वज्रनाभ
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कृष्ण के प्रपौत्र वज्र अथवा वज्रनाभ द्वारिका के अंतिम शासक थे,[1] जो यादवों की आपसी लड़ाई में जीवित बच गए थे। द्वारिका के समुद्र में डूबने पर अर्जुन द्वारिका गए और वज्र तथा शेष बची महिलाओं को हस्तिनापुर ले गए।[2][3] कृष्ण के प्रपौत्र वज्र को हस्तिनापुर में मथुरा का राजा घोषित किया।[4] महाराज परीक्षित और महर्षि शांडिल्य के सहयोग से संपूर्ण ब्रजमंडल की पुन: स्थापना की थी।[5] वज्रनाभ द्वारा ब्रजमंडल में कृष्ण जन्मभूमि पर मंदिर सहित अनेक मंदिरों का निर्माण कराया गया था।[6][7] कहते हैं कि वज्रनाभ अनिरुद्ध के पुत्र थे। अनिरुद्ध प्रद्युम्न के पुत्र थे।[8]
अर्थ
[संपादित करें]- वज्रनाभ दानव: एक दानव जिसने सुमेरु पर्वत की एक गुफा में रहकर घोर तप किया था।
- वज्रनाभ चक्र : भगवान विष्णु का चक्र।[9]
इन्हें भी देखें
[संपादित करें]सन्दर्भ
[संपादित करें]- ↑ "ब्रजमंडल में होती है कृष्ण की होली और रास की बड़ी धूम". अभिगमन तिथि 12 मार्च 2021.
- ↑ दशरथ, ओझा (2017). हिन्दी नाटक उद्भव और विकास. राजपाल एंड संस.
- ↑ "वज्रनाभ द्वारा ब्रज- यात्रा". अभिगमन तिथि 27 जून 2005.
- ↑ "वज्रनाभ". अभिगमन तिथि 27 जून 2022.
- ↑ तराशीस, गंगोपाध्याय. वृन्दावन में आज भी घटने वाले चमत्कार. जय माँ तारा पब्लिशर्स. अभिगमन तिथि 6 नवंबर 2014.
- ↑ विमलेश, शर्मा (2019). Sarv Vipra Martand August 2019. विमलेश शर्मा.
- ↑ "मथुरा कृष्ण जन्म भूमि". मूल से 27 जून 2022 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 27 जून 2022.
- ↑ "श्री कृष्ण वज्रनाभ". अभिगमन तिथि 3 जून 2020.
- ↑ "शब्द-वज्रनाभ". अभिगमन तिथि 27 जून 2022.