उत्तराखंड आंदोलनकारी नन्द किशोर नौटियाल

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उत्तराखंड आंदोलनकारी नन्द किशोर नौटियाल (Uttarakhand statehood activist Nand Kishor Nautiyal)

नन्दकिशोर नौटियाल 'शेर-ए-गढ़वाल कप्तान राम प्रसाद नौटियाल स्मृति न्यास' के तत्वावधान में आयोजित एक सभा में वीर जयानंद भारतीय पर व्याख्यान देते हुए।


उत्तराखण्ड राज्य आन्दोलनकारी नन्द किशोर नौटियाल का जन्म 5 सितंबर 1958 को उत्तराखंड राज्य के पौड़ी जिले के गाँव काँड़ा (बीरोंखाल) में हुआ।


छात्र जीवन और छात्र राजनीति में प्रवेश [संपादित करें]

प्राथमिक विद्यालय काँड़ा, हाई स्कूल पाली और इंटर कॉलेज सिद्धखाल से विद्यालयी शिक्षा प्राप्त करने के पश्चात नन्दकिशोर उच्च शिक्षा प्राप्त करने हेतु कोटद्वार गए। वर्ष 1978 में वहाँ राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय के राजनीति संकाय के अध्यक्ष चुने गए। पढ़ाई पूरी करने के बाद रोजी-रोटी की खोज में दिल्ली गए और वहाँ विभिन्न कॉलेजों के पर्वतीय छात्रों तथा पृथक उत्तराखंड राज्य की मांग को लेकर संघर्षरत युवाओं को साथ लेकर वर्ष 1984 में दिल्ली के आर.के. पुरम में ‘उत्तराखंड युवक संघ’ की स्थापना की।

पूर्णकालिक उत्तराखंड आंदोलनकारी बनना[संपादित करें]

इस बीच नन्द किशोर नौटियाल का संपर्क उत्तराखंड के गांधी कहे जाने वाले इन्द्रमणि बडोनी से हुआ। बडोनी से प्रभावित होकर नंदकिशोर ने अपनी नौकरी से त्यागपत्र दे दिया और अपने पैतृक गाँव लौट आए। वर्ष 1990 में ‘नागरिक मंच’ के माध्यम से पृथक उत्तराखंड राज्य की मांग हेतु क्रमिक अनशन आरंभ किया।

वर्ष 1994 की दिल्ली चलो रैली और कुख्यात मुजफ्फर नगर कांड[संपादित करें]

अलग उत्तराखंड राज्य की मांग को लेकर अक्तूबर,1994 में एक ऐतिहासिक रैली आहूत की गई थी। 3 अक्टूबर को दिल्ली से लौटते समय रामनगर में कुख्यात मुजफ्फर नगर कांड और रामपुर तिराहा गोलीकांड को लेकर छपी घटनाओं को पढ़कर तमाम आंदोलनकारी उग्र हो गए। सैकड़ों आंदोलनकारियों ने रामनगर थाने को घेर लिया। पुलिसवालों को थाना छोडकर भागना पड़ा। मोहान चौकी पर हमला बोलने और मरचूला स्थित पुलिस चौकी व चुंगी में पुलिसकर्मियों से हथियार छीनने संबंधी घटनाओं में नंद किशोर का नाम प्रमुखता से सामने आया।

गिरफ्तारियाँ[संपादित करें]

इसके बाद व्यापक धरपकड़ और छापेमारी के बीच नवम्बर, 1994 को नन्द किशोर को कोटद्वार में पृथक राज्य आंदोलन के दौरान धारा 144 के उल्लंघन करते हुए गिरफ्तार कर जेल भेजा गया। वर्ष 1996 लोकसभा हेतु चुनावी प्रक्रिया में अभ्यर्थियों के नामांकन का विरोध करने के दौरान नंदकिशोर को सरकारी कार्य में बाधा उत्पन्न करने और निर्वाचन प्रक्रिया बाधित करने के अभियोग में पुनः गिरफ्तार किया गया।

चुनावों का बहिष्कार और खाली मत-पेटियाँ भिजवाना[संपादित करें]

वर्ष 1996 में उत्तराखंड आंदोलन के चलते मत बहिष्कार के साये में हुए चुनावों के दौरान बीरोंखाल ब्लॉक क्षेत्र में मत प्रतिशत बहुत कम रहा। यहाँ तक कि काँड़ा, कमड़ई, घोडपाला, बाड़ाडांडा, कण्डूली, कोटा, पखोली आदि मतदान केन्द्रों से खाली मत-पेटियाँ भेजी गईं।

नन्दकिशोर नौटियाल 'उत्तराखंड राज्य सरकार द्वारा जारी किया गया सम्मान परिचय पत्र।

उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी सम्मान[संपादित करें]

लगभग पंद्रह वर्ष तक लगातार उत्तराखंड राज्य आंदोलन में सक्रिय रहे नन्द किशोर नौटियाल के योगदान को सम्मानित करते हुए उत्तराखंड राज्य सरकार ने वर्ष 2012 में उन्हें उत्तराखण्ड राज्य आन्दोलनकारी’ सम्मान प्रदान किया। इसके अंतर्गत उत्तराखंड आंदोलनकारियों को एक सम्मान परिचय पत्र दिया प्रदान किया गया और मासिक सम्मान राशि के के नाम से मासिक पेंशन आरंभ की गई।

सन्दर्भ[संपादित करें]

https://www.jagran.com/uttarakhand/dehradun-city-uttarakhand-news-rampur-tiraha-kand-happened-on-2nd-october1994-23113221.html https://www.jagran.com/uttarakhand/dehradun-city-pension-of-uttarakhand-state-agitators-increased-now-the-will-get-this-much-pension-every-month-22303395.html https://www.indiavotes.com/vidhan-sabha-details/2002/uttarakhand/bironkhal/56/24352/160 https://www.indiavotes.com/vidhan-sabha-details/2007/uttarakhand/bironkhal/56/29153/192

इन्हें भी देखें[संपादित करें]