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शैतान (इस्लाम)

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शैतान (इस्लाम) (अंग्रेज़ी: Shaitan): इस्लाम में बुरी आत्माएं हैं मनुष्यों (और जिन्न) को "फुसफुसाते हुए" उनके दिलों में उकसाती हैं। कुरआन और हदीस में इसका वर्णन हुआ है। इस्लाम में शैतान बुराई का प्रतीक है।[1]शैतान या राक्षसों के बारे में विश्वास करने वालों के अध्ययन को डेमेनोलॉजी कहते हैं।

इस्लाम के विद्वान प्रोफेसर जियाउर्रहमान आज़मी के अनुसार शैतान का अर्थ है दुष्टत्मा, जो लोगों को बहकाकर कुमार्ग पर चलाता है। यह कोई स्थायी जीव नहीं है। बल्कि मनुष्यों और जिन्न में में जो दुष्टत्मा लोग हैं, उन्हीं को शैतान कहा गया है।[2] हज के वक़्त शैतान को पत्थर मारने की रस्म होती है।[3]

  • शैतान तुम्हें निर्धनता से डराता है, तथा निर्लज्जता के कामों पर उकसाता है। (सूरा-2, अल-बक़रा, आयत-268)
  • शैतान से बचने के लिए अनिवार्य है कि मुसलमान हर समय उससे अल्लाह की शरण माँगे। कुरआन में इसी की ओर संकेत किया गया है-

(ऐ रसूल) तुम कह दो मैं लोगों के परवरदिगार, लोगों के बादशाह, लोगों के माबूद की (शैतानी), वसवसे की बुराई से पनाह माँगता हूँ, जो अल्लाह के नाम से) पीछे हट जाता है जो लोगों के दिलों में वसवसे डाला करता है, जिन्नात में से ख्वाह आदमियों में से। [कुरआन: 114:1-6]

  • इसी तरह हमने मनुष्यों तथा जिन्नों में से शैतानों को प्रत्येक नबी का शत्रु बनाया, जो चिकनी-चुपड़ी बात एक-दूसरे के मन में डालकर धोखा देते थे [सूरा-6, अल-अनआम, आयत-2]
  • ऐ ईमानवालो, यह मदिरा, जुआ, देवस्थान, तथा पासे शैतान के गन्दे काम हैं तो इनसे बचो ताकि तुम सफल हो सको| (सूरा-5, अल-माइदा, आयत-90)

शैतान को पत्थर मारना

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2006 हज के दौरान अक़बा के जमराह में हाजी

शैतान को पत्थर मारना (अरबी: [رمي الجمرات] Error: {{Lang}}: text has italic markup (help)[रमी अल-जमरात] Error: {{Transliteration}}: transliteration text not Latin script (pos $1) (help))[4]> सउदी अरब के मक्का में इस्लामिक हज के हाजियों द्वारा किया जाने वाला एक भाग है। इस धार्मिक कार्य के अन्तर्गत मका के ठीक पूर्व में स्थित मीना नगर में मुस्लिम हाजी तीन दीवारों (पूर्व में स्तम्भ थे) जिन्हें जमरात कहा जाता है, पर पत्थर फैंकते हैं। यह हज के दौरान किये जाने वाले अत्यावश्यक तीन कार्यों में से एक है।

सन्दर्भ:

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  1. "इस्लाम में शैतान बुराई का प्रतीक". saednews.com (फ़ारसी में). 1 जून 2021.
  2. प्रोफेसर जियाउर्रहमान आज़मी, कुरआन मजीद की इन्साइक्लोपीडिया (20 दिसम्बर 2021). "शैतान". www.archive.org. पृष्ठ 629.
  3. "हज के वक़्त शैतान को पत्थर क्यों मारते हैं? shaitan ko pathar marna in hajj". Bahare Shariat. 16 अगस्त 2022.[मृत कड़ियाँ]
  4. बर्टन, रिचर्ड फ़्रांसिस (1857). Personal Narrative of a Pilgrimage to El Medinah and Meccah. पृ॰ 226. मूल से 9 अप्रैल 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 1 जनवरी 2017. The word jamrah is applied to the place of stoning, as well as to the stones.