एटा

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एटा
—  शहर  —
Map of उत्तर प्रदेश with एटा marked
भारत के मानचित्र पर उत्तर प्रदेश अंकित
Location of एटा
समय मंडल: आईएसटी (यूटीसी+५:३०)
देश  भारत
राज्य उत्तर प्रदेश
लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र (सांसद राजवीर सिंह (भाजपा)
जनसंख्या
घनत्व
१०७,०९८ (2001 के अनुसार )
• 717/किमी2 (1,857/मील2)
क्षेत्रफल 5,444 km² (2,102 sq mi)
आधिकारिक जालस्थल: etah.nic.in

निर्देशांक: 27°38′N 78°40′E / 27.63°N 78.67°E / 27.63; 78.67

एटाउत्तर प्रदेश राज्य का एक प्रमुख जिला और शहर है, एटा में कई ऐतिहासिक स्थल हैं, जिनमें मंदिर और अन्य महत्त्वपूर्ण इमारतें शामिल हैं। एटा के आस-पास भी कई आकर्षक स्थान है, जैसे कि अवागढ़, जलेसर,सकीट और कादिरगंज, जो एटा जिले के आसपास स्थानीय पर्यटन आकर्षणों के लिए भी जाने जाते हैं। एटा में पर्यटन केवल अपने खूबसूरत स्थानों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि एटा में लोकप्रिय मेलों, त्योहारों और खाद्य पदार्थों तक भी फैला हुआ है। एटा उत्तर प्रदेश में घूमने के लिए कई महत्वपूर्ण स्थानों से जुड़ा हुआ है, जिसमें आगरा, वृंदावन और मथुरा शामिल हैं। एनएच-34 जैसे कई राष्ट्रीय मार्ग एटा से गुजरते हैं।नई दिल्ली एटा शहर से केवल 5 घंटे (207 किमी) की दूरी पर स्थित है।एटा के निकट मलावन में जवाहर तापीय विद्युत परियोजना का संयंत्र स्थापित किया जा रहा है जिसकी क्षमता 660 मेगावाट है। इसे दक्षिणी कोरिया की दुसान कंपनी द्वारा बनाया जा रहा है।

इतिहास[संपादित करें]

यह कानपुर-दिल्ली राजमार्ग पर मध्य बिंदु है ऐतिहासिक रूप से, यह 1857 के विद्रोह के केंद्र के लिए भी जाना जाता है। प्राचीन काल में, एटा को “आंथा” कहा जाता था । यह तब था जब अगरगढ़ का राजा अपने 2 कुत्तों के साथ जंगल में शिकार कर रहा था। कुत्तों ने एक लोमड़ी को देखा और भौंकने शुरू कर दिया और उसका पीछा किया। लोमड़ी अपने आप को राजा के कुत्तों से बचाने की कोशिश कर रही थी लेकिन जब वह एटा पहुंच गई, तो लोमड़ी ने राजा के कुत्तों को बहुत आक्रामक प्रतिक्रिया दी। राजा लोमड़ी के व्यवहार परिवर्तन से हैरान था। इसलिए, उन्होंने सोचा कि इस जगह में कुछ ऐसा होना चाहिए जिसमें भाग लेने वाले लोमड़ी परिवर्तन रवैया बनाया गया था। इसलिए, इस जगह को नामित किया गया था, जिसे बाद में एटा के रूप में गलत माना गया। विद्या भारती की पुस्तक में एक और कहानी है, जो यहां खोए हुए व्यक्ति के कारण एटा का पुराना नाम ‘इंता’ कहता है। पानी की तलाश में, वह जमीन में खुदाई करता था और उसके जूते ने एक ईंट को मारा जो कि एन्टा नाम की ओर जाता है और बाद में यह शब्द एटा में बदल गया। एटा अपने यज्ञशाला के लिए बहुत प्रसिद्ध है जो गुरुकुल विद्यालय में स्थित है। यज्ञशाला को दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा यज्ञशाला माना जाता है। एक ऐतिहासिक किला है जो अवागढ़ के राजा द्वारा बनाया गया था। अवागढ़ एक जगह है जो एटा से 22 किमी दूर है। एटा के पास भगवान शिव को समर्पित कैलाश मंदिर नामक एक ऐतिहासिक मंदिर भी है, जो उत्तर भारत का सर्वाधिक मानव निर्मित ऊंचाई पर स्थित शिवालय है। इसको कासगंज के कायस्थ(कुलश्रेष्ठ) राजा दिलसुख राय बहादुर द्वारा बनवाया गया था। इस मंदिर में जाने के लिए लगभग 108 सीढियां हैं।मंदिर के बराबर में ही एक विशाल सरोवर का निर्माण भी कायस्थ राजा दिलसुख राय बहादुर द्वारा किया गया था।अमीर खुसरो पटियाली(कासगंज)में पैदा हुए थे और उर्दू के सबसे अच्छे कवियों में से एक माने जाते हैं। यह जिला अलीगढ़ डिवीजन का हिस्सा है। बहुसंख्य आबादी यादव और लोदी राजपूत हैं। कुलश्रेष्ठ परिवारों (कास्यथ समुदाय) का जिला एटा में है। राष्ट्रीय राजमार्ग-91 इस जिले से गुजरता है। एटा के निकटतम जिले फर्रुखाबाद, मैनपुरी, फिरोजाबाद, हाथरस, कासगंज से घिरा हुआ है। पहले कासगंज एटा जिले का हिस्सा था। कासगंज की स्थापना 15 अप्रैल 2008 को एटा जिले के कासगंज, पटियाली और सहवार तहसील के विभाजन के द्वारा की गई थी। वर्तमान में एटा में 8 ब्लॉक हैं। जैथरा, मारहरा, निधौली कलां, सकिट, शीतलपुर, अवागढ़, अलीगंज, जलेसर, राजा का रामपुर प्रमुख शहर है।

भूगोल[संपादित करें]

एटा 27.63 डिग्री एन 78.67 डिग्री ई पर स्थित है। [4] इसकी औसत ऊंचाई 170 मीटर (557 फीट) है।गांव गाजीपुर पहोर के पीछे ईसेन नदी बहती है!एटा भारत के उत्तर प्रदेश प्रान्त के अलीगढ़ डिवीजन का एक जिला है। यह उत्तर में कासगंज, दक्षिण में मैनपुरी और फिरोजाबाद, पूर्व में फ़र्र्खाबाद व पश्चिम में अलीगढ़, हाथरस, मथुराआगरा जिलों से घिरा है। जो कि उत्‍तर प्रदेश मे आते हैं। जिले की किसी अन्य राज्य से सीमा नहीं लगती है।

स्थलाकृति[संपादित करें]

एटा शहर का आकार बन्द मुठ्ठी के समान है। कटोरेनुमा जमीन है अर्थात शहर बाहरी किनारों पर ऊंचा है जबकि बीच में कुछ गहरा है।

जलवायु[संपादित करें]

यहां की जलवायु नम व शुष्क दोनों प्रकार की है।

कृषि[संपादित करें]

जिले के लोगों का प्राथमिक व्यवसाय कृषि है यह क्षेत्र गंगा और यमुना (दोआब) के बीच स्थित है जो कि अत्यधिक उपजाऊ (जलोढ़ मिट्टी) है। किसान एक वर्ष में तीन फसलों का उत्पादन कर रहे हैं। सिंचाई के लिए पानी वर्ष दौर उपलब्ध है। मुख्य कृषि उत्पाद चावल, गेहूं, जौ, ज्वार, बाजरा, मक्का; मिट्टी तंबाकू की खेती के लिए उपयुक्त है।

वनस्पति और जीव[संपादित करें]

यहां अनेक प्रकार की वनस्पतियां, पेड़-पोधे और जीव जंतु रहते हैं।

कला और संस्कृति[संपादित करें]

एटा की संस्कृति और विरासत बहुत प्राचीन हैं। एटा एक विकासशील शहर है।यह ब्रिटिश काल के बाद से जिला मुख्यालय है।राष्ट्रीय राजमार्ग 34(गंगोत्री धाम उत्तराखंड से लखनादौन मध्य प्रदेश) शहर एटा के माध्यम से गुजरता है। पड़ाव मैदान (खुले मैदान) सेना के आंदोलन के दौरान सेना के लिए उपयोग किया जाने वाला क्षेत्र है।हर साल सितंबर और अक्टूबर महीने में दशहरा में राम-लीला के लिए और दिसंबर से फरवरी तक प्रदर्शनी के लिए इस क्षेत्र का उपयोग किया जाता है।केवल ये एक वर्ष में दो घटनाएं हैं जब जिला एटा के लोग कविसमेलन, नृत्य प्रतियोगिता और मेला जैसी घटनाओं का आनंद ले सकते हैं।

त्यौहार व समारोह[संपादित करें]

चूंकि ये उत्तर भारत के उत्तर प्रदेश राज्य में है इसलिए उत्तर प्रदेश में होने वाले हर त्यौहार यहां मनाए जाते हैं। जैसे- होली,दिवाली,दशहरा,रक्षाबंधन,श्रीकृष्ण जन्माष्टमी, बुद्ध पूर्णिमा, ईद,क्रिसमस डे आदि। जिले में गाँव जमलापुर की होली बहुप्रसिध्द है। यहाँ ब्रज की तर्ज पर दो दिन की होली मनायी जाती है । दोनों दिन गाँव में फाग निकाली जाली जाती है और नृत्य का आयोजन होता है। फाग में ठाकुर राजेन्द्र सिंह, ठाकुर आदेश सिंह,ठाकुर राजवीर सिंह,पंडित नरेश मुदगल के द्वारा गाये होली गीत और ठाकुर अशोक सिंह राठौर और दिनेशचन्द्र सैनी द्वारा बजाया गया ढोल बहुप्रसिध्द है।

जनसांख्यिकी[संपादित करें]

2011 की नगणना के अनुसार एटा जिले की कुल जनसंख्या 1,761,152 है।[1] यह लगभग गाम्बिया नामक देश[2] अथवा अमेरिकी राज्य नेब्रास्का की कुल जनसंख्या के समान है।[3] इस आधार पर इसको भारत में 272वें जिले का दर्जा प्राप्त है।[1] जिले का जनसंख्या घनत्व 717 प्रत्येक वर्ग किलोमीटर में निवासी (1,860/वर्ग मील) है।[1] 2001–2011 के दौरान यहाँ जनसंख्या वृद्धि दर 12.77 प्रतिशत रही।[1] यहाँ लिंगानुपात 863 महिला प्रति 1000 पुरुष है[1] और यहाँ साक्षरता दर 82.27% है।[1] 2011 की जनगणना के अस्थायी आबादी के आंकड़ों के मुताबिक:एटा शहर की 2011 में जनसंख्या 1.32 लाख थी।जबकि एटा अर्बन क्षेत्र की जनसंख्या 1लाख 70 हजार है। क्षेत्र: 4,446 वर्ग किमी नगर निकायों की संख्या: 9 न्याय पंचायतों की संख्या: 72 तहसील की संख्या: 3 संसदीय निर्वाचन क्षेत्र की संख्या: 3 डिवीजन: अलीगढ़ ब्लॉक की संख्या: 8 ग्राम पंचायत की संख्या: 576 गांवों की संख्या: 883 असेंबली निर्वाचन क्षेत्र की संख्या: 4

भाषा[संपादित करें]

यहां की मूल भाषा हिन्दी है।कहीं कहीं इंग्लिश और उर्दू भी प्रयोग की जाती है। जीटी रोड पर स्थित एटा की सिंधी कॉलोनी में सिंधी भाषा बोलने वाले सिंधी समाज के लोग भी रहते हैं जो आपसे बोलचाल की भाषा में सिंधी भाषा ही प्रयोग करते हैं।

प्रशासनिक सेटअप[संपादित करें]

एटा उत्तर प्रदेश के 75 प्रशासनिक जिलों में से एक है। हैं।इसका मुख्यालय एटा में स्थित है।देश के अन्य सभी जिलों के मामले में, कलेक्टर और जिला मजिस्ट्रेट एटा जिला का प्रशासनिक प्रमुख है। जिले में 3 तहसील,4 नगरपालिका परिषद,8 ब्लॉक,5 नगर पंचायत,892 गांव,576 ग्राम पंचायत,18 पुलिस स्टेशन शामिल हैं।

अर्थव्यवस्था[संपादित करें]

एटा जिला की अर्थव्यवस्था चरित्र में कृषि है। भूगोल और जलवायु धान, गन्ना, सूरजमुखी, तिलहन आदि जैसे फसलों के उत्पादन के लिए अनुकूल हैं। यह शहर ऐसे उत्पादों के संचय और विपणन के लिए एक नोडल बिंदु के रूप में व्यवहार करता है। कुछ एग्रोबी एन। पैलेसप्रोकैसिंग इकाइयों को छोड़कर, इस जिले में कोई बड़ा उद्योग नहीं है।

उद्योग[संपादित करें]

उद्योग क्षेत्र खनन और खनन विनिर्माण (पंजीकृत और अनियंत्रित) बिजली, गैस और जल आपूर्ति निर्माण सेवा क्षेत्र अन्य साधनों और भंडारण द्वारा परिवहन संचार बैंकिंग और बीमा रियल एस्टेट, आवास और व्यापार सेवाओं के स्वामित्व सार्वजनिक प्रशासन अन्य सेवाएं

एटा की तहसील जलेसर घंटे घुंगुरू के लिए विश्वविख्यात है। श्रीराम मंदिर में लगने के लिए 2400 किलो का घंटा जलेसर में ही बनाया गया।

यातायात[संपादित करें]

उत्तर प्रदेश परिवहन निगम का बस स्टैण्ड व एटा डिपो की बसें सभी जिलों को जोड़तीं हैं। एटा शहर में बस व कार द्वारा ही पहुंचा जा सकता है, हालांकि यहाँ पर रेलवे स्टेशन भी है पर रेल केवल एटा से अवागढ़,जलेसर,बरहन जं ,टूंडला जं तथा मितावली-एत्मादपुर-आगरा फोर्ट तक ही जाती है वो भी सवारी कम मालगाडी अधिक है, सवारी डिब्बों के नाम पर मात्र 8 डिब्बे ही लगे हैं जिनमें केवल दैनिक-यात्री ही यात्रा करते है, क्योंकि यह उत्तर प्रदेश के अलीगढ डिवीजन के अन्दर आता है व दिल्ली से कानपुर वाले मार्ग पर जिसे ग्रांट ट्रंक रोड (NH-91या N H -24) या पूर्व नाम शेरशाह सूरी मार्ग भी कहते हैं पर स्थित है इसलिए यहाँ बस के द्वारा आराम से पहुंचा जा सकता है। यह भारत की राजधानी दिल्ली व उत्तर प्रदेश के औद्योगिक नगर कानपुर दोनों से ही सामान दूरी लगभग २०० कि० मी० दूर स्थित है। यह आगरा से 85 किमी अलीगढ़ से 70 किमी, कासगंज से 30 किमी ,फर्रुखाबाद से 105 किमी, फिरोजाबाद से 70 किमी इटावा से 110 किमी,मैनपुरी से 55 किमी ,शिकोहाबाद से 52 किमी पटियाली से 31 किमी सहावर से 32 किमी सकीट से 17 किमी जलेसर से 40 किमी मारहरा से 22 किमी निधौली कलां से 17 किमी दूर है।

पर्यटन स्थल[संपादित करें]

  • पटना पक्षी विहार

प्रवासी व अप्रवासी पक्षियों की शरणस्थली बन चुका पटना पक्षी विहार उत्तर प्रदेश के एटा जिले की जलेसर तहसील में स्थित है। जलेसर - सिकन्दराराऊ राजमार्ग पर एटा से 45 किमी दूर तथा जलेसर से पांच किमी दूर स्थित इस अभयारण्य को सन 1990 में एक संपूर्ण अभयारण्य घोषित किया गया था। यहाँ का औसत तापमान गर्मियों में 47 डिग्री सेल्सियस व सर्दियों में 4 डिग्री सेल्सियस तक पहुँच जाता है। पटना पक्षी विहार बहुत पुराने खजूर के वृक्षों से घिरा एक विशाल जलाशय है,जिसकी खुदाई में प्रागैतिहासिक साक्ष्य भी मिले हैं। कहा जाता है कि यह मगध के सम्राट जरासंध के मित्र कालिया का वन था, जहाँ उसका महल था। उसके महल के खंडहर और जमीन के नीचे दबे अवशेष कुछ ऐतिहासिक सत्य की गवाही देते हैं। यहाँ मिले सोने व चांदी के सिक्के द्वापर युग के बताये जाते हैं। करीब 107 हेक्टेयर क्षेत्र में फैले पटना पक्षी विहार में स्थानीय व प्रवासी पक्षियों के झुण्ड, खजूर के पेड़ों से आच्छादित वन तथा विशाल झील का प्राकृतिक सौन्दर्य यहाँ के आकर्षण का प्रमुख केंद्र है। वर्ष 1999 में वन्य प्राणी विशेषज्ञों के द्वारा की गयी गणना के अनुसार पटना पक्षी विहार में लगभग 175 प्रजातियों के प्रख्यात पक्षी यहाँ प्रवास करते हैं। इनमें से लगभग 65 प्रजातियाँ के दुर्लभ पक्षी साईबेरिया, चीन, मंगोलिया तथा अन्य बाहरी देशों से यहाँ आते हैं। शीतकाल (लगभग अक्टूवर नवम्बर के मध्य से) शुरू होते ही यहाँ प्रवासी पक्षियों का आगमन प्रारंभ हो जाता है | अनुकूल मौसम में यहाँ लगभग 75 हजार विभिन्न प्रजातियों के पक्षिओं का विशाल झुण्ड एक साथ देखा जा सकता है। यहाँ आने वाले पक्षियों में सबसे सुन्दर पछी ' कौरमोरेंट ' है। यह काफी हद तक कनकउआ से मिलता - जुलता है। इसे गनहिल नाम से भी जाना जाता है। एक ऐसा पक्षी है जिसे ' आर्टिकटोन ' के नाम से जाना जाता है, जिसकी गति सर्वाधिक तीव्र है। इनमें सबसे अधिक दुस्साहसी पछी ' उर्न ' है। यह हिमालय की बर्फीली चोटियों को लांघता हुआ यहाँ आता है। यहाँ आने वाले मेहमान पक्षियों में हिमालयन, वीयरदडे, वल्चर, फ्लोवरपैक, फायर विस्टेड फ्लोवर पिकड़, गूज आदि विशेष उल्लेखनीय हैं। धार्मिक दृष्टि से भी इसका चमत्कारिक महत्व है। यहाँ के वन में 30 फुट से भी अधिक गहराई तक लम्बा एक शिवलिंग भी है, जोकि एक मंदिर के अन्दर स्थित है।

  • दरगाह हज़रत मख़्दूम अब्दुल ग़फ़ूर शाह सफ़वी

दरगाह हज़रत मख़्दूम अब्दुल ग़फ़ूर शाह सफ़वी ज़िला मुख्यालय के होली मुहल्ला में स्थित है आप "सिलसिला ऐ चिश्तिया और सफविया खादिमिया" के बहुत बड़े सूफी हैं,आप के बहुत से चमत्कार जगज़ाहिर है आज भी आपकी दरगाह पर हज़ारो निःसन्तान दम्पति संतान के लिये अर्ज़ी लगाते है और एक साल के अंदर ही ईश्वर की इच्छा से संतान सुख प्राप्त करते हैं और फिर वार्षिक उर्स के मौके पर अपनी संतानों को मेवा,मिष्ठान और सिक्कों से तुलवाते हैं आप का उर्स इस्लामिक माह जमादिउस्सानी की 22 से 25 तारीख़ तक बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है, इस समय दरगाह से सज्जादा नशीन हाजी मुहम्मद इस्लाम सफ़वी साहब हैं।

  • अवागढ़ का किला

एटा से 22 किमी. दूर अवागढ़ में अवागढ़ किला स्थित है।यह अभी भी अच्छी हालत में है।अवागढ़ एक नगर पंचायत है। यह कई रंगों और विरोधाभासों का एक शहर है। यहां क्षत्रिय वंश के जादौन शासकों ने 108 एकड़ के प्राचीन किले का निर्माण किया, जिन्होंने करौली से प्रवास के बाद 12 वीं शताब्दी में एक छोटे से माउण्ड पर इस शानदार किले का निर्माण किया था, जो कि हरे रंग के घास के मैदानों से घिरा हुआ एक सुन्दर किला है।आगरा में अवागढ़ के राजा बलवंत सिंह जी के नाम पर एक कॉलेज बनाया गया। जिसका नाम राजा बलबन्त सिंह कालेज रखा। उन्होंने कॉलेज के निर्माण में सैकड़ों एकड़ भूमि एवं धन का दान किया था । उन्होंने शांतिनिकेतन की स्थापना के लिए रवींद्र नाथ टैगोर की भी मदद की।

  • आर्ष गुरुकुल

एटा से 3 किमी. दूर एटा रेलवे स्टेशन के नजदीक गुरुकुल विद्यालय स्थित है। यहां की यज्ञशाला प्रसिद्ध है।

  • अतरंजी खेड़ा

एटा से 20 किमी. दूर अचलपुर रोड पर प्रसिद्ध बौद्घ स्मारक स्थित है।

  • कैलाश मन्दिर

एटा शहर में स्थित इस मंदिर का निर्माण संवत 1924 में कुलश्रेष्ठ (कायस्थ) राजा दिलसुख राय बहादुर ने करवाया था | मंदिर निर्माण के साथ ही इसके आसपास के पूरे क्षेत्र का नामकरण भी कैलाशगंज हो गया है | धरातल से इस मंदिर की चोटी तक की ऊँचाई करीब 200 फुट है, जबकि शिवजी की चतुर्मुखी मूर्ति धरातल से लगभग सवा सौ फुट की ऊँचाई पर स्थित है | जमीन से लेकर मूर्ती तक का पूरा आधार ठोस है,धरातल से शिवजी की चतुर्मुखी मूर्ति तक के गर्भ स्थल में किसी प्रकार का खोखलापन नहीं है, इस ठोस गर्भ पर ही दीप के आकार में शिवजी के चारों दिशाओं में उभरे मुखों की सफ़ेद पत्थर से निर्मित मूर्ति रखी गयी है, मूर्ति के समीप ही सफ़ेद पत्थर से ही निर्मित नंदी की मूर्ति स्थापित है | इसके अलावा मूर्ति की दो विपरीत दिशाओं उत्तर व दखिण में क्रमश: गणेश व माँ पार्वती की सफ़ेद पत्थर से ही निर्मित आदमकद मूर्तियाँ स्थापित की गयी हैं | मंदिर की छत पर अजन्ता व अलोरा की तरह ही शानदार भित्ति चित्रों को उकेरा गया है, जिन्हें देखते ही श्रद्धालु खो जाते हैं | मंदिर के अन्दर पांच मंजिलों में अर्थात चतुर्मुखी मूर्ति की ऊँचाई तक 16 कमरे हैं | इसके अलावा मंदिर के धरातल के प्रांगण में एक ओर काफी विशाल सरोवर है जिसमें उतरने के लिए सीढ़ियाँ बनाई गयी हैं, सरोवर उपेक्षा के कारण ख़राब हालत में है | मंदिर के एक ओर बाग़ के लिए विशाल स्थान है, जो कि उपेक्षा का शिकार है |

108 सीढ़ियाँ चढ़नी पड़ती हैं :

मंदिर में ऊपर चढ़ने के लिए श्रद्धालुओं को 108 सीढियाँ चढ़नी पड़ती हैं, सीढियाँ 70 फुट की ऊंचाई के बाद तीन भागों में विभक्त हो जाती हैं, सबसे बाईं ओर की सीढ़ियाँ मंदिर में ऊपर जाने के लिए व दायीं ओर की सीढ़ियाँ नीचे उतरने के लिए हैं जबकि बीच में विश्राम स्थल बनाया गया है जिनका इस्तेमाल चढ़ते वक्त थक जाने वाले यात्री करते हैं |

शिवरात्रि और सावन में लगता है मेला :

फाल्गुन माह में शिवरात्रि महापर्व और श्रावण मास के दौरान मंदिर में मेले लगते हैं, इन पर्वों पर लाखों श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है, सावन के पूरे माह में पड़ने वाले सोमवार को भक्तों की विशेष भीड़ रहती है | सावन के सोमवार और महाशिवरात्रि के दौरान भक्तजन कांवरों में गंगाजल भरकर कोसों दूर की लम्बी पदयात्रा करके कैलाश मंदिर में शिवजी का जलाभिषेक कर मनौती मांगते हैं |

मंदिर के बारे में अन्य महत्वपूर्ण बातें :

1. किवदंती के अनुसार कैलाश मंदिर के नीचे एक सुरंग है जो कासगंज तक खुदी थी, सुरंग का द्वार मंदिर के ठीक नीचे है लेकिन सुरंग का द्वार सालों से बंद है जिसके कारण किसी के पास कोई ठोस जानकारी नहीं है की सुरंग कहाँ तक जाती है|

2. भारत में कहीं भी नहीं है ऐसी शिवजी की चतुर्मुखी मूर्ती |

3. सवा सौ फुट के ठोस गर्भ स्थल पर स्थित है अदभुत प्रतिमा |

4. पूरे उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में नहीं है इतना उंचा शिवजी का मंदिर |

5. धरातल से 200 फुट ऊंचा है कैलाश मंदिर |

  • काली मंदिर

एटा का काली मंदिर 43 साल पहले बना था। इस मंदिर को एटा के ही रहने वाले रामबाबू वाष्र्णेय ने बनवाया था। मंदिर में खास बात यह है कि यहां काली माता की आदमकद प्रतिमा स्थापित है, जोकि अपने आप में आकर्षक लगती है। यह प्रतिमा बरबस ही सबका ध्यान अपनी ओर खींच लेती है। शुरूआत में जब यह प्रतिमा स्थापित की गई तो यह मंदिर इतना भव्य नहीं था जितना कि आज है, लेकिन श्रद्धालुओं के बीच मंदिर की मान्यता काफी रही और इसका विकास कराने के लिए शहर के तमाम श्रद्धालु आगे आते गए और विकास कराते गए। धीरे-धीरे काली मंदिर के बराबर ही पथवारी मंदिर विकसित किया गया, जहां कई मंदिर हैं और उसमें मां दुर्गा समेत सभी देवी-देवताओं की मूर्तियां स्थापित हैं।

नवरात्र के दिनों में श्रद्धालुओं की खासी भीड़ इस मंदिर में जुटती है। वर्ष में नवदुर्गा पर्व पर मंदिर की विशेष महत्ता नजर आती है। यहां वर्ष में आने वाले दोनों नवदुर्गा पर्वों पर भंडारा होता है तथा हर रोज हवन, भजन, कीर्तन समेत कई कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। इन कार्यक्रमों में खासी तादाद में श्रद्धालु भाग लेते हैं।
  • हनुमान गढ़ी

यह सिद्ध मंदिर रेलवे रोड़ पर स्थित है। यहां हर साल होली पर मेला लगता है।

  • राम दरबार

यह मंदिर जी.टी.रोड़ पर स्थित है। इसका निर्माण संत धन्नो बाई ने करवाया था। इसमें एक कांच का शीशमहल है।

  • एटा की महाकाली

एटा की महाकाली का देश भर में डंका बजता है। स्थानीय कलाकारों की प्रतिभा और उनके हैरतअंगेज कारनामों के साथ माता महाकाली का रूप लोगों को रोमांचित करता है। जिले में कला को जीवंत करते काली मंडलों ने देशभर में खूब नाम कमाया है। 40 साल पहले शहर में कई काली मंडल रामनवमी और नवरात्र के मौके पर शहर भर में अपनी प्रतिभा दिखाते थे। इन मंडलों में 25 से 30 कलाकार होते हैं, जो कि विभिन्न धार्मिक स्वरूप धरकर शहर में जगह-जगह लोगों का मनोरंजन करते हैं। वहीं विशेष प्रदर्शन होता है काली की तलवारबाजी। काली मंडल का प्रमुख सदस्य माता महाकाली का रौद्र रूप धरकर, हाथ में तलवार लेकर निकलते हैं। बताया जाता है कि काफी वर्ष पूर्व स्व. रम्मू पान वाले, रमेश कुमार, उस्ताद कालीचरन ने मिलकर काली मंडल की परंपरा शुरू की। शुरू-शुरू में अलग-अलग मोहल्ले के लोग मिलकर धार्मिक पात्रों की भूमिका निभाते। धीरे-धीरे काली मंडलों का चलन कई मेलों और कार्यक्रमों में होने लगा। समय बदला तो काली मंडलों का महत्व बढ़ा। रामनवमी और नवरात्र पर निकलने वाली शोभायात्रा में बाहरी जिलों से आने वाले लोग काली मंडलों को बुक कर जाते हैं। जिले के काली मंडलों के प्रदर्शन ने एटा का नाम चमकाया है।

  • शिव मंदिर परसोंन

यह एटा जिला का एक प्राचीन मंदिर शिव मंदिर है। यह मुख्यालय से अलीगंज रोड पर 22 किमी दूर गोलाकुआं चौराहा के समीप परसोंन में काली नदी के तट पर स्थित है। यहाँ पर महर्षि परशुराम ने तपस्या की थी। उसी जगह पर यहाँ एक शिवलिंग प्रकट हुई। जब शिवलिंग भूगर्भ से प्रकट हुई तो उसके आधिपत्य को लेकर वहाँ परसोंन गाँव के लोगों और वहीं से 4 किमी दूर स्थित जमलापुर गाँव के लोगों मे विवाद हुआ। विवाद न्यायालय तक पहुँचा परन्तु कोई न्यायाधीश फैसला नहीं कर पाया। अतः ये फैसला दोनों पक्षों ने शिवलिंग पर ही छोड़ दिया । दोनों पक्ष शिवलिंग को बीच में करके अपने गाँव की दिशा की तरफ बैठ गये। परसोंन के व्यक्ति उत्तर दिशा में और जमलापुर के व्यक्ति दक्षिण दिशा में बैठे और शिवलिंग की पूजा की तत्पश्चात दोनों ने भगवान शंकर से प्रार्थना की कि आप जिससे पूजा और सेवा कराना चाहते है आप उसकी तरफ झुक जायें। इतनी प्रार्थना करके दोनों पक्ष अपने घर चले गये। और अगले दिन जब सुबह दोनों पक्ष वहाँ पहुचें तो सभी ने शिवलिंग को दक्षिण मे झुका हुआ पाया। तभी से आज तक वो शिवलिंग दक्षिण की तरफ झुकी है।जिसकी वजह से गाँव जमलापुर के माली लोंगों को उसकी पूर्ण जिमेदारी दे दी गई। प्रत्येक वर्ष देवछठ और शिवरात्रि को वहाँ विशाल मेला लगता है जो कम से कम दस दिन चलता है। दूर दूर से कावंडिया कावंड लाकर भगवान शिव का जलाभिषेक करते हैं। प्रत्येक वर्ष श्रावण के प्रत्येक सोमवार को वहाँ भक्तों बहुत भीड़ होती है।

ऐतिहासिक स्थल[संपादित करें]

एटा से 20 km दूर अवागढ़ किला और एटा से 20 km दूर अतरंजी खेड़ा काफी प्राचीन ऐतहासिक स्थल है।

वास्तुकला[संपादित करें]

यहां की वास्तुकला मथुरा और ब्रज के समान ही है।

एटा में कहांं ठहरने[संपादित करें]

सभी प्रमुख सुविधाओं और आस-पास के प्रमुख आकर्षणों के आसपास स्थित रणनीतिक स्थानों पर स्थित, एटा के होटल मध्यम कीमतों पर मेहमानों को आवास, भोजन और अन्य आवश्यक सुविधाएं प्रदान करते हैं। होटल माया पैलेस, होटल समीर प्लाजा, होटल रामेश्वरम, होटल ग्रैंड स्पाइस, होटल वंदना पैलेस, होटल शिखर,होटल श्री जी पैलेस आदि।

जलस्रोत[संपादित करें]

यहां की भूमि काफी उपजाऊ है,इसलिए यहां पानी की कोई कमी नहीं है। गंगा नदी के पास स्थित होने के कारण यहां का पानी मृदु और ठंडा होता है। हालाकि जहां पानी की ज्यादा जरूरत होती है वहां एटा नगर पालिका पानी उपलब्ध कराती है।

स्वास्थ्य[संपादित करें]

शहर में जिला अस्पताल,जिला महिला अस्पताल,नेत्र अस्पताल की उपलब्धता है। और तो और यहां मेडीकल कॉलेज भी है।

शैक्षिक संस्थान[संपादित करें]

प्राथमिक विद्यालयों की संख्या: 2315 यूपी की संख्या स्कूल (6 से 8): 1322 हाई स्कूलों की संख्या (9 से 10): 671 पीजी कॉलेजों की संख्या: 75 एटा में शैक्षणिक संस्थान हैं जिनमें शामिल हैं:आर्ष गुरुकुल एटा, सरस्वती विद्या मंदिर, सेंट पॉल का सीनियर सेकेंडरी स्कूल, असीसी कॉन्वेंट स्कूल (सीनियर + जूनियर), लिमरा इंटरनेशनल स्कूल, बी.एस.डी. पब्लिक स्कूल, बीपीएस पब्लिक स्कूल (ICSE & ISC), अगापे स्कूल, केंद्रीय विद्यालय, जवाहर नवोदय विद्यालय, ज्ञान भारती इंटर कॉलेज, ट्यूलिप पब्लिक स्कूल, श्री राम बाल भारती उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, डॉ। लोकमन दास पब्लिक स्कूल, एपेक्स पब्लिक स्कूल, एसबी पब्लिक स्कूल, सत्यशील पब्लिक स्कूल नगला जवाहरी, क्रिश्चियन एग्रीकल्चरल इंटर कॉलेज, जीआईसी इंटर कॉलेज (राजकीय इंटर कॉलेज, एटा, यूपी के प्रतिष्ठित स्कूलों में से एक है। 1914 में स्थापना के 100 साल पूरे हो गए। इसमें कुछ सर्वश्रेष्ठ प्रशासक, कुलपति, अन्य शिक्षाविद पैदा करने का गौरव प्राप्त है। सैन्यकर्मी, डॉक्टर, उद्योगपति और कई अन्य लोगों के इंजीनियर), अविनाश सहाय आर्य इंटर कॉलेज, गांधी स्मारक कॉलेज, जेएलएन पी. जी.कॉलेज, प्रिंटिस गर्ल्स कॉलेज, जीजीआईसी इंटर कॉलेज, गवर्नमेंट पॉलिटेक्निक कॉलेज, गवर्नमेंट आई.टी.आई और लक्ष्मी बाई इंटर कॉलेज, श्री भूमि राज सिंह लीला देवी महाविद्यालय लरामपुर अलीगंज एटा, गंजडुंडवारा पीजी कॉलेज, डॉ। जेड.एच. डिग्री कॉलेज और जवाहरलाल नेहरू डिग्री कॉलेज एटा, श्री भोले नाथ जी पब्लिक स्कूल एटा, एस. के.डिग्री कॉलेज एटा।

खेल[संपादित करें]

कुश्ती,कबड्डी,फुटबॉल और क्रिकेट यहां के लोगों के द्वारा खेले जाने वाले प्रमुख खेल हैं।

पार्क और मनोरंजन[संपादित करें]

शहर में मेहता पार्क,सुनहरी नगर पार्क,शिवदत्त उद्यान,शहीद भगत सिंह पार्क, इंद्रपुरी पार्क प्रमुख हैं। एटांं के इलाकों में मौज-मस्ती और मनोरंजन के लिए आदर्श स्थानों में घण्टा घर, हाथी गेट, ठंडी सड़क और मेहता पार्क शामिल हैं। टांगी भारतीय समोसा शिकोहाबाद रोड़ में प्राथमिक आकर्षण हैं। एटा के स्थानीय लोग आमतौर पर बाहर जाने के लिए इन स्थलों को पसंद करते हैं। एटा में समय समय पर कार्यक्रम आयोजित होते रहते हैं।जनवरी माह में एटा महोत्सव भी होता है। यहां के लोग खेलों के बहुत शौकीन हैं।सिनेमा हॉल या मल्टीप्लेक्स नहीं हैं।शिकोहाबाद रोड पर एक छोटा वाटर पार्क है।

बाजार[संपादित करें]

एटांं में विभिन्न प्रकार की दुकानें हैं, जो वस्त्र और अन्य स्थानीय रूप से निर्मित वस्तुओं को बेचती हैं। एटा के नज़दीक अवागढ़ शहर में कई आभूषण भंडार, सोने के आभूषणों की दुकानें, मिठाइयों और कपड़ों की दुकानों की बिक्री होती है। एटांं के समीप स्थित जलेसर शहर पीतल से बनी वस्तुओं के लिए प्रसिद्ध है, जिसमें सुंदर डाली की घंटियाँ शामिल हैं। यहां का मुख्य बाजार घंटाघर, हाथी गेट, बाबूगंज, गांधी मार्केट, शाह पैलेस,दास मार्केट, मंगल बाजार, पीपल अड्डा, आगरा रोड़ चुंगी प्रमुख हैं। शहर में मात्र एक मॉल उपलब्ध है।

उपयोगी सेवाएं[संपादित करें]

घंटाघर, जी.टी रोड, रेलवे रोड, पीपल अड्डा हार्डवेयर और हर तरह के सामानों के प्रमुख केंद्र हैं।

न्याय[संपादित करें]

जनपद न्यायालय, जिला जेल, किशोर न्यायालय, प्रोजेक्ट दीदी

पुलिस[संपादित करें]

सिटी कोतवाली,देहात कोतवाली,महिला थाना आदि।

सामरिक महत्व[संपादित करें]

एटा का इतिहास स्वर्णिम रहा है। सामरिक दृष्टि से शेर शाह सूरी द्वारा बनवाई गई सड़क जी. टी. रोड़ (ग्रांड ट्रक रोड)वर्तमान में राष्ट्रीय राजमार्ग-91 एटा के मध्य से होकर गुजरती है। सामरिक दृष्टि से एटा पूर्वी उत्तर प्रदेश को राजधानी दिल्ली से जोड़ता है।

मीडिया और संचार[संपादित करें]

हालांकि एटा बहुत बड़ा महानगर नहीं है, इसलिए यहां ज्यादा न्यूज चैनल नहीं है। द न्यूज एकमात्र चैनल है। किन्तु यहां पर ज्यादातर न्यूज पेपर उपलब्ध हैं। दैनिक जागरण, अमर उजाला, दैनिक भास्कर आदि न्यूज पेपर उपलब्ध हैं। यहां आकाशवाणी का केंद्र भी है।

उललेखनीय व्यक्ति[संपादित करें]

पंडित शिवदत्त,रोहनलाल चतुर्वेदी,गोस्वामी तुलसीदास जी एटा के ही सुपुत्र थे।

नजदीक जिले[संपादित करें]

*कासगंज

*हाथरस

*फ़िरोज़ाबाद

*मैनपुरी

*इटावा

*फ़र्रूख़ाबाद

*अलीगढ़

*मथुरा

*आगरा

  1. "District Census 2011". Census2011.co.in. 2011. मूल से 11 जून 2011 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि ३ जून २०१४.
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