उवट
उवट विख्यात वेद-भाष्यकार थे। आचार्य उवट कृत यजुर्वेद के 'मन्त्रभाष्य' द्वारा विदित होता है कि इनके पिता का नाम वज्रट था। साथ ही वहीं इनका जन्मस्थान आनन्दपुर कहा गया है :
- आनन्दपुरवास्तव्यवज्रटाख्यस्य सूनुना।
- मन्त्रभाष्यमिदं कृत्स्नं पदवाक्यै: सुनिश्चितै:।।
कतिपय विद्वानों के कथनानुसार ये महाराज भोज के समय ग्यारहवीं शताब्दी ईसवी में अवंतिनगरी में विद्यमान थे। उव्वट ने भोज के शासन काल में उज्जयिनी में रहकर शुक्ल यजुर्वेद की माध्यन्दिन वाजसनेयी संहिता का सम्पूर्ण चालीस अध्यायों वाला भाष्य किया था, जो उवट भाष्य के नाम से सुविख्यात है। 'भविष्य-भक्ति-माहात्म्य' नामक संस्कृत ग्रंथ इन्हें कश्मीर देश का निवासी और मम्मट तथा कैयट का समसामयिक बताता है:
- उवटो मम्मटश्चैव कैयटश्चेति ते त्रय:।
- कैयटो भाष्यटीकाकृदुवटो वेदभाष्यकृत्।। -भविष्य-भक्ति-माहात्म्य, पृ. ३१८
इन्होंने शुक्ल यजुर्वेद की काण्व शाखा का भाष्य और ऋग्वेदीय शौनक प्रातिशाख्य नामक ग्रंथ की रचना की। कुछ लोगों का कहना है कि ऋग्वेदीय शौनक प्रातिशाख्य भाष्य करने के बाद इन्होंने ऋग्वेद का भाष्य भी रचा था।