सदस्य:Nidhi1997/मंगलौर की संस्कृति

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मंगलौर कर्नाटक राज्य के मुख्य बंदरगाह शहर हैं। यह एक बहुसांस्कृतिक शहर है, जहां विविध धार्मिक, भाषाई,प्रवासी वर्गीकरण के लोग रेहेते है। मंगलौर की संस्कृति, दक्षिण भारतीय नृत्य-नाटक, नृत्य,थिएटर का एक अंग है। इतना ही नहिं अपने व्यंजनों से भी दुनिया भर में मशहूर हो रहा है। मंगलौर के सबसे प्रसिद्ध नृत्य-नाटक, यक्षगान है। यक्षगान एक थियटर रूप है जो नृतिय,संगीत,संवाद,वेशभूषा,मेकअप और मंच तकनीकों को एक अनूठी शैली और फार्म से जोड़ती है। ये थियेटर शैली पश्चिमी ओपेरा जैसे दिखता है। यक्षगान परंपरागत रूप से सुबह से शाम तक प्रस्तुत किया जाता है।

मंगलौर

तुलुवा संस्कृति[संपादित करें]

यक्षगान एक रात भर नृत्य और नाटक का प्रदर्शन हे जिसे तुलुवास बड़ी धूमधाम के साथ अभ्यस करते है। पिलियासा एक लोक नृत्य का अनोखा रूप है, इस क्षेत्र में, जो युवाओं और बूढ़े लोगोंको एक समान आकर्षित करता है। इस नृत्य को मार्नेमी और कृष्णा जन्माष्टमी के दौरान किया जाता है। करडी वेषा (भालू नृत्य), एक और अधिक लोकप्रिय नृत्य, द्शहरा के दौरान मंगलौर में प्रदर्शन किया जाता है। तुलुवा के लोग, भुटा कोला या आत्मा की पूजा, जो आमतौर पर रात में किया जाता है, उसका अभ्यास करते हैं। 'कोरिकट्टा' (मुर्गा लडाई) लोगों के लिए एक और पसंदीद खेल है। ग्रामीण क्षेत्रों में 'दैवस्थानंस' (मंदिरों) के साथ जुडे एक प्राचीन अनुष्ठान, हिन्दु कोलि केट्टाु, अर्थात मुर्गा लड़ाई, मंदिरों में आयोजित की। 'नागराधाने' या 'नाग पूजा' तुलु नाडू में प्रचलित है और इसे सांस्कृतिक के रूप में आयोजित किया जाता हैं। तुलुवास येह विशवास करते हैं कि, नागा देवता, भूमीगत हो जाता है और शीर्ष पर प्रजातियों की रक्षा करता हैं।

कोंकणी संस्कृति[संपादित करें]

मंगलौर में, करीब २२ कोंकणी जातीय समुदाय रहते हैं। इन के अलावा वहाँ अन्य, गौड़ सारसस्वत ब्राहमण, मंगलोरियन कैथोलिक, दैवजन ब्राहमण, कुडमी, खारवी आदी कोंकणी समुदाय रहते हैं। येह समुदाय कोंकणी भाषा बोलते हैं। धार्मिक त्योहारों, जैसे कोंकणी मंदिरो में कार त्योहार, 'शिग्मो' कुडमी समुदाय का त्योहार, कैथेलिक के सन्तमेरी त्योहार, कोंकणी संस्कृति को जीवित रखता है।

त्योहार[संपादित करें]

गणेश चतुर्थी त्योहार हर साल मनाया जाता हैं। इस त्योहार में गणेश जी की मूर्तियों को खडा किया जाता हैं, उनकि पूजा किया जाता हैं और फिर उन्हे पानी में विसर्जित किया जाता हैं। 'कोडियल थेॠ' या 'मंगलौर रथोत्सव' जि॰ यस॰ बी॰ समुदाय के प्रमुख त्योहारों में से एक हैं, जो श्री वेंकटरमण की कार त्योहार मनाता हैं। 'मोंटी त्योहार' मंगलोरियन कैथोलिक समुदाय के प्रमुख त्योहारों में से एक हैं। वे क्रिसमस और नई फसलों के आशीर्वाद का जश्न मनाते हैं। दी जैन मिलान, जो जैन समुदाय का एक समिति हैं, 'जैन फूड फेस्टिवल' का आयोजन प्रतिवर्ष करतें हैं। एक साथ जैन समुदाय के सभी सदस्यों को एक साथ लाने के दृष्टि कोण से किया जाता हैं। सभी धर्मो के लोग 'मोसर कुडिके' में भाग लेतें हैं, जो समारोह का एक हिस्सा, कृष्ण जन्माष्टमी त्योहार चिन्हित करने के लिय हैं। २००६ में 'द तुलु फेस्टिवल' का आयोजन मंगलौर में किया गया था।

व्यंजन[संपादित करें]

'लाॉबस्टर निरूली' मंगलौर के एक तटीय शहर के एक स्तानीय लोकप्रिया भोजन हैं। 'नीर डोसा' एक अलग प्रकार का डोसा हैं, जो मंगलौर का अपना व्यंजन हैं। 'मंगलोरियन करी' में, नारियल, करी पत्ता, अदरक, लहसून और मिर्च का बहुत इस्तेमाल किया जाता हैं। तुलु समुदाय के व्यंजन में 'कोरी रोटी', 'बनगुडे पुलीमूंछ', 'बीज मनोली', 'उपकारी', 'नीर डोसा' और 'पत्रोडे' शामिल हैं। ह्पपला, संडिगे, और पुलि मुंची मंगलौर के लिए अदवितीय हैं। 'खलि' (ताडी),एक देसी दारू हैं, जो नारियल के फूल के रस से तैयार किया जाता हैं। येह मंगलौर का प्रसिद्ध शराब है। क्योंकि मंगलौर एक तटीय शहर हैं, मछली ज्यादातर लोगों का मुख्य आहार बनता हैं।

सन्दर्भ[संपादित करें]

[1] [2] [3]

  1. http://www.allaboutmangalore.com
  2. http://blessingsonthenet.com/travel-india/destination/article/id/80/tour/id/56/history-of--mangalore
  3. http://www.mangaluruonline.in/city-guide/about-mangalore