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तहसीपुर ठठिया गाँव, कन्नौज (कन्नौज)

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तहसीपुर ठठिया
—  गाँव  —
समय मंडल: आईएसटी (यूटीसी+५:३०)
देश  भारत
राज्य उत्तर प्रदेश
ज़िला कन्नौज
आधिकारिक भाषा(एँ) हिन्दी, अवधी, बुंदेली, भोजपुरी, ब्रजभाषा, पहाड़ी, उर्दु, अंग्रेज़ी
आधिकारिक जालस्थल: kannauj.nic.in

निर्देशांक: 27°13′N 79°30′E / 27.22°N 79.50°E / 27.22; 79.50

तहसीपुर ठठिया कन्नौज, कन्नौज, उत्तर प्रदेश स्थित एक गाँव है।

यह गांव कन्नौज के गहड़वाल वंश के राजा गोविंदचंद्र के अधीन था बाद में राजा विजयचंद्र जी के अधीन शासन होने के बाद राजा जयचंद द्वारा शासन किया गया तदुप्रांत यहां इल्तुतमिश ने यहां स्थाई रूप से १२२५ ईस्वी में सत्ता स्थापित कर ली। जिससे कन्नौज की सत्ता परिवर्तन से मुगल साम्राज्य ने यहां अपना वर्चस्व स्थापित किया इल्तुतमिश के उपरांत यहां एक वर्ष रूकुनुद्दीन फ़ीरोज़शाह ने सत्ता संभाली।

राजिया सुलतान बाद में यहां शासन किया। उनके बाद मुईज़ुद्दीन बहरामशाह ने शासन किया ।यह राजिया सुलतान के भाई थे।

यहां का शासन दिल्ली से संभाला जाता था जो क्रमशः

गुलाम वंश।खिलजी वंश।तुगलक वंश।सैयद वंश। लोधी वंश।सूरी साम्राज्य ।मुगल साम्राज्य ने शासन किया

सूरी साम्राज्य के अदिल शाह सूरी को हराकर मुगल शासक हेमू ने सम्पूर्ण भारत पर शासन किया

तुगलक वंश के समय काल में ठठिया एक व्यापारिक केंद्र था जहां काफी संख्या में जैन समाज रहा करती थी।

उस समय ठठिया के राजा पोहकर सिंह के पूर्वज राजा छत्रपाल सिंह का शासन रहा।

इसी समय जैन समाज ने यहां एक विशाल जिनालय का निर्माण कराया जो अपने आप में एक समृद्ध शाली इतिहास बताता रहा ।

1855 से 1960 तक तीसरी प्लेग महामारी , जो चीन से दुनिया भर के विभिन्न स्थानों, विशेष रूप से भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका के पश्चिमी तट पर फैल गई ।

इसी प्लेग की महामारी के दौरान जैन समाज को अपना यह समृद्ध शाली इतिहास छोड़कर कन्नौज मुख्य शहर और अन्य जगह जाकर बसाबट करनी पड़ी।

700 वर्ष यह प्राचीन जिनालय में बेहद मनोरम सेकडो प्रतिमाएं थी जिनमें से कई प्रतिमाओं को जैन समाज कन्नौज के छिपट्टी में ले जाकर खूबसूरत जिनालय निर्माण कराए परंतु यहां तीन जिन प्रतिमाएं ठठिया में ही रही जिनमें 7 तीर्थांकर श्री सुपार्श्वनाथ, मूलनायक अष्टम तीर्थांकर श्री चंदप्रभू और 23 वें तीर्थांकर श्री पार्श्वनाथ भगवान की प्रतिमा जी और एक जैन यक्ष क्षेत्रपाल जी की पिंडी यहां विराजमान रही ।ये तीनों ही प्रतिमा जी बेहद अतिश्यकारी और मनोरम है

700 वर्ष प्राचीन यह जिनालय ठठिया के मध्य में स्थित है जो ठठिया के राजा पोहकर सिंह के पूर्वज राजा छत्रपाल सिंह के समय काल में निर्मित हुआ । आज भी यहां चमत्कार देखे जा सकते है । बहुत अतिश्यकारी और शांत वातावरण होने के कारण यह जिनालय अनायास ही अपनी ओर ध्यान आकर्षित करता है।जिनालय का जीर्णोधार स्व0 श्रीमती विमला देवी जी जैन द्वारा करवाया गया आज यहां बेहद सुंदर जिनालय समाज के अथक प्रयासों से खड़ा हुआ है।

जनसांख्यिकी

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यातायात

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यहां यातायात की सुविधा बेहद सुगम है यातायात संचार में सड़क परिवहन सबसे आसान साधन है आलू मंडी ठठिया से एक किलोमीटर दूर से आगरा लखनऊ एक्सप्रेस वे सबसे आसान साधन है।


आस्था का प्रतीक है ठठिया का 52 मठ का छतेश्वरनाथ मंदिर

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ठठिया से करीब एक किलोमीटर की दूरी पर मठ वाले बाबा के नाम से प्रसिद्ध छतेश्वरनाथ मंदिर ठठियाठठिया से करीब एक किलोमीटर की दूरी पर मठ वाले बाबा के नाम से प्रसिद्ध छतेश्वरनाथ मंदिर प्रांगण में 52 मठ बने हैं। सावन मास में प्रतिदिन आसपास गांव के हजारों श्रद्धालु दर्शन को आते हैं। आस्था है कि मंदिर में सच्ची श्रद्धा के साथ आने पर मन्नत पूरी होतीतिहास

मंदिर की कलाकृतियों को देखकर इतिहासकार पांच सदी के आसपास निर्माण होना बताते हैं। मुगल शासकों ने मंदिर ध्वस्त कर 52 मठों में से कई मठ नष्ट कर दिए थे, लेकिन शिवलिग को कोई नुकसान नहीं पहुंचा पाए थे। बाद में ठठिया के राजा पोहकर सिंह के पूर्वज राजा छत्रपाल सिंह ने मंदिर का पुनर्निर्माण करवाया।

विशेषता मंदिर में आसपास गांव के हजारों श्रद्धालुओं की आस्था जुड़ी है। लोगों का मानना है कि मंदिर में सच्ची श्रद्धा और आस्था के साथ दर्शन करने वाले भक्त की मनोकामना जरुर पूरी होती है। सावन में हर सोमवार को मंदिर में भीड़ होती है और मेला भी लगता है। शिवरात्रि पर भी कार्यक्रम आयोजित किया जाता है।

ऐसे पहुंचे मंदिर

ठठिया-तिर्वा मार्ग से सुर्सी मोड़ से करीब आधा किलोमीटर चलकर बाग मिलता है। उसके बीच मंदिर बना है। इसके पास एक पक्का तालाब है, जिसमें अब पानी नहीं रहा। मंदिर तक जाने के लिए पक्का रास्ता बना है।

प्रसिद्ध मंदिर का शिवलिग सैकड़ों वर्ष पुराना है। सावन व अन्य धार्मिक पर्व पर भक्तों की भीड़ होती है। शिवरात्रि में मंदिर पर जलाभिषेक करने कावड़ लेकर लोग आते हैं। प्रतिदिन शाम और सुबह भोले बाबा की आरती और प्रसाद वितरण होता है। मंदिर में 52 मठ बने हैं। इसी कारण मठ वाले बाबा के नाम से लोग पुकारते हैं। उनके पूर्वजों के समय से ही मंदिर की देखरेख करना और मरम्मत आदि कराना जिम्मेदारी भी निभाते हैं।

श्री चंदप्रभू दिगंबर जैन मंदिर ठठिया

700 वर्ष प्राचीन यह जिनालय ठठिया के मध्य में स्थित है जो ठठिया के राजा पोहकर सिंह के पूर्वज राजा छत्रपाल सिंह के समय काल में निर्मित हुआ । आज भी यहां चमत्कार देखे जा सकते है । बहुत अतिश्यकारी और शांत वातावरण होने के कारण यह जिनालय अनायास ही अपनी ओर ध्यान आकर्षित करता है।जिनालय का जीर्णोधार स्व0 श्रीमती विमला देवी जी जैन द्वारा करवाया गया आज यहां बेहद सुंदर जिनालय समाज के अथक प्रयासों से खड़ा हुआ है।


यहां Icsc बोर्ड और up बोर्ड के विद्यालय स्थित है

सन्दर्भ

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बाहरी कड़ियाँ

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