"जसवंत थड़ा": अवतरणों में अंतर

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से
→‎top: ऑटोमेटिक वर्तनी सु, replaced: मे → में
Gallery added
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
[[File:Jaswant Thada Dawn.jpg|thumb|250x250px|जसवंत थड़ा]]
[[File:Jaswant Thada Dawn.jpg|thumb|250x250px|जसवंत थड़ा]]
[[जोधपुर]] [[दुर्ग]] [[मेहरानगढ़]] के पास ही सफ़ेद [[संगमरमर]] का एक [[स्मारक]] बना है जिसे जसवंत थड़ा कहते हैं। इसे सन 1899 में [[जोधपुर]] के महाराजा जसवंत सिंह जी (द्वितीय)(1888-1895) की यादगार में उनके उत्तराधिकारी महाराजा सरदार सिंह जी ने बनवाया था। यह स्थान जोधपुर [[राजपरिवार]] के सदस्यों के दाह संस्कार के लिये सुरक्षित रखा गया है। इससे पहले राजपरिवार के सदस्यों का दाह संस्कार [[मंडोर]] में हुआ करता था। इस विशाल स्मारक में संगमरमर की कुछ ऐसी शिलाएँ भी दिवारों में लगी है जिनमे [[सूर्य]] की किरणे आर-पार जाती हैं। इस स्मारक के लिये [[जोधपुर]] से 250 कि, मी, दूर [[मकराना]] से संगमरमर का पत्थर लाया गया था। स्मारक के पास ही एक छोटी सी झील है जो स्मारक के सौंदर्य को और बढा देती है इस [[झील]] का निर्माण महाराजा अभय सिंह जी (1724-1749) ने करवाया था। जसवंत थड़े के पास ही महाराजा सुमेर सिह जी, महाराजा सरदार सिंह जी, महाराजा उम्मेद सिंह जी व महाराजा हनवन्त सिंह जी के स्मारक बने हुए हैं। इस स्मारक को बनाने में 2,84,678 [[रूपए]] का खर्च आया था।<ref>http://m.rajasthanpatrika.patrika.com/lite/story/jodhpur/jaswant-thada-full-of-nature-beauty-353766.html</ref>
[[जोधपुर]] [[दुर्ग]] [[मेहरानगढ़]] के पास ही सफ़ेद [[संगमरमर]] का एक [[स्मारक]] बना है जिसे जसवंत थड़ा कहते हैं। इसे सन 1899 में [[जोधपुर]] के महाराजा जसवंत सिंह जी (द्वितीय)(1888-1895) की यादगार में उनके उत्तराधिकारी महाराजा सरदार सिंह जी ने बनवाया था। यह स्थान जोधपुर [[राजपरिवार]] के सदस्यों के दाह संस्कार के लिये सुरक्षित रखा गया है। इससे पहले राजपरिवार के सदस्यों का दाह संस्कार [[मंडोर]] में हुआ करता था। इस विशाल स्मारक में संगमरमर की कुछ ऐसी शिलाएँ भी दिवारों में लगी है जिनमे [[सूर्य]] की किरणे आर-पार जाती हैं। इस स्मारक के लिये [[जोधपुर]] से 250 कि, मी, दूर [[मकराना]] से संगमरमर का पत्थर लाया गया था। स्मारक के पास ही एक छोटी सी झील है जो स्मारक के सौंदर्य को और बढा देती है इस [[झील]] का निर्माण महाराजा अभय सिंह जी (1724-1749) ने करवाया था। जसवंत थड़े के पास ही महाराजा सुमेर सिह जी, महाराजा सरदार सिंह जी, महाराजा उम्मेद सिंह जी व महाराजा हनवन्त सिंह जी के स्मारक बने हुए हैं। इस स्मारक को बनाने में 2,84,678 [[रूपए]] का खर्च आया था।<ref>http://m.rajasthanpatrika.patrika.com/lite/story/jodhpur/jaswant-thada-full-of-nature-beauty-353766.html</ref>

<gallery>
Jodhpur-Jaswant Thada-16-2018-gje.jpg
Jodhpur-Jaswant Thada-20-2018-gje.jpg
Jodhpur-Jaswant Thada-22-Frau mit Fass-2018-gje.jpg
Jodhpur-Jaswant Thada-36-innen-2018-gje.jpg
Jodhpur-Jaswant Thada-12-Mauer-2018-gje.jpg
Jodhpur-Jaswant Thada-06-See-Festung-2018-gje.jpg
</gallery>


==सन्दर्भ==
==सन्दर्भ==

08:41, 10 फ़रवरी 2019 का अवतरण

जसवंत थड़ा

जोधपुर दुर्ग मेहरानगढ़ के पास ही सफ़ेद संगमरमर का एक स्मारक बना है जिसे जसवंत थड़ा कहते हैं। इसे सन 1899 में जोधपुर के महाराजा जसवंत सिंह जी (द्वितीय)(1888-1895) की यादगार में उनके उत्तराधिकारी महाराजा सरदार सिंह जी ने बनवाया था। यह स्थान जोधपुर राजपरिवार के सदस्यों के दाह संस्कार के लिये सुरक्षित रखा गया है। इससे पहले राजपरिवार के सदस्यों का दाह संस्कार मंडोर में हुआ करता था। इस विशाल स्मारक में संगमरमर की कुछ ऐसी शिलाएँ भी दिवारों में लगी है जिनमे सूर्य की किरणे आर-पार जाती हैं। इस स्मारक के लिये जोधपुर से 250 कि, मी, दूर मकराना से संगमरमर का पत्थर लाया गया था। स्मारक के पास ही एक छोटी सी झील है जो स्मारक के सौंदर्य को और बढा देती है इस झील का निर्माण महाराजा अभय सिंह जी (1724-1749) ने करवाया था। जसवंत थड़े के पास ही महाराजा सुमेर सिह जी, महाराजा सरदार सिंह जी, महाराजा उम्मेद सिंह जी व महाराजा हनवन्त सिंह जी के स्मारक बने हुए हैं। इस स्मारक को बनाने में 2,84,678 रूपए का खर्च आया था।[1]

सन्दर्भ