"निज़ाम-उल-मुल्क आसफजाह": अवतरणों में अंतर

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आसफ़ जाही राजवंश
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== युद्ध हाथियों का उपयोग==
== युद्ध हाथियों का उपयोग==
1730 में मराठा के खिलाफ अभियान के दौरान, निजाम-उल-मुल्क के पास कम से कम 1026 युद्ध हाथी थे, जिनमें से 225 बख्तरबंद थे।<ref>Oxford Progressive English by Rachel Redford</ref>
1730 में मराठा के खिलाफ अभियान के दौरान, निजाम-उल-मुल्क के पास कम से कम 1026 युद्ध हाथी थे, जिनमें से 225 बख्तरबंद थे।
इसके बावजूद भी वह बाजीराव प्रथम पेशवा के नेतृत्व में मराठों से बुरी तरह पराजित हुआ।<ref>Oxford Progressive English by Rachel Redford</ref>


== सन्दर्भ ==
== सन्दर्भ ==

15:57, 15 दिसम्बर 2018 का अवतरण

मीर क़मर-उद-दीन ख़ान सिद्दिक़ी
चिंक़िलिच ख़ान, निज़ाम-उल-मुल्क, आसफ जाह
आसफ जाह I
आसफ जाह प्रथम, यामिन-उस-सल्तनत, रुख्न-उस-सल्तनत, जुमलत-उल-मुल्क, मदर-उल-महम, निज़ाम-उल-मुल्क, ख़ान-ए-दौरां, नवाब मीर ग़ाज़ी-उद-दीन ख़ान सिद्दिक़ी बहादुर, फ़तह जंग, सिपह सालार, नवाब सुबेदा-ए-दक्कन[1]
शासनावधि३१ जुलाई १७२0 – १ जून १७४८
राज्याभिषेक३१ जुलाई १७२0
पूर्ववर्तीकोई नहीं
उत्तरवर्तीनासिर जंग मीर अहमद
जन्म20 अगस्त 1671
आगरा
निधन1 जून 1748 (Age 76)
बुरहानपुर
समाधि
संतान६ पुत्र, ७ पुत्रियाँ
घरानाआसफ़ जाही राजवंश
पितानवाब ग़ाज़ी उद-दिन ख़ान फ़िरोज़ जंग सिद्दिक़ी बहादुर (फ़र्ज़ंद-ए-अर्ज़ुमंद) ग़ाज़ी उद्दीन सिद्दिक़ी
मातावज़ीर उन-निसा बेग़म

मीर क़मर-उद-दीन ख़ान सिद्दिक़ी उर्फ़ निजाम-उल-मुल्क आसफजाह I (२0 अगस्त १६७१- १ जून १७४८) मुग़ल शासक औरंगजेब के बाद के हैदराबाद का प्रसिद्ध निज़ाम था, जिसने आसफ़ जाही राजवंश की नींव रखी। उसने १७२४ में हैदराबाद राज्य की स्थापना की तथा ३१ जुलाई १७२0 से लेकर १ जून १७४८ (मृत्युपर्यंत) तक शासन किया।[2] औरंगज़ेब ने उसे चिंकिलिच ख़ान (१६९0-९१)[3]), फ़र्रूख़सियर ने निज़ाम-उल-मुल्क (१७१३)[4] तथा मुहम्मद शाह ने आसफ़जाह (१७२५)[5]आदि उपाधियाँ प्रदान की।

आरंभिक जीवन

निज़ाम उल मुल्क आसफ़जाह, ग़ाज़ी उद्दीन ख़ान सिद्दिक़ी फ़िरोज़ जंग प्रथम और उसकी पहली बीवी वज़ीरुन्निसा बेग़म की संतान के तौर पर २0 अगस्त १६७१ को आगरा में पैदा हुआ। आसफ़जाह प्रथम के बचपन का नाम मीर क़मरुद्दीन ख़ान सिद्दिक़ी था।[6] उसका नामकरण मुग़ल बादशाह औरंगज़ेब ने किया था।[7]

राजनीतिक जीवन

१७२0 से २२ तक निज़ामुल मुल्क आसफजाह I ने दक्कन में अपनी स्थिति सुदृढ़ कर ली थी। वह १७२२ से १७२४ तक साम्राज्य का वजीर रहा। सैय्यद बंधुओं को गद्दी से हटाने में भी उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभायी थी। उन्हें दक्कन का वायसराय भी कहा गया। बादशाह मुहम्मद शाह के शासन में वज़ीर के काम से तंग आकर दक्कन वापस लौट गया और हैदराबाद राज्य की नींव रखी। उनके मरणोपरांत १७४८ में हैदराबाद दिल्ली शासक के अधीन हो गया।[8]

युद्ध हाथियों का उपयोग

1730 में मराठा के खिलाफ अभियान के दौरान, निजाम-उल-मुल्क के पास कम से कम 1026 युद्ध हाथी थे, जिनमें से 225 बख्तरबंद थे। इसके बावजूद भी वह बाजीराव प्रथम पेशवा के नेतृत्व में मराठों से बुरी तरह पराजित हुआ।[9]

सन्दर्भ

  1. मिर् क़ामारुद्दीन चीन किल्जी खान असफ़ जह I - निज़ाम I
  2. Asaf Jahis
  3. विलयाम इरविन (१९२२). (अंग्रेज़ी) लेटर मुघल्स. वोल्यूम २, १७१९-१७३९. पृ॰ 271. OCLC 452940071.
  4. जसवंत लाल मेहता (२००५). (अंग्रेज़ी) एडवेनसड स्ट्डी इन थ हिस्ट्री ऑफ़ मोंडन इंडिया १७०७-१८१३. Sterling. पृ॰ 143. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 9781932705546.
  5. रघुनाथ राइ. (अंग्रेज़ी) हिस्ट्री. एफ़-के पबलिफ़ीकेश्न्स्. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978818१7139690 |isbn= के मान की जाँच करें: invalid character (मदद).
  6. "(अंग्रेज़ी) थ असफ़ जाही डाइनिसटी : जेनारालऑलिजी".
  7. "(अंग्रेज़ी) हैदराबाद ऑन थ नेट : थ निज़ाम'स्".
  8. (अंग्रेज़ी) फ़ालस् थ गोल्डन बुक् ऑफ इंडिया: अ जेनराल एंड बिब्लीओग्रफ़ील दिक्षनेरी ऑफ थ निज़ाम उल मुल्क असफ्जः -बै सर रूपेर लेथब्रिज्
  9. Oxford Progressive English by Rachel Redford

बाहरी कड़ियाँ