त्रिकारणशुद्धि

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विचार, वचन और कर्म की एकता और पवित्रता

त्रिकारणशुद्धि, संस्कृत भाषा का एक शब्द है, जो (1) विचार (2) शब्द और (3) कर्म - तीनों के बीच की एकता (और उस एकता की पवित्रता) को दर्शाता है। इसे विचार, भाषण, और कर्म की शुद्धता और सद्भाव के रूप में भी समझा जाता है।[1] अंग्रेज़ी की कहावत 'Talk your Thought, Walk your Talk' के पीछे का गूढ़ अर्थ भी इससे मिलता-जुलता है।

त्रिकारणशुद्धि का नेतृत्व-कुशलता से संबंध शोध का विषय रहा है।[2][3] भारतीय आध्यात्म में भी इस संबंध की व्याख्या की गई है। यह व्याख्या महान लोगों (महात्माओँ) के संदर्भ में कुछ इस रूप में की गई है-

"मनस्सेकम्, वाचस्सेकम, 'कर्मण्येकम् महात्मानम्"।

इन्हें भी देखें[संपादित करें]

संदर्भ[संपादित करें]

  1. Rousseau, Barbara (2013). Your Conscious Classroom: The Power of Self-Reflection. Bloomington, IN: Balboa Press. पृ॰ 62.
  2. Sankar R N, Ajith (2012). "Ascertaining Linkages between Trikaranasuddhi and 'Tapping Spirituality as the Context of Leadership'". SSRN 2212138. Cite journal requires |journal= (मदद)
  3. Sankar R N, Ajith (2013-02-18). "Building a Case for Linking Trikarana Suddhi with the Emerging Theme of Spirituality at Work and as a Context for Leadership". SSRN 2220587. Cite journal requires |journal= (मदद)