बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना | |
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संस्थापक | भारत सरकार |
देश | भारत |
प्रधानमन्त्री | नरेंद्र मोदी |
आरम्भ | 22 जनवरी 2015 |
वर्तमान स्थिति | सक्रिय |
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना (BBBP) महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ,स्वास्थ्य मंत्रालय और [1][2] परिवार कल्याण मंत्रालय एवं मानव संसाधन विकास की एक संयुक्त पहल के रूप में समन्वित और अभिसरित प्रयासों के अंतर्गत बालिकाओं को संरक्षण और सशक्त करने [3] के लिए बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना की शुरुआत 22 जनवरी, 2015 को की गई है और जिसे निम्न लिंगानुपात वाले 100 जिलों में प्रारंभ किया गया है। सभी राज्यों / संघ शासित क्षेत्रों को कवर 2011 की जनगणना के अनुसार निम्न बाल लिंगानुपात के आधार पर प्रत्येक राज्य में कम से कम [4]
एक ज़िले के साथ 100 जिलों का एक पायलट जिले के रूप में चयन किया गया है।
भारत की जनसंख्या तेजी से बढ़ रही है पर सबसे अधिक दुर्भाग्य की बात ये है कि बढती जनसंख्या के बावजूद लड़कियों का अनुपात घटता जा रहा है। भारत की 2001 की जनगणना के अनुसार, हर हजार लड़कों पर 927 लडकियाँ थी, हालांकि 2011 की जनगणना में ये आंकडें 943 लड़कियों पर आ। क्या आपको पता है UNICEF ने भारत को बाल लिंग अनुपात (Child Sex Ratio) में 195 देशों में से 41वाँ स्थान दिया है। यानि की हम लिंग अनुपात में 40 देशों से पीछे हैं।
योजना के उद्देश्य
[संपादित करें]- पक्षपात लिंग चुनाव की प्रक्रिया का उन्मूलन बालिकाओं का अस्तित्व और सुरक्षा सुनिश्चित करना।
- बालिकाओं की शिक्षा सुनिश्चित करना।
- बालिकाओं को शोषण से बचाना व उन्हें सही/गलत के बारे में अवगत कराना।
- इस योजना का मुख्य उद्देश्य शिक्षा के माध्यम से लड़कियों को सामाजिक और वित्तीय रूप से स्वतंत्र बनाना है।
- लोगों को इसके प्रति जागरुक करना एवं महिलाओं के लिए कल्याणकारी सेवाएं वितरित करने में सुधार करना है।
- इस योजना के तहत मुख्य रूप से लड़के एवं लड़कियों के लिंग अनुपात में ध्यान केन्द्रित किया गया है. ताकि महिलाओं के साथ हो रहे भेदभाव और सेक्स डेटरमिनेशन टेस्ट को रोका जा सके।
- इस योजना का उद्देश्य बेटियों के अस्तित्व को बचाना एवं उनकी सुरक्षा को सुनिश्चित करना भी है।
- शिक्षा के साथ – साथ बेटियों को अन्य क्षेत्रों में आगे बढ़ाने एवं उनकी इसमें भागीदारी को सुनिश्चित करना भी इसका मुख्य लक्ष्य है।
रणनीतियाँ
[संपादित करें]- बालिका और शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए एक सामाजिक आंदोलन और समान मूल्य को बढ़ावा देने के लिए जागरुकता अभियान का कार्यान्वय करना।[5]
- इस मुद्दे को सार्वजनिक विमर्श का विषय बनाना और उसे संशोधित करने रहना सुशासन का पैमाना बनेगा।
- निम्न लिंगानुपात वाले जिलों की पहचान कर ध्यान देते हुए गहन और एकीकृत कार्रवाई करना।
- सामाजिक परिवर्तन लाने के लिए महत्वपूर्ण स्रोत के रूप में स्थानीय महिला संगठनों/युवाओं की सहभागिता लेते हुए पंचायती राज्य संस्थाओं स्थानीय निकायों और जमीनी स्तर पर जुड़े कार्यकर्ताओं को प्रेरित एवं प्रशिक्षित करते हुए सामाजिक परिवर्तन के प्रेरक की भूमिका में ढालना ' ज़िला/ब्लॉक/जमीनी स्तर पर अंतर-क्षेत्रीय और अंतर-संस्थागत समायोजन को सक्षम करना।
- महिलाओं एवं बालिकाओं के प्रति हो रहे अत्याचारों और अपराधों की रोकथाम।
- महिलाओं एवं बालिकाओं की शिक्षा व उन्हें आत्मनिर्भर बनाने पर जोर देना।
सन्दर्भ
[संपादित करें]- ↑ "PM to Launch 'Beti Bachao, Beti Padhao' Programme from Haryana". मूल से 31 दिसंबर 2014 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 20 सितंबर 2015.
- ↑ "PM Narendra Modi to launch 'Beti Bachao, Beti Padhao' programme from Haryana". मूल से 26 दिसंबर 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 20 सितंबर 2015.
- ↑ "PM Narendra Modi invites ideas on "Beti Bachao, Beti Padhao"". मूल से 25 सितंबर 2015 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 20 सितंबर 2015.
- ↑ "संग्रहीत प्रति" (PDF). मूल (PDF) से 5 नवंबर 2014 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 20 सितंबर 2015.
- ↑ "Beti Bachao, Beti Padhao" (PDF). मूल (PDF) से 5 नवंबर 2014 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 20 सितंबर 2015.