अनुच्छेद 355 (भारत का संविधान)

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अनुच्छेद 355 (भारत का संविधान)  
मूल पुस्तक भारत का संविधान
लेखक भारतीय संविधान सभा
देश भारत
भाग भाग 18
प्रकाशन तिथि 1949
पूर्ववर्ती अनुच्छेद 354 (भारत का संविधान)
उत्तरवर्ती अनुच्छेद 356 (भारत का संविधान)

भारत के संविधान में अनुच्छेद 355 को भाग 18 में रखा गया है। [1]भारत के संविधान में अनुच्छेद 355 का मुख्य विषय " बाहरी आक्रमण और आंतरिक अशांति से राज्यों की रक्षा करना संघ का कर्तव्य " है। अनुच्छेद 355 द्वारा संघ को राज्यों की सुरक्षा और रक्षा का कर्तव्य प्राप्त होता है और यह सुनिश्चित करना होता है कि देश बाहरी आक्रमण और आंतरिक अशांति से सुरक्षित रहे।[2]

पृष्ठभूमि[संपादित करें]

  • अनुच्छेद 355 में उल्लिखित है कि संघ का प्रमुख कर्तव्य है कि वह प्रत्येक राज्य को बाहरी आक्रमण और आंतरिक अशांति से बचाए।
  • यहाँ उल्लेखनीय है कि संघ का मुख्य ध्येय है सभी राज्यों की रक्षा और सुरक्षा का आश्वासन करना।[3]
  • अगर किसी राज्य पर बाहरी आक्रमण होता है या आंतरिक अशांति पैदा होती है, तो संघ को इसे नियंत्रित करने और सुरक्षित रखने का काम होता है।
  • अनुच्छेद 355 यह भी सुनिश्चित करता है कि संघ को यह देखना चाहिए कि प्रत्येक राज्य अपने कानूनों और संविधान के प्रावधानों का पालन कर रहा है।
  • अनुच्छेद 355 के तहत, केंद्र सरकार को विशेष अधिकार और प्राधिकार है ताकि वह बाहरी आक्रमण या आंतरिक अशांति के समय में राज्यों की सुरक्षा और सुरक्षा को सुनिश्चित कर सके।
  • अनुच्छेद 355 का मुख्य उदेश्य यह है कि केंद्र सरकार यदि किसी राज्य में गंभीर स्थिति का सामना कर रही हो तो वह उस राज्य के खास क्षेत्रों को नियंत्रित करने के लिए उपाय कर सकती है।[4]

अनुच्छेद 355 के पूर्ववर्ती उपयोग[संपादित करें]

(1) जब भाजपा शासित राज्यों में गिरिजाघरों पर हमले हो रहे थे, तब के संसदीय कार्य मंत्री वायलार रवि ने अनुच्छेद 355 का संशोधन करके सुझाव दिया था। इस संशोधन के माध्यम से केन्द्र सरकार को राज्य के कुछ खास क्षेत्रों को नियंत्रित करने की अनुमति दी गई थी ताकि सुरक्षा की स्थिति को नियंत्रित किया जा सके।[5]

( 2 ) मणिपुर में हालात बिगडने की स्थिति में केंद्र सरकार ने आर्टिकल 355 का प्रयोग कर मणिपुर में स्थिति को संभालने का कार्य किया।[6] आर्टिकल 355 के अनुसार, संघ का कर्तव्य होता है कि वह किसी भी राज्य में बाहरी आक्रमण या आंतरिक अशांति की स्थिति में सुरक्षा का काम करे।[7]

मूल पाठ[संपादित करें]

इन्हें भी पढ़े[संपादित करें]

संदर्भ सूची[संपादित करें]

  1. "भारत का संविधान" (PDF). अभिगमन तिथि 2024-04-20.
  2. "Article 355: Duty of the Union to protect States against external aggression and internal disturbance". Constitution of India (अंग्रेज़ी में). अभिगमन तिथि 2024-04-20.
  3. "अनुच्छेद 355 और संवैधानिक तंत्र में व्यवधान". Drishti IAS (अंग्रेज़ी में). अभिगमन तिथि 2024-04-20.
  4. "भारत के संविधान का अनुच्छेद 355". Indian Kanoon. अभिगमन तिथि 2024-04-20.
  5. "राष्ट्रपति शासन", विकिपीडिया, 2024-02-09, अभिगमन तिथि 2024-04-20
  6. "Article 355, A Step Away From President's Rule, In Manipur Now: Opposition". NDTV.com. अभिगमन तिथि 2024-04-20.
  7. "The Mysterious Case of the Imposition of Article 355 in Manipur". The Wire (अंग्रेज़ी में). अभिगमन तिथि 2024-04-20.
  8. (संपा॰) प्रसाद, राजेन्द्र (1957). भारत का संविधान. पृ॰ 194 – वाया विकिस्रोत. [स्कैन विकिस्रोत कड़ी]
  9. (संपा॰) प्रसाद, राजेन्द्र (1957). भारत का संविधान. पृ॰ 194 – वाया विकिस्रोत. [स्कैन विकिस्रोत कड़ी]