ग्वालबीना

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से
ग्वालबीना (मल्ला चौकोट)
विधान सभा - सल्ट
लुआ त्रुटि Module:Location_map में पंक्ति 422 पर: No value was provided for longitude।
देश भारत
राज्यउत्तराखंड
जनपद अल्मोड़ा
भाषा
 • आधिकारिकहिंदी
 • बोलचाल की भाषाहिंदी , कुमाऊनी व अन्य
समय मण्डलआईएसटी (यूटीसी+5:30)
PIN263656
टेलीफोन कोड05966
ग्राम ग्वालबीना का दृश्य
ग्वालबीना का दृश्य

ग्वालबीना गाँव, अल्मोड़ा जिले के सल्ट विधानसभा क्षेत्र में स्याल्दे ब्लॉक में ग्रामपंचायत ग्वालबीना के अंतर्गत आता है। ग्वालबीना गाँव, जौरासी क्षेत्र में सबसे प्राचीन गाँवों में से एक है ब्रिटिश काल में इस गाँव को राजा खुशाल सिंह, दौलत सिंह व उनके पुत्र प्रेम सिंह उर्फ मोहन सिंह द्वारा बसाया गया था। उस समय राजा दौलत सिंह का राज्य कैहैड़ गाँव से चिंतू मनाड़ि (गढ़वाल) तक फैला था। भारत के आजाद होने के बाद इसका विलय कर दिया गया।

पृष्ठभूमि[संपादित करें]

ग्वालबीना गाँव का विवरण :

  • विधानसभा क्षेत्र - सल्ट
  • विधानसभा चुनाव २०१७ के अनुसार विधानसभा क्षेत्रों के विधायक-
  • सल्ट - सुरेन्द्र सिंह जीना (भाजपा)

ग्रामपंचायत:

  • ग्वालबीना

ग्वालबीना ग्रामपंचायत में आने वाले गाँव :

  • ग्वालबीना, सोगड़ा मल्ला, सोगड़ा तल्ला, गवांखील, कालीगाड़ व कुणाखाल।

दर्शनीय स्थल[संपादित करें]

  • मृत्युंजय महादेव मंदिर: यह पौराणिक मंदिर ग्रामसभा ग्वालबीना व कफलटाना की सयुंक्त सरहद पर स्तिथ है। स्थानीय लोगों द्वारा खुदाई के दौरान यहाँ पर प्राचीन दुर्लभ मूर्तियां व शिवलिंग प्राप्त हुआ था। जिसके बाद दोनों ग्रामसभा के निवासियों द्वारा यहाँ पर शिवालय की स्थापना की गयी थी। यहाँ पर सड़क मार्ग न होने के कारण इस मदिर की जानकारी स्थानीय निवासिओं तक ही सीमित है।
मृत्युंजय महादेव मंदिर
जौरासी मंदिर का दृश्य
  • जौरासी भगवती मंदिर- भगवती मंदिर जौरासी के बीच में स्थित है और बाबा ओमी द्वारा बनाया गया है। पुराने लोगों के कहावत के अनुसार इस मंदिर का निर्माण ओम बाबा (अभी उनको ओमी बाबा के नाम से भी जाना जाता है) द्वारा किया गया था। ये उस समय की बात है जब हमारा देश अलग अलग रियासतों में बंटा था और उस समय गवालबीना के राजा श्री दौलत सिंह जी द्वारा यहां पर भगवती माता की मूर्ति की स्थापना की गई थी। अब यहां हर वर्ष चैत्र मास के नवमी को जौरासी के मेले का भी आयोजन किया जाता है।
  • भैरव मंदिर - जौरासी से 1.5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहां से हिमालय के दर्शन किये जा सकते हैं। अग्रेजों द्वारा बसाया गया बंगला भी है जो अब फारेस्ट विभाग द्वारा गेस्ट हाउस में तब्दील कर दिया है।
असुरगढ़ी मंदिर
  • असुरगढ़ी मंदिर - लगभग 7000 फुट की ऊंचाई स्तिथ जौरासी क्षेत्र में सबसे ऊँची जगह पर स्तिथ है। ये असुर माता का मंदिर है। स्थानीय लोगों द्वारा इसका नाम बदलकर असुरगढ़ी मंदिर रख दिया है। भाद्र मास की पहली तारीख में घी सक्रांति के दिन यहां पर हर वर्ष मेला भी लगता है।
कत्यूरी राजाओं का किला, लखनपुर
  • लखनपुर मंदिर - जौरासी क्षेत्र के लखनपुर कोट के उडलिखान गांव के ऊपर पहाडी पर स्थित है जो पाली के कत्यूरी शासकों का किला हुआ करता था। अब यह खंडहर मे तब्दील हो चुका है, यहाँ के तरासे हुए पत्थरों को ठेकेदारों ने सड़क निर्माण में दफन कर दिए हैं। ऐतिहासिक महत्व की अनेक वस्तुएं जमीन के गर्त में समा गई है, इस पहाड़ी के नीचे की ओर महलों व किलों के खंडहर अभी भी विद्यमान है। राजा वीरम देव यहाँ के अंतिम शासक थे तथा इस किले के 200 मीटर नीचे व हाट गांव के ऊपर वीरम देव का नौला अभी भी बना हुआ है और यह बारह मास पानी भरा रहता है। उस समय पीने के पानी की आपूर्ति इन्हीं नौलों से होती थी। यहाँ पर नर्सिंग भगवान का मंदिर, नौ लाख कत्यूरी मंदिर, सरस्वती मंदिर, गायत्री मंदिर, शेषावतार मंदिर, हनुमान मंदिर, लक्ष्मण मंदिर, 108 शिवलिंग आदि स्थापित है। इसके अलावा यहां पर एक विशाल घंटा, यज्ञशाला, साधना कक्ष, कत्यूरी झूला तथा स्वर्ग सीढ़ी विद्यमान हैं। यहाँ से कत्यूरी रानियों के स्नान के लिए एक सुरंग का निर्माण किया गया था जिसके अवशेष अभी भी विद्यमान हैं।
  • जौरासी भगवती मंदिर- भगवती मंदिर जौरासी के बीच में स्थित है और बाबा ओमी द्वारा बनाया गया है।
  • भैरव मंदिर- साँचा:ग्वालबीना} से लगभग 3.0 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहां से हिमालय के दर्शन किये जा सकते हैं। अग्रेजों द्वारा बसाया गया बंगला भी है जो अब फारेस्ट विभाग द्वारा गेस्ट हाउस में तब्दील कर दिया है।
  • असुरगढ़ी मंदिर- लगभग 7000 फुट की ऊंचाई स्तिथ जौरासी क्षेत्र में सबसे ऊँची जगह पर स्तिथ है। ये असुर माता का मंदिर है। स्थानीय लोगों द्वारा इसका नाम बदलकर असुरगढ़ी मंदिर रख दिया है। भाद्र मास की पहली तारीख में घी सक्रांति के दिन यहां पर हर वर्ष मेला भी लगता है।
    असुरगढ़ी मंदिर का दृश्य

इन्हें भी देखें[संपादित करें]

सन्दर्भ[संपादित करें]