सिद्धम

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सिद्धम लिपि में 'सिद्धं' [𑖭𑖰𑖟𑖿𑖠𑖽] शब्द
क्योटो के मिमिजुका के ऊपर सिद्धम लिपि में लिखा है

सिद्धम [𑖭𑖰𑖟𑖿𑖠𑖽] लिपि का प्रयोग पहले (लगभग ६०० ई - १२०० ई) संस्कृत लिखने के लिये होता था। यह लिपि, ब्राह्मी से व्युत्पन्न है। इसे 'सिद्धमात्रिका' भी कहते हैं।

अक्षर तालिका[संपादित करें]

स्वर[संपादित करें]

स्वरवर्ण का स्वतन्त्र स्वरूप देवनागरी -(क्य) के साथ स्वरर्ण का योग
वैशिष्ट्यसूचक चिह्न युक्त
स्वरवर्ण का स्वतन्त्र स्वरूप देवनागरी -(क्य) के साथ स्वरर्ण का योग
वैशिष्ट्यसूचक चिह्न युक्त
अं अः
स्वरवर्ण का स्वतन्त्र स्वरूप देवनागरी -(क्य) के साथ स्वरर्ण का योग
वैशिष्ट्यसूचक चिह्न युक्त
स्वरवर्ण का स्वतन्त्र स्वरूप देवनागरी -(क्य) के साथ स्वरर्ण का योग
वैशिष्ट्यसूचक चिह्न युक्त
वैकल्पिक स्वरूप
अं

ब्यंजन[संपादित करें]

ब्राह्मी से व्यत्पन्न लिपियों का भारत से विश्व के अन्य देशों में प्रसार
सिद्धम लिपि में प्रज्ञापारमिता
युक्ताक्षर
क्ष
वैकल्पिक स्वरूप

इन्हें भी देखें[संपादित करें]