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मराठी चलचित्र

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मराठी चलचित्रपट

मेट्रो बिग सिनेमा, मुंबई
पर्दों की संख्या भारत के महाराष्ट्र राज्य में लगभग 500.[1]
मुख्य वितरक मुंबई फिल्म कंपनी
एस्सेल विज़न प्रोडक्शंस
एवरेस्ट मनोरंजन
निर्मित कथा चित्र  (2016)[2]
कुल 181
कुल कमाई  (2016)[3]
राष्ट्रीय फ़िल्में भारत: 200 करोड़ (US$29.2 मिलियन)
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मराठी चलचित्रपट या मराठी सिनेमा मराठी भाषा में चित्रपट उद्योग है। जो सबसे पुराने क्षेत्रीय भारतीय फिल्म उद्योग में से है। पहली मराठी बोलती फिल्म अयोध्याचे राजा (प्रभात फिल्म्स द्वारा निर्मित) 1932 में जारी की गई, पहली भारतीय (हिन्दी) सवाक् फिल्म आलम आरा के एक वर्ष बाद ही। मराठी सिनेमा में हाल के वर्षों में काफी वृद्धि हुई है। उद्योग मुंबई, भारत में स्थित है।

भारतीय सिनेमा के रूप में मराठी सिनेमा बहुत पुरानी है। वास्तव में भारत में सिनेमा के अग्रणी दादा साहेब फाल्के ने अपनी पहली भारतीय फ़िल्म राजा हरिश्चंद्र का निर्माण कर क्रान्ति ला दी। यह एक मूक फिल्म थी, लेकिन फ़िल्म निर्माण में अधिकतर मराठी कलाकार जुड़े हुए थे अत: इसे मराठी सिनेमा का हिस्सा भी माना जा सकता है।

1919 में बाबुराव मिस्त्री - जो बाबुराव पेंटर के नाम से लोकप्रिय थे - कोल्हापुर के महाराजा के आशीर्वाद से महाराष्ट्र फिल्म कंपनी का गठन किया और पहली महत्वपूर्ण ऐतिहासिक फ़िल्म सैरंध्री (1920) का निर्माण किया। बाबूराव पेंटर ने 1930 तक कई मूक फिल्में बनाईं। हालांकि, कुछ और मूक फिल्मों के बाद, महाराष्ट्र फिल्म कंपनी ने ध्वनि वाले फ़िल्मों के आगमन के साथ फ़िल्म बनाना बन्द कर दिया।

बोलती फ़िल्मों के साथ ही "प्रभात फिल्म कंपनी" का उदय हुआ। प्रभात की फ़िल्म संत तुकाराम 1937 में वेनिस फिल्म समारोह में सर्वश्रेष्ठ फिल्म पुरस्कार जीतने वाला पहली भारतीय फ़िल्म थी।[4] 1954 में राष्ट्रीय पुरस्कार के पहले संस्करण में, श्यामची आई ने मराठी फिल्म के लिये राष्ट्रपति के स्वर्ण पदक जीता।[5]

स्वर्ण युग

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मराठी सिनेमा वी शांताराम, मास्टर विनायक, भालजी पेंढारकर, आचार्य अत्रे, राजा परांजपे, दिनकर डी पाटिल, व्यंकटेश माडगूलकर, सुधीर फड़के जैसे प्रसिद्ध कलाकारों के आगमन के साथ अपने स्वर्ण युग मेँ आ गया। 60 के दशक में अनंत माने जो मराठी लोककला तमाशा पर आधारित फिल्मों का निर्देशन किया का दौर रहा।[6] दत्ता धर्माधिकारी और राज दत्त, परंपरागत परिवार के नाटकों की तरह निर्देशन में आये। 70 के दशक में दादा कोंडके के आगमन से हास्य फ़िल्मों का दौर चालू हो गया।<ref>Kale, Pramod (1979). "Ideas, Ideals and the Market: A Study of Marathi Films". Economic and Political Weekly. 14, (35): 1511–1520. मूल से 3 फ़रवरी 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 23 January 2017.सीएस1 रखरखाव: फालतू चिह्न (link)</ref इसके बाद, व्यंग्य, सामाजिक और राजनीतिक टिप्पणी लिये फिल्मों का दौर आया जिसमें से कई फ़िल्में कालांतर बन गई। 1980 के दशक में दो हास्य नायक अशोक सराफ और लक्ष्मीकांत बेर्डे प्रसिद्ध अभिनेता बन कर उभरे। मध्य 80 के दशक में दो युवा निर्देशक महेश कोठारे और सचिन पिलागांवकर का दौर रहा।

समकालीन

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वर्ष 2004 में, मराठी फ़िल्म श्वास ने गोल्डन लोटस राष्ट्रीय पुरस्कार जीता और उसे आलोचकों की प्रशंसा भी मिली। यह फ़िल्म 77वें अकादमी पुरस्कार में भारत की तरफ से आधिकारिक प्रविष्टि थी और इसने सर्वश्रेष्ठ फिल्म के लिए राष्ट्रपति पदक भी जीता। श्यामची आई (1950) के बाद, श्वास दूसरी मराठी फिल्म है जिसनें राष्ट्रपति पदक प्राप्त हुआ।

महाराष्ट्र सरकार, मराठी चलचित्र (15 से 30 लाख रुपये) को अनुदान देना आरम्भ कर दिया है। श्वास की सफलता के बाद, श्रृंगार फिल्म्स और ज़ी टेलीफिल्म्स जैसे दिग्गज निर्माता अब मराठी चलचित्र में रुचि दिखा रहे हैं। मराठी टेलीविजन की बढ़ती लोकप्रियता (मुख्यत: ज़ी मराठी और ईटीवी मराठी) ने भी मराठी चलचित्र की मदद की है। ज़ी टाकीज, ने एक 24 घंटे मराठी फिल्मों का एक चैनल की शुरूआत की है। देऊळ फ़िल्म, शामची आई और श्वास के बाद सर्वश्रेष्ठ फ़िल्म के लिए राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार जीतने वाली तीसरी फिल्म बन गई है।

पुरस्कार

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फिल्मफेयर पुरस्कार

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उत्पादन वर्ष फ़िल्म निर्देशक अभिनेता अभिनेत्री संगीत
1963 माज़ा होशिल का एल.बी.ठाकुर      
1964 संत निवृत्ती ज्ञानदेव विनायक सरस्वती और बाल चव्हाण      
1965 लक्ष्मी आली घर माधव शिंदे      
1966 गुरुकिल्ली राजा परांजपे      
1967 पवनकांटछा ढोंडी विनायक ठाकूर      
1968 एक्ति जी. चौगुले      
1969 जिव्हाळा आत्माराम      
1970 अपराध शरद पिळगावकर      
1971 शांतता! कोर्ट चालू आहे सत्यदेव दुबे और गोविंद निहलानी      
1972 कुंकु माझे भाग्याचे शामराव माने      
1973 अंधला मारतो डोला दादा कोंडकें      
1974 सुगन्धि कट्टा पुरस्कृत नहीं श्रीराम लागू (सुगन्धि कट्टा) सरला येवलेकर (सुगन्धि कट्टा)  
1975 सामना जब्बार पटेल श्रीराम लागू संध्या  
1976 आराम हराम आहे वसंत जोगळेकर रवींद्र महाजनी आशा काळे  
1977 नव मॉथन लक्षण खोटान मुरलीधर कपाडी श्रीराम लागू उषा चव्हाण  
1978 देवकी नंदन गोपाला जब्बार पटेल यशवंत दत्त स्मिता पाटिल  
1979 सिँहासन जब्बार पटेल सचिन रंजना देशमुख  
1980 22, जून 1897 जयू और नचिकेत पटवर्धन (22 जून 1897) निळू फुले उषा चव्हाण  
1981 उम्बर्था जब्बार पटेल गिरीश कर्नाड स्मिता पाटिल  
1982 शापित राज दत्त और अरविंद देशपांडे अशोक सराफ मधू कांबीकर  
1983 गुपचुप गुपचुप वी.के. नायक अशोक सराफ़ रंजना देशमुख  
1984 लेक चालली सासरला एन.एस. वैद्य अशोक सराफ सुप्रिया सबनीस  
1987 धूम धड़ाका महेश कोठारे लक्ष्मीकांत बेर्डे ??  
1994 वज़ीर संजय रावळ विक्रम गोखले सुकन्या कुलकर्णी श्रीधर फडके
1995 आई महेश मांजरेकर सयाजी शिंदे रेणुका शहाणे आनंद मोडक
1996 पुत्रवती निचिकेत और जय पटवर्धन अशोक सराफ़ सोनाली कुलकर्णी श्रीधर फडके
1997 बांगरवाड़ी अमोल पालेकर मोहन जोशी सुकन्या कुलकर्णी आनंद मोडक
1998 तू तिथे मी संजय सोकरकर मोहन जोशी सुहास जोशी आनंद मोडक
1999 बिन्धास्त चंद्रकांत कुलकर्णी दिलीप प्रभावळकर शारवारी जामनीस श्रीधर फडके

सन्दर्भ

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  1. "STATEWISE NUMBER OF SINGLE SCREENS". Film Federation of India. मूल से 12 सितंबर 2014 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 21 April 2014.
  2. "संग्रहीत प्रति". मूल से 6 अप्रैल 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 19 मार्च 2018.
  3. "संग्रहीत प्रति". मूल से 19 मार्च 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 19 मार्च 2018.
  4. Pate, Niel (28 September 2004). "Marathi cinema: Waiting to exhale". The Times Of India. मूल से 17 अक्तूबर 2012 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 19 मार्च 2018.
  5. Rajadhyaksha, Mukta (29 August 2004). "Marathi cinema gets a shot in the arm". The Times Of India. मूल से 19 जनवरी 2012 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 19 मार्च 2018.
  6. "Marathi cinema database". मूल से 7 जुलाई 2019 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 15 जून 2020.

बाहरी कड़ियाँ

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