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* लोक दाज में लड़किओं को फुलकारियां के बाग़ देते थे ।
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*लांवा फेरे लेने के समय
*लांवा फेरे लेने के समय
== सन्दर्भ ==
==संदर्भ ==
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06:08, 27 जनवरी 2017 का अवतरण

फुलकारी

'फुलकारी एक तरहां की कढाई होती है जो चुनरी /दुपटो पर हाथों से की जाती है। फुलकारी शब्द "फूल" और "कारी" से बना है जिसका मतलब फूलों की कलाकारी ।

कला का प्रतीक

पुराने समय में बचपन में ही लड़कियां इस कला को सीख लेती थी और अपनी शादी के लिए दहेज बनाने लगती थी। यह लड़की की शख्शीअत की कला का प्रतीक मानी जाती थी।

प्रयोग

  • शादी और त्यौहार
  • शगुनों के समय
  • लोक दाज में लड़किओं को फुलकारियां के बाग़ देते थे ।
  • लांवा फेरे लेने के समय

सन्दर्भ

बाहरी कड़ियाँ