अबोध
अबोध | |
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अबोध का पोस्टर | |
निर्देशक | हिरेन नाग |
निर्माता | राजश्री प्रोडक्शन्स |
अभिनेता |
तापस पाल, माधुरी दीक्षित शीला डेविड, दिनेश हिंगू, लीला मिश्रा, अशोक सर्राफ, विनोद शर्मा, |
संगीतकार | रवीन्द्र जैन |
प्रदर्शन तिथि |
10, अगस्त 1984 |
देश | भारत |
भाषा | हिन्दी |
अबोध 1984 में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है। ये फिल्म माधुरी दीक्षित की पहली फिल्म होने के लिये जानी जाती है।[1]
संक्षेप
[संपादित करें]भोली, बालवत और अकालिक, गौरी अपने माता-पिता के साथ एक छोटे से शहर में रहती है। एक मेले में, वह शंकर के साथ एक बहस में आती है। इसके तुरंत बाद, गौरी को बताया जाता है कि उसकी शादी की व्यवस्था की गई है। पहले गौरी रोमांचित होती है, फिर उसे पता चलता है कि उसका दूल्हा शंकर है, लेकिन आखिरकार इस विवाह के लिये वो मान जाती है। शंकर के निवास पर पहुँचने के बाद, वह शंकर के छोटे भाई के साथ अपना अधिकांश समय बिताती है। उसके पति को यह महसूस हुआ कि गौरी अभी तक परिपक्व नहीं हुई है। वह उसके साथ घनिष्ठ होने में असमर्थ है। गौरी जल्द ही ऊब जाती है, और अपने माता-पिता के घर में फिर से चली जाती है, जहां वह कई महीनों तक रहती है। यहाँ वह वास्तव में बड़ी होती है, शादी और अंतरंगता के महत्त्व को महसूस करती है। तब वह शंकर के घर लौट आती है, जहां उसका स्वागत होता है - हालांकि काफी गर्मजोशी से नहीं। गौरी को यह महसूस होना शुरू हो गया कि उसके बचकानेपन ने उसके और शंकर के बीच दूरी बनाई है। वह दूसरे शहर में अध्ययन करने के लिए चला गया है। कई महीनों तक परिवार को उसके बारे में कोई खबर नहीं मिलती है। शंकर के पिता गजानन सिंह छात्रावास का दौरा करते हैं जहां उनका बेटा रहता है। हालांकि, गजानन ने पाया कि शंकर ने छात्रावास छोड़ दिया है। 3 महीने के लिए, शंकर गायब हो गया। अंत में, शंकर गौरी के बचपन की दोस्त रत्ना से इत्तिफ़ाक़ से मिलता है। रत्ना से बात करने के बाद, शंकर को पता चलता है कि गौरी परिपक्व हो गई है और उससे प्यार करती है। वह गौरी से मिलने के लिए वापस दौड़ चला जाता है। वे दोनों में सुलह हो जाती और दोनों खुशी से रहते हैं
मुख्य कलाकार
[संपादित करें]- तापस पाल, शंकर
- माधुरी दीक्षित, गौरी
- शीला डेविड, रत्ना
- विनोद शर्मा - शंकर के पिता
- दिनेश हिंगू - फोटोग्राफर
- लीला मिश्रा, शंकर की दादी
- सविता प्रभुने - गौरी की भाभी
- अशोक सर्राफ, हनुमान
- मोहन चोटी
संगीत
[संपादित करें]- गीतकार और संगीतकार - रवीन्द्र जैन
- चन्द्र बाल शोबितम - हेमलता
- साम्ब सदा शिव - के॰ जे॰ येशुदास
- घिर आए मेघ पर्बत पे - हेमलता
- मंदिर की मूर्ति सी - हेमलता, सुरेश वाडकर
- तुझे देखने को तरसती है - सुरेश वाडकर
- घनी घनी अमरिया - हेमलता
- घनी घनी अमरियो (भाग-2) - हेमलता
सन्दर्भ
[संपादित करें]- ↑ विनोद विप्लव. हिंदी सिनेमा के 150 सितारे. प्रभात प्रकाशन. पृ॰ माधुरी दीक्षित अनुभाग. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 9789350482957.
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(मदद)
बाहरी कड़ियाँ
[संपादित करें]अबोध को विक्षनरी में देखें जो एक मुक्त शब्दकोश है। |