरकार को पाकिस्तान के राष्ट्रपति ग़ुलाम इशाक ख़ान ने बर्ख़ास्त कर दिया। 1993 में फिर आम चुनाव हुए और वे फिर विजयी हुईं। उन्हें 1996 में दोबारा भ्रष्टाचार के आरोप में बर्ख़ास्त किया गया। पहली बार प्रधानमंत्री निर्वाचित होने के समय बेनज़ीर लोकप्रियता के शिखर पर थीं। उनकी ख्याति विश्व स्तर पर सर्वप्रमुख महिला नेता की थी। लेकिन दूसरी बार सत्ता से बेदखल किए जाने तक उनकी छवि पूरी तरह बदल चुकी थी। पाकिस्तान का एक बड़ा तबका उन्हें भ्रष्टाचार और कुशासन के प्रतीक के रूप में देखने लगा। अनेक विश्लेषकों के अनुसार बेनज़ीर के पतन में उनके आसिफ़ ज़रदारी का हाथ रहा है, जिन्हें भ्रष्टाचार के आरोप में जेल की सजा भी काटनी पड़ी थी। भ्रष्टाचार के मामलों में दोषी ठहराए जाने के बाद बेनज़ीर ने 1999 में पाकिस्तान छोड़ दिया और संयुक्त अरब इमारात के नगर दुबई में आकर रहने लगीं। उनकी अनुपस्थिति में पाकिस्तान की सैनिक सरकार ने उन पर लगे भ्रष्टाचार के विभिन्न आरोपों की जाँच की और उन्हें निर्दोष पाया गया। वे 18 अक्टूबर 2007 में पाकिस्तान लौटीं। उसी दिन एक रैली के दौरान कराची में उन पर दो आत्मघाती हमले हुए जिसमें करीब 140 लोग मारे गए, लेकिन बेनज़ीर बच गईं थी। इसके कुछ ही दिन बाद 27 दिसम्बर 2007 को एक चुनाव रैली के बाद उनकी हत्या कर दी गई। उनकी हत्या तब हुई, जब वे रैली खत्म होने के बाद बाहर जाते वक्त अपने कार की सनरूफ़ से बाहर देखते हुए समर्थकों को विदा दे रही थीं। उनकी मौत से पाकिस्तान में लोकतंत्र की बहाली पर प्रश्नचिन्ह लग गया है।
हत्या
[संपादित करें]बेनज़ीर की हत्या भी विवादित रही। सबसे पहले ये माना गया कि बम विस्फ़ोट के कारण उनकी हत्या हुई। बाद में पाकिस्तान सरकार का बयान आया कि बेनज़ीर की हत्या न तो किसी बंदूकधारी के द्वारा हुई और न ही विस्फोट की तीव्रता के कारण। बल्कि, पाकिस्तानी सरकारी बयानों के मुताबिक उनकी मृत्यु विस्फोट से बचने के लिए तेजी से सनरूफ़ (कार की खुल सकने वाली छत) से टकराने से हुई।[7] इस बात पर उनकी पार्टी के समर्थकों के सरकारी बयान का घोर विरोध किया। उनका कहना था कि बेनज़ीर की हत्या छर्रे लगने से हुई थी। टाइम्स ऑफ़ इंडिया द्वारा जारी एक वीडियो में दिखाया गया कि किसी व्यक्ति ने उनकी ज़ानिब (तरफ़), विस्फोट के पूर्व, चार गोलियां दागी थी। विरोध के बाद पाकिस्तान सरकार ने कहा कि सरकार उनकी लाश (जो उस समय तक दफ़ना दी गई थी) को पोस्टमॉर्टम के लिए फिर से बाहर निकालने के लिए तैयार है। लेकिन उनके पति आसिफ़ अली ज़रदारी ने सरकार से ऐसा न करने का आग्रह किया। इस हत्या की जिम्मेवारी अल क़ायदा के मुस्तफ़ा अबु अल याज़िद ने ली है। इसका कारण बेनज़ीर भुट्टो की पाकिस्तान में अमेरिकी समर्थक जैसी छवि तथा उनके एक भ्रष्ट नेता होने को माना जाता है जो एक तरह से परवेज़ मुशर्रफ़ की समर्थक समझी जाती थीं और लोग मानते थे कि चुनाव के बाद वो मुसर्रफ़ का समर्थन करेंगीं। इसके अलावा पाकिस्तानी पंजाब प्रान्त में इस सिन्धी मूल की नेता का समर्थन क्षेत्रवादी तौर पर बहुत कम था और उनके समर्थकों से उनके विरोधी ज्यादा थे।[8]}}
प्रकाशित कृतियाँ
[संपादित करें]उन्होंने अंग्रेज़ी में दो किताबें लिखी हैं-
- फॉरेन पॉलिसी इन पर्सपेक्टिव
- डॉटर ऑफ़ ईस्ट (पूरब की बेटी) जो उनकी आत्मकथा है
रोचक तथ्य
[संपादित करें]- रावलपिंडी का लियाक़त बाग़, जहाँ बेनजीर भुट्टो की हत्या की गई वहाँ पर इसके पहले पाकिस्तान के पहले प्रधानमंत्री लियाक़त अली ख़ान की भी इसी तरह एक चुनावी रैली में हत्या कर दी गई थी। उसके बाद बेनजीर के पिता ज़ुल्फ़िकार अली भुट्टो को फांसी भी यहीं दी गई थी।
सन्दर्भ
[संपादित करें]- ↑ "Benazir Bhutto 'killed in blast'". बीबीसी न्यूज़. 27 दिसंबर 2007. Archived from the original on 31 दिसंबर 2007. Retrieved 27 दिसंबर 2007.
{{cite news}}
: Check date values in:|access-date=
,|date=
, and|archive-date=
(help); Cite has empty unknown parameter:|5=
(help) - ↑ अ आ "Benazir Bhutto". benazirbhutto.co.uk. 27 दिसंबर 2007. Archived from the original on 29 दिसंबर 2007. Retrieved 27 दिसंबर 2007.
{{cite news}}
: Check date values in:|access-date=
,|date=
, and|archive-date=
(help); Cite has empty unknown parameter:|5=
(help) - ↑ "Story of Pakistan — Benazir Bhutto". Archived from the original on 30 दिसंबर 2007. Retrieved 27 दिसंबर 2007.
{{cite web}}
: Check date values in:|access-date=
and|archive-date=
(help) - ↑ "Bookrags Encyclopedia of World Biography entry". Archived from the original on 17 अक्तूबर 2007. Retrieved 27 दिसंबर 2007.
{{cite web}}
: Check date values in:|access-date=
and|archive-date=
(help) - ↑ Encyclopædia Britannica entry Archived 2013-09-23 at the वेबैक मशीन via about.com
- ↑ "WIC Biography - Benazir Bhutto". Archived from the original on 31 दिसंबर 2007. Retrieved 27 दिसंबर 2007.
{{cite web}}
: Check date values in:|access-date=
and|archive-date=
(help) - ↑ "बेनज़ीर भुट्टो की हत्या". ९ जनवरी २००८. Archived from the original on 30 दिसंबर 2007. Retrieved 9 जनवरी 2008.
{{cite web}}
: Check date values in:|date=
and|archive-date=
(help) - ↑ निरूपमा सुब्रह्मण्यम (18 जनवरी, 2008). एन राम (ed.). Frontline. द हिन्दू.
{{cite book}}
:|access-date=
requires|url=
(help); Check date values in:|date=
(help)CS1 maint: date and year (link)