खिमलासा
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संदर्भ स्रोत- गजेटियर सागर, राय बहादुर हीरालाल 1922 सागर सरोज 1922
History of Khimlasha mp उल्लेखों के मुताबिक इस नगर का नाम पहले क्षेमोल्लास था। फिर धीरे धीरे कमलासा और फिर खिमलासा हो गया। कमलासा नाम के पीछे बढ़ी वजह यह रही कि यहां कमल के फूलों की खेती अत्याधिक मात्रा में हुआ करती थी। खिमलासा की संरचना कमल के फूल की तरह है। चारो तरफ किले की दीवार से गिरी हुई बस्ती ऊपर से देखने पर कमल के फूल के समान प्रतीत होती है जिसकी वजह से इसका नाम कमलासा हुआ। खिमलासा सागर ज़िला, मध्य प्रदेश का ऐतिहासिक स्थान था। गढ़मंडला की रानी दुर्गावती के श्वसुर संग्राम सिंह के 52 गढ़ों में से एक यहाँ स्थित था। इन्हीं गढ़ों के कारण दुर्गावती का राज्य गढ़मंडला कहलाता था। संग्राम सिंह की मृत्यु 1541 ई. में हुई थी। 16वीं- 14वी सदी में यह क्षेत्र मुगलों के अधीन रहा, बाद में खिमलासा, धामोनी और गढ़ाकोटा में मुगल सेना को परास्त कर महाराज छत्रसाल ने अपना राज्य स्थापित किया। 1818 के पश्चात यह क्षेत्र ब्रिटिश साम्राज्य के अधीन था। 1861 में प्रशासनिक व्यवस्था के लिए इस क्षेत्र को नागपुर से मिला लिया गया और यह व्यवस्था 1956 तक नए मध्यप्रदेश राज्य के पुनर्गठन तक बनी रही।
खिमलासा के किले का गौरवमयी इतिहास है। इसकिले में प्रवेश द्वार से भीतर जाने के स्थान से लेकर अंदर के सभी भवन - मंदिर, मस्जिद, बावड़ी आज भी काफी आकर्षण एवं रहस्य को लिये हैं, काफी दर्शनीय हैं।
नगर के चारों ओर परोकोट और खण्डहर प्राचीन नगर की समृद्धि के साक्षी हैं। खिमलासा सागर ज़िला, मध्य प्रदेश का ऐतिहासिक स्थान था। गढ़मंडला की रानी दुर्गावती के श्वसुर संग्राम सिंह के 52 गढ़ों में से एक यहाँ स्थित था। इन्हीं गढ़ों के कारण दुर्गावती का राज्य गढ़मंडला कहलाता था। संग्राम सिंह की मृत्यु 1541 ई. में हुई थी।
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#दर्शनीय_स्थल_खिमलासा_बीना मध्यप्रदेश .INDIA
- संकलित लेख
प्राचीन नाम #क्षेमोल्लास !!संस्कृत नाम!! विशुद्ध संस्कृत नाम है ! काल क्रम में #कमलासा हो गया ! वर्तमान में खिमलासा नाम से जाना जाता है ! प्राचीनकाल में यह शिक्षा का केन्द्र था !
*खिमलासा को सन 1490 ई. में बसाया गया ! जो शिला लेखों में उल्लेख है ! शिलालेख हिंदी और अरबी में मिलते हैं !
*यहाँ #अचलोबाई नाम की एक प्रसिद्ध विदूषी महिला हुई हैं ! जो हाथ से संस्कृत के पत्रे लिखती थी ! संस्कृत शिक्षा प्रसार के लिए कार्य किये ! दूर दूर से यहाँ विद्वान आते रहते थे ! संस्कृत शिक्षा के कई गुरुकुल थे !
संस्कृत के पठन पाठन का बडा प्रसार था !
*प्राचीन काल में खिमलासा को काशी का टुकडा कहा जाता था !
*इस नगर की संरचना कमल के समान है ! उस समय यहाँ कमल की खेती बहुतायत में होती थी ! नगर ऊचाई से देखने से कमल के फूल के समान प्रतीत होता है !
*खिमलासा गढ मंडला की #महारानी_दुर्गावती के स्वसुर #संग्राम_सिंह के 52 गढों /किलों में से एक था !
*सन् 1541 ई. में संग्राम सिंह की मृत्यु हुई थी !
*14 वी, से 16 वी सदी में यह क्षेत्र मुगलों के अधीन रहा !
*बाद में #महाराज_छत्रसाल पन्ना के राजा ने गढाकोटा, धामोनी, खिमलासा को मुगलों को परास्त कर अपना राज्य स्थापित किया !
*सन् 1695 ई. में पन्ना के राजा #अनूप_सिंह का शासन रहा ! अनूप सिंह ने ही नगर के चारों ओर 20 फीट ऊची रक्षा दीवार /चार दीवारी, बुर्जे बनवायी !
*शीश महल का निर्माणराजपूतों ने कराया था ! उस समय शीश महल में शीशे आयने लगे होते थे !
*प्राचीन बाजार भवन व्यवस्था उच्चस्तरीय थी !
*सन् 1746 ई. में खिमलासा बुंदेलों के पास से पेशवा के पास चला गया !
पेशवा ने 1818 में खिमलासा को अग्रेजों को सौप दिया !
*1818 के पश्चात यह क्षेत्र ब्रिटिश साम्राज्य के अधीन हो गया ! सन् 1834 ई. में खुरई से जोड दिया गया !
*सन् 1857 में बानपुर के राजा ने खिमलासा खुरई को अपने अधिकार में ले लिया !
*सन् 1861 में प्रशासनिक व्यवस्था के लिए नागपुर क्षेत्र में मिला लिया गया !
*यह व्यवस्था 1956 तक नये मध्यप्रदेश राज्य के गठन तक बनी रही !
# समृद्ध इतिहास, पुरातात्विक साक्ष्यों को सहेजे मूक किले दरवाजे, प्राचीन तोप, इमारतें शिलालेख, कलाकृतिया, चाहरदीवारी, बुर्जे, बावडी, कुंड, शीश महल पुरातात्विक स्मृतियां खंडहर रुप में आज भी संरक्षण की राह देख रहीं हैं !
* पूर्ण संरक्षण नहीं मिल पाने के कारण और सरकार द्वारा स्थानीय स्तर पर संग्रहालय स्थापित नहीं होने के कारण कई ऐतिहासिक पुरातात्विक महत्व की वस्तुएं, कलाकृती, नगर वास्तु, मूर्ती व शिल्पकला अब जीर्णशीर्ण स्थिति, खंडहर स्थिति में हैं !
संदर्भ स्रोत - गजेटियर सागर
रायबहादुर हीरालाल 1922
सागर सरोज 1922
*दर्शनीय स्थल खिमलासा बीना म.प्र. INDIA
नोट - बीना क्षेत्र के महत्वपूर्ण स्थलों, इतिहास आदि के बारे में आपके पास कोई जानकारी हो या कोई प्रमाणित पुस्तक लेख आदि हों तो साझा करें !
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संकलन - उदयभान कुशवाहा 470113
Photo - udaybhan kushwaha