चार्ल्स डार्विन
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चार्ल्स डार्विन | |
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![]() डार्विन, 45 की उम्रमें 1854 | |
जन्म |
चार्ल्स रॉबर्ट डार्विन 12 फ़रवरी 1809 The Mount, Shrewsbury, Shropshire, इंग्लैण्ड |
मृत्यु |
19 अप्रैल 1882 Down House, Luxted Road, Downe, Kent, UK | (उम्र 73)
आवास | इंग्लैण्ड |
नागरिकता | British subject |
राष्ट्रीयता | British |
क्षेत्र | प्राकृतिक इतिहास, भूविज्ञान |
संस्थान |
Tertiary education: University of Edinburgh Medical School (medicine) Christ's College, Cambridge (University of Cambridge) (BA) Professional institution: Geological Society of London |
अकादमी सलाहकार |
John Stevens Henslow Adam Sedgwick |
प्रसिद्धि |
The Voyage of the Beagle जीवजाति का उद्भव क्रमविकास by natural selection, common descent |
प्रभाव |
अलेक्जेण्डर वॉन हम्बोल्ट John Herschel Charles Lyell |
प्रभावित |
Joseph Dalton Hooker Thomas Henry Huxley George Romanes एर्न्स्ट हेक्केल Sir John Lubbock |
उल्लेखनीय सम्मान |
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चार्ल्स डार्विन (१२ फरवरी, १८०९ – १९ अप्रैल १८८२) ने क्रमविकास (evolution) के सिद्धान्त का प्रतिपादन किया।[2] उनका शोध आंशिक रूप से १८३१ से १८३६ में एचएमएस बीगल पर उनकी समुद्र यात्रा के संग्रहों पर आधारित था। इनमें से कई संग्रह इस संग्रहालय में अभी भी उपस्थित हैं। डार्विन महान वैज्ञानिक थे - आज जो हम सजीव चीजें देखते हैं, उनकी उत्पत्ति तथा विविधता को समझने के लिए उनका विकास का सिद्धान्त सर्वश्रेष्ठ माध्यम बन चुका है।[3]
संचार डार्विन के शोध का केन्द्र-बिन्दु था। उनकी सर्वाधिक प्रसिद्ध पुस्तक जीवजाति का उद्भव (Origin of Species (हिंदी में - 'ऑरिजिन ऑफ स्पीसीज़')) प्रजातियों की उत्पत्ति सामान्य पाठकों पर केंद्रित थी। डार्विन चाहते थे कि उनका सिद्धान्त यथासम्भव व्यापक रूप से प्रसारित हो।
डार्विन के विकास के सिद्धान्त से हमें यह समझने में मदद मिलती है कि किस प्रकार विभिन्न प्रजातियां एक दूसरे के साथ जुङी हुई हैं। उदाहरणतः वैज्ञानिक यह समझने का प्रयास कर रहे हैं कि रूस की बैकाल झील में प्रजातियों की विविधता कैसे विकसित हुई।
पत्राचार[संपादित करें]
कई वर्षों के दौरान, जिसमें उन्होंने अपने सिद्धान्त को परिष्कृत किया, डार्विन ने अपने अधिकांश साक्ष्य विशेषज्ञों के लम्बे पत्राचार से प्राप्त किया। डार्विन का मानना था कि वे प्रायः किसी से चीजों को सीख सकते हैं और वे विभिन्न विशेषज्ञों, जैसे, कैम्ब्रिज के प्रोफेसर से लेकर सुअर-पालकों तक से अपने विचारों का आदान-प्रदान करते थे।
डार्विन का व्यवसाय[संपादित करें]
बीगल पर विश्व भ्रमण हेतु अपनी समुद्री-यात्रा को वे अपने जीवन की सर्वाधिक महत्वपूर्ण घटना मानते थे जिसने उनके व्यवसाय को सुनिश्चित किया। समुद्री-यात्रा के बारे में उनके प्रकाशनों तथा उनके नमूने इस्तेमाल करने वाले प्रसिद्ध वैज्ञानिकों के कारण, उन्हें लंदन की वैज्ञानिक सोसाइटी में प्रवेश पाने का अवसर प्राप्त हुआ।
अपने कैरियर के प्रारंभ में, डार्विन ने प्रजातियों के जीवाश्म सहित बर्नाकल (विशेष हंस) के अध्ययन में आठ वर्ष व्यतीत किए। उन्होंने 1851 तथा 1854 में दो खंडों के जोङों में बर्नाकल के बारे में पहला सुनिश्चित वर्गीकरण विज्ञान का अध्ययन प्रस्तुत किया। इसका अभी भी उपयोग किया जाता है।
इन्हें भी देखें[संपादित करें]
सन्दर्भ[संपादित करें]
- ↑ "Fellows of the Royal Society". London: Royal Society. मूल से 2015-03-16 को पुरालेखित.
- ↑ "'डार्विन का सिद्धांत' तैयार करने में कौन थे साथ?".
- ↑ "जहां पहली बार लौंग का पेड़ उगा था".