बेताब (1983 फ़िल्म)
बेताब | |
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बेताब का पोस्टर | |
निर्देशक | राहुल रवैल |
लेखक | जावेद अख्तर |
निर्माता | बिक्रम सिंह दहल |
अभिनेता |
सनी देओल, अमृता सिंह, शम्मी कपूर |
संगीतकार | आर॰ डी॰ बर्मन |
प्रदर्शन तिथियाँ |
5 अगस्त, 1983 |
देश | भारत |
भाषा | हिन्दी |
बेताब 1983 में बनी हिन्दी भाषा की प्रेमकहानी फ़िल्म है। इसको राहुल रवैल ने निर्देशित किया और इसमें सनी देओल और अमृता सिंह अपनी पहली फ़िल्म में हैं। संगीत आर॰ डी॰ बर्मन द्वारा निर्मित किया गया। जारी होने पर ये फिल्म साल की सबसे सफल फिल्मों में से एक रही थी। इसको 1987 में तेलुगू में सम्राट नाम से पुननिर्मित किया गया था जिसमें रमेश बाबू और सोनम कलाकार रहे थे।
संक्षेप
[संपादित करें]यह फिल्म दो युवाओं की प्रेम कहानी है, जिनके परिवारों के हैसियत के अंतर के बावजूद वो प्यार में पड़ जाते हैं। सनी (सनी देओल), युवा, गरीब और खुशहाल लड़का है जो अपनी माँ सुमित्रा (निरूपा रॉय) के साथ अपने खेत के पास बने घर में रहता है। पूर्व में, उसके पिता अविनाश एक बड़े व्यवसायी थे, लेकिन वे दिवालिया हो गए थे। इसी कारण से उन्होंने आत्महत्या कर ली। अवनीश सरदार दिनेश सिंह (शम्मी कपूर) के साथ घनिष्ठ मित्र थे, जो शहर के सबसे अमीर और शक्तिशाली लोगों में से एक हैं। जब सरदार को पता चलता है कि अवनीश दिवालिया हो गया, तो वह उसकी तरफ पीठ मोड़ लेता है। सरदार की एक बेटी है जिसका नाम रोमा (अमृता सिंह) है। वह बिगड़ैल है, घमंडी है और सभी लोगों की आदी है जो उसके घेरे हुए रहते हैं। वह सनी की बचपन की दोस्त थी।
अब, सरदार शहर के बाहर एक नया अस्तबल खरीदता है, जो सनी के खेत के पास है। जब सनी अपनी माँ के साथ ट्रेन स्टेशन पर जाता है, तो वह रोमा को कई सालों बाद देखता है। सनी उसे तुरंत पहचान लेता है, लेकिन रोमा उसे नहीं पहचान पाती। फलस्वरूप, वे संयोग से खेत पर एक दूसरे से कई बार मिलते हैं। वे लगातार झगड़ा करते हैं, लेकिन जल्द ही उसे पता चलता है कि वह उसका बचपन का दोस्त है और वे अपने बचपन के प्यार को फिर से शुरू करते हैं।
मुख्य कलाकार
[संपादित करें]- सनी देओल — सनी
- अमृता सिंह — रोमा
- शम्मी कपूर — सरदार दिनेश सिंह
- निरूपा रॉय — सुमित्रा देवी
- प्रेम चोपड़ा — बलवंत
- अन्नू कपूर — चेलाराम
- गोगा कपूर — गंगा
संगीत
[संपादित करें]सभी गीत आनंद बख्शी द्वारा लिखित; सारा संगीत आर॰ डी॰ बर्मन द्वारा रचित।
क्र॰ | शीर्षक | गायक | अवधि |
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1. | "जब हम जवाँ होंगे" | लता मंगेश्कर, शब्बीर कुमार | 7:10 |
2. | "तेरी तस्वीर मिल गई" | शब्बीर कुमार | 4:43 |
3. | "पर्वतों से आज में" | शब्बीर कुमार | 5:01 |
4. | "अपने दिल से बड़ी" | शब्बीर कुमार, लता मंगेश्कर | 5:28 |
5. | "बादल यूँ गरजता है" | लता मंगेश्कर, शब्बीर कुमार | 5:39 |
नामांकन और पुरस्कार
[संपादित करें]वर्ष | नामित कार्य | पुरस्कार | परिणाम |
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1984 | बिक्रम सिंह दहल | फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ फ़िल्म पुरस्कार | नामित |
राहुल रवैल | फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ निर्देशक पुरस्कार | नामित | |
सनी देओल | फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार | नामित | |
जावेद अख्तर | फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ कथा पुरस्कार | नामित | |
आर॰ डी॰ बर्मन | फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ संगीतकार पुरस्कार | नामित | |
आनंद बख्शी ("जब हम जवाँ होंगे") | फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ गीतकार पुरस्कार | नामित | |
शब्बीर कुमार ("जब हम जवाँ होंगे") | फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ पार्श्व गायक पुरस्कार | नामित | |
शब्बीर कुमार ("पर्वतों से आज में") | फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ पार्श्व गायक पुरस्कार | नामित |