प्राचीन दमिश्क शहर
यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल | |
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स्थान | दमिश्क, सीरिया |
शामिल | |
मानदंड | सांस्कृतिक: (i), (ii), (iii), (iv), (vi) |
सन्दर्भ | 20bis |
शिलालेख | 1979 (3 सत्र) |
खतरे वर्ष | 2011 |
क्षेत्र | 86.12 हे॰ (0.3325 वर्ग मील) |
मध्यवर्ती क्षेत्र | 42.60 हे॰ (0.1645 वर्ग मील) |
निर्देशांक | 33°30′41″N 36°18′23″E / 33.51139°N 36.30639°E |
प्राचीन दमिश्क शहर, सीरिया का ऐतिहासिक शहर है जो वर्तमान में सीरिया की राजधानी आधुनिक दमिश्क से भिन्न है। पुराना शहर, जो दुनिया के सबसे पुराने लगातार बसे हुए शहरों में से एक है।[1] दमिश्क में कई ऐतिहासिक चर्च और मस्जिद शामिल हैं। कई संस्कृतियों ने अपना प्रभाव छोड़ा है, विशेषकर हेलेनिस्टिक, रोमन, बाइजांटाइन और इस्लामी, रोमन युग की दीवारों से घिरे शहर को वर्ष 1979 ईस्वी में ऐतिहासिक रूप से यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया था। जून 2013 में, यूनेस्को ने सीरियाई गृहयुद्ध की वजह से खतरे की चेतावनी देने के लिए खतरे में विश्व धरोहर स्थलों की सूची में दमिश्क शहर को शामिल किया था।.[2]
स्थापना
[संपादित करें]बारदा नदी के दक्षिण किनारे पर स्थित, प्राचीन शहर की स्थापना तीसरी सहस्राब्दी ईसा पूर्व में हुई थी। प्राचीन शहर 4.5 किमी (2.8 मील) की एक ऐतिहासिक दीवार के भीतर सर्किट में संलग्न किया गया था जो मुख्य रूप से रोमनों द्वारा निर्मित किया गया था, जिसके बाद अय्यूबिद और ममुलको द्वारा दृढ़ किया गया था।
एतिहासिक कालक्रम
[संपादित करें]इतिहास के कालक्रम के दौरान, दमिश्क निम्नलिखित राज्यों का हिस्सा रहा है:
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एतिहासिक स्थल
[संपादित करें]जुपीटर मंदिर रोमन शासकों द्वारा निर्मित, अगस्तस के शासनकाल के दौरान मन्दिर का निर्माण शुरू और कॉन्स्टेंटियस द्वितीय के शासनकाल के दौरान पूरा हुआ था मंदिर, जो तूफान और बारिश के देवता हदद-रममान को समर्पित किया गया था। दमिश्क स्ट्राइड स्ट्रीट, (लैटिन: वाया रीक्टा), एक रोमन स्ट्रीट या गली है जो पुराने शहर में पूर्व से पश्चिम तक जाती है, इसकी लंबाई 1,500 मीटर है
दमिश्क दुर्ग, तुर्कमेन वार्लोर्ड अतिसिज इब्न उवाक और अल-आदिल आई द्वारा (1076-1078) और (1203-1216) बनाया।
1154 में जंगी सुल्तान नूरउद्दीन के नाम पर एक बड़े मध्ययुगीन बिमारिस्तान ("अस्पताल") का निर्माण और नामकरण नूर अल-दीन बिमारिस्तान गया।
सुल्तान हजरत सलादीन का मकबरा , 1196 में निर्मित, मध्ययुगीन मुस्लिम अयूबिद सुल्तान सलादिन का विश्राम स्थान और कब्र है।
अज्म पैलेस, यह स्थल 1750 में असद पाशा अल-आज़म के तुर्क राज्यपाल के निवास के लिए बनाया गया था।
प्राचीन दमिश्क
[संपादित करें]दमिश्क के सदियों पुराने और लंबे इतिहास का एक नया अध्याय है. इतिहासकारों को यह तो मालूम है कि दमिश्क एक बेहद पुराना शहर है, लेकिन वह निश्चित तौर पर यह नहीं कह सकते कि पहली बार इस जगह पर कोई औपचारिक सभ्यता कब अस्तित्व में आई. साल 1950 के दौरान होने वाली खुदाई में मिलने वाले अवशेषों से अंदाज़ा लगाया गया कि चार हज़ार साल ईसा पूर्व में दमिश्क के उत्तर पूर्व में स्थित इलाके 'तेल अल शीह' में लोग आबाद थे. प्राचीन शहर के इलाक़े इबला (आज का तेल मरदीख़) से तीन हज़ार साल ईसा पूर्व के मिट्टी के बर्तन और स्लेटें मिली हैं जिस पर 'दमिश्क' लिखा था. एक हज़ार साल ईसा पूर्व के दौरान दमिश्क आरामीनी इलाके की राजधानी बनी और इसका उल्लेख बाइबल और अशूरया के रिकॉर्ड में भी मिलता है. दमिश्क में स्थित मस्जिद-ए-उमवी की खुदाई के दौरान मिलने वाले पत्थर के एक स्लैब पर मिथकीय चरित्र 'अबुल हौल' का उल्लेख था. 'आरामियों' ने यहां नहरों की एक व्यवस्था बनाई थी. उन्होंने शहर के कई इलाकों को नाम और आरामी भाषा दी जो इस्लाम के आगमन तक मौजूद रही. ईसाई दौर से पहले की सदियों के दौरान दूसरी राजधानियों की तरह दमिश्क पर भी विदेशी हमलावरों ने कब्ज़ा किया जिनमें आशूरी व बेबिलोनियाई (इराक़ से संबंधित) के अलावा फ़ारस, यूनान और रोम के हमलावर शामिल थे. 333 साल ईसा पूर्व में सिकंदर महान के हमले के बाद दमिश्क रोमन साम्राज्य का हिस्सा बना. शहर के उत्तर पश्चिम में बनू उमैया की आलीशान मस्जिद के पास आज भी रोमन महल के अवशेष मौजूद हैं. यहां एक चर्च मौजूद है जहां के बारे में कहा जाता है कि ईसा मसीह के साथी 'पॉल' ने दमिश्क में ही ईसाई धर्म स्वीकार किया था. सीरिया के बाकी हिस्से की तरह दमिश्क भी चौथी सदी ईस्वी में ईसाई शहर बन चुका था. सन 395 में रोमन साम्राज्य टूटने के साथ बाइज़ेनटाइन साम्राज्य के लिए महत्वपूर्ण किला बन चुका था. राजनीतिक, वैचारिक और धार्मिक मतभेदों के कारण क़ुस्तुनतुनिया (कॉनस्टेंटिनोपल) का विभाजन और छठी सदी में फ़ारस-यूनान युद्ध हुआ जो अक्सर सीरिया की धरती पर लड़ा गया. इस युद्ध से देश की आर्थिक स्थिति बर्बाद हो गई. इसके बाद दमिश्क ने सन 635 में मुस्लिम फ़ौजों के लिए अपने दरवाजे खोल दिए
राजधानी के रूप में दमिश्क
[संपादित करें]एनसाइक्लोपीडिया ब्रिटैनिका के अनुसार हालांकि अरब मुसलमान अपने साथ एक नया धर्म, पवित्र किताब क़ुरान, नई विचारधारा और क़ानूनी व्यवस्था लाए थे, लेकिन उन्होंने दमिश्क की क्षेत्रीय रूपरेखा को बदलने की बहुत कम कोशिश की.
सन 661 में उमवी (उमय्यद) वंश के संस्थापक मुआविया बिन अबू सूफ़ियान ने सीरिया की राजधानी में पहला दरबार बनाया. इसके बाद लगभग एक सदी तक यह शहर फैलती हुई उस सल्तनत की राजधानी रहा जो आज के दौर में स्पेन से चीन की सीमा तक मौजूद है. क्षेत्रफल के हिसाब से यह इस्लामी इतिहास की सबसे बड़ी सल्तनत थी. दमिश्क की मस्जिद-ए-उमवी उसी दौर के बारे में बताती है. इसे उमवी ख़लीफ़ा वलीद ने सन 706 से 715 के दौरान बनवाया था. हालांकि अतीत में इसे कई बार नुक़सान पहुंचा, इसमें आग भी लगाई गई और कई बार इसका पुनर्निर्माण भी हुआ. इस मस्जिद को आज भी इस्लामी स्थापत्य कला का अजूबा माना जाता है सन 750 में उमवी ख़िलाफ़त के पतन के बाद अब्बासी ख़लीफ़ा ने बग़दाद को अपनी राजधानी बनाया.
इस तरह इस्लामी सल्तनत में दमिश्क का रूतबा एक क्षेत्रीय शहर तक सीमित हो गया. यहां से होने वाले कई विद्रोहों के कारण नए शासकों (अब्बासी ख़लीफ़ा) ने इसका दमन किया. इनके शासन में उमवी दौर की निशानियां समझी जाने वाली इमारतों में लूटपाट और शहर की रक्षा दीवारों को गिराना शुरू कर दिया गया. वक़्त के साथ जैसे ही अंतरराष्ट्रीय व्यापार के रास्ते बदले, दमिश्क ने अपना वह आर्थिक स्थान खो दिया जो पहले उसे मिला हुआ था. यहां की स्थिति तब भी नहीं बदली जब नौवीं सदी के दौरान बग़दाद से राजधानी क़ाहिरा ले जाई गई. ग्यारहवीं सदी के दौरान दमिश्क फ़ातमी सल्तनत का हिस्सा बना. ग्यारहवीं सदी के अंत में क्रूसेड की जंगों ने एक बार फिर इस शहर को ख़तरे में डाला. हालांकि दमिश्क पर सीधे कब्ज़ा नहीं हुआ, लेकिन कई बार इस पर हमला किया गया और इसकी घेराबंदी की गई. इस दौर में शहर के दरो-दीवार दोबारा बनाए गए और शहर के उत्तर पश्चिम किनारे पर महल बनाया गया. बारहवीं सदी तक शहर छोटी-छोटी बिरादरियों में बंट चुका था जहां हर इलाक़े ने अपनी सुविधाओं के लिए व्यवस्था की. उन्होंने अपनी मस्जिदें, हम्माम और तंदूर बनवाए, पानी की व्यवस्था की और बाज़ार बना लिए. इसके बावजूद मस्जिद-ए-उमवी और केंद्रीय बाज़ार शहर में एकता के प्रतीक के तौर पर बरक़रार रहे.
मदरसा
[संपादित करें]अल-आदिलियाह मदरसा, एक 13 वीं शताब्दी में स्थापित
अल-फतियाह मदरसा, फेतियाह अल-डिफ्दर नामक एक तुर्क अधिकारी द्वारा 1743 में बनाया गया था।
अल-मुजाहिदीया मदरसा, 1141 में बिरड के गवर्नर मुजाहिद अल-दिन बिन बज़ान बिन यममीन अल-कुर्दु ने बनाया था।
1254 में स्थापित अल-क़िलीज्याह मदरसा
अल सलीमीया मदरसा, एक 16 वीं शताब्दी में स्थापित
अल सिबैया मदरसा, 1515 में स्थापित
अल-ज़हीरिया लाइब्रेरी, 1277 में स्थापित, इसका नाम इसके संस्थापक सुल्तान बैबर्स से लिया गया।
नूरअल-दीन मदरसा, 1165 में सुल्तान नूरउददीन जंगी द्वारा बनवाया गया था।
सन्दर्भ
[संपादित करें]- ↑ "दुनिया के सबसे पुराने शहर". दैनिक भास्कर. 15 दिसंबर 2016. अभिगमन तिथि 2018.
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में तिथि प्राचल का मान जाँचें (मदद)[मृत कड़ियाँ] - ↑ "प्राचीन दमिश्क शहर". यूनेस्को. मूल से 31 मई 2015 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 29 अक्टूबर 2017.