पोंटिक-कैस्पियाई स्तेपी
कृष्ण-कैस्पियाई स्तेपी या पोंटिक-कैस्पियाई स्तेपी (Pontic-Caspian steppe) कृष्ण सागर के उत्तर से कैस्पियन सागर के पूर्व के क्षेत्रों तक विस्तृत विशाल स्तेपी मैदानी क्षेत्र को कहते हैं। आधुनिक युग में यह पश्चिमी युक्रेन से रूस के दक्षिणी संघीय क्षेत्र और फिर रूस ही के वोल्गा संघीय क्षेत्र से होता हुआ पश्चिमी काज़ाख़स्तान तक फैला हुआ इलाक़ा है। प्राचीन काल में यह स्किथी लोगों और सरमती लोगों का क्षेत्र हुआ करता था। इस क्षेत्र में सदियों से बहुत से घुड़सवार ख़ानाबदोश क़बीले रहते चले आए हैं जिन्होनें समय-समय पर यूरोप, पश्चिमी एशिया और भारतीय उपमहाद्वीप पर आक्रमण कर के क़ब्ज़ा जमाकर जातियों और देशों के इतिहास बदल दिए हैं। बहुत इतिहासकार मानते हैं कि यह विश्व का पहला इलाक़ा था जहाँ घोड़ों को पालतू बनाया गया।[1][2] १६वीं से १८वीं शताब्दियों में आख़िरकर इस क्षेत्र पर रूसी साम्राज्य ने अपना नियंत्रण जमा लिया और पहली बार यहाँ के निवासी एक ग़ैर-ख़ानाबदोश व्यवस्था के अधीन हो गए।
नाम
[संपादित करें]'पोंटिक' (Pontic) प्राचीन यूनानी भाषा के 'पोन्तोस' (Πόντος) शब्द से आया है जिसका अर्थ 'समुद्र' है। प्राचीनकाल में यूनानी लोग कृष्ण सागर को ही इस नाम से पुकारा करते थे, इसलिए 'पोंटिक-कैस्पियाई' का अर्थ 'कृष्ण सागर से कैस्पियन सागर तक' है।
इन्हें भी देखें
[संपादित करें]सन्दर्भ
[संपादित करें]- ↑ Ancient Chinese Warfare, Ralph D. Sawyer, Basic Books, 2011, ISBN 978-0-465-02145-1, ... According to one well-argued view, the horse that eventually evolved from among several “horselike” animals primarily emerged in the Pontic-Caspian steppe between the Caucasus and Ural mountains by about 4800 BCE ...
- ↑ Next Word, Better Word: The Craft of Writing Poetry, Stephen Dobyns, Macmillan, 2011, ISBN 978-0-230-62180-0, ... Pontic-Caspian Steppe in the Ukraine and southern Russia between 4500 and 2500 BCE, whose expansion began when they domesticated the horse. The Proto-Indo-European root dem∂, meaning “to force,” referred to breaking horses ...