"मीर कासिम": अवतरणों में अंतर

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'''मीर कासिम''' १७६० से १७६४ तक [[बंगाल]] का नवाब था। इसे [[ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कम्पनी ने नवाब बनाया था। मुंगेर का किले का इतिहास बंगाल के नवाब मीर कासिम से जुड़ा हुआ है। बंगाल पर जब अंग्रेजों ने आक्रमण किया, तो मीर कासिम ने मुंगेर में गंगा तट पर किला का निर्माण कराया और मुंगेर को ही अपनी राजधानी बनाया। किला के बाहर चारों तरफ से करीब 30 फीट गहरा गढ्डा है। इस गड्डे का निर्माण मीर कासिम ने अंग्रेजों के आक्रमण से बचने के लिए कराया था। किला परिसर में ही मीर कासिम का आवास था। मीर कासिम ने किला परिसर में ही सुरंग का निर्माण भी कराया। सुरंग का एक सिरा गंगा घाट पर निकलता था। जिससे नबाव मीर कासिम की बेगम और अन्य महिलाएं गंगा घाट तक पहुंचती थी। वहीं, सुरंग का दूसरा सिरा पीर नफा पहाड़ की ओर निकलता था। लेकिन, सुरंग अब मिट्टी से भर गया है। किला में तीन द्वार है मुख्य द्वार, उतरी और दक्षिणी द्वार। तीनों द्वार पर मीर कासिम के सैनिक तैनात रहते थे। 1885 में यह किला हेनरी डेरोजियों के कब्जे में आ गया। जिसका उन्होंने जीर्णोद्धार भी कराया था और उनके सहयोग से किला द्वार पर बड़ी घड़ी लगाई गई।
'''मीर कासिम''' १७६० से १७६४ तक [[बंगाल]] का नवाब था। इसे [[ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कम्पनी]] ने नवाब बनाया था।
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चल रहा है जीर्ण-शीर्ण किला द्वार का जीर्णोद्धार : किला के जीर्ण-शीर्ण पड़े दीवारों को सही करने का काम शुरू हो गया है। जबकि मुख्य द्वार पर लगी घड़ी को भी ठीक कराने का निर्देश डीएम अमरेंद्र प्रसाद सिंह ने दिया है। करीब 1 करोड़ 70 लाख रुपये की लागत से किला के उतरी द्वार के पास जर्जर 160 फीट और मुख्य द्वार के पास जर्जर 300 फीट दीवार को दुरूस्त करने के साथ ही दोनों तरफ से बोल्डर पिचिंग का कार्य कराया जा रहा है। नवनिर्मित दीवारों का रंग-रोगन भी होगा। इसके अलावा एक करोड़ से ज्यादा राशि की लागत से तीनों द्वार, मुख्य किला द्वार का रेलिंग और प्लास्टर कार्य होना है। यह कार्य भी प्रक्रिया में है।
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किला परिसर की विशेषता : किला परिसर में योगाश्रम होने के कारण यहां सैलानियों का आना-जाना लगा रहता है। ऐसे में यह किला पर्यटन की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण स्थान रखता है। वर्तमान में आयुक्त, डीआइजी, डीएम, एसपी सहित अन्य प्रशासनिक कार्यालय व अधिकारियों का आवास भी किला परिसर में ही चल रहा है।
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चैरिटी द्वारा दान की गई थी घड़ी : मुख्य किला द्वार पर लगी घड़ी आजादी से पूर्व तक तो ठीक-ठाक रहा लेकिन, आजादी के बाद रखरखाव के अभाव में कई बार चालू हुआ और बंद हुआ। आजादी के बाद दिलीप नारायण सिंह व अन्य लोगों ने चैरिटी कर घड़ी लगाया था। उन्हीं लोगों के द्वारा देखरेख भी की जाती थी लेकिन, उनके बाद से सही से देखरेख नहीं हो सकी। वर्तमान में पिछले एक साल से भी ज्यादा समय से घड़ी खराब है।
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नालंदा की तर्ज पर किला का संरक्षण करने के निर्देश
प्रमंडलीय आयुक्त सुनील कुमार सिंह ने मुंगेर किला के जीर्णोद्धार टीम को नालंदा की तर्ज पर किला का संरक्षण करने के निर्देश दिए। आयुक्त ने कहा कि जैसे नालंदा में पुरातत्व स्थल को उसके पुराने स्वरूप में संरक्षित किया गया। वैसे ही किला का भी संरक्षण किया जाना चाहिए।



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08:28, 2 जून 2016 का अवतरण

मीर कासिम १७६० से १७६४ तक बंगाल का नवाब था। इसे [[ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कम्पनी ने नवाब बनाया था। मुंगेर का किले का इतिहास बंगाल के नवाब मीर कासिम से जुड़ा हुआ है। बंगाल पर जब अंग्रेजों ने आक्रमण किया, तो मीर कासिम ने मुंगेर में गंगा तट पर किला का निर्माण कराया और मुंगेर को ही अपनी राजधानी बनाया। किला के बाहर चारों तरफ से करीब 30 फीट गहरा गढ्डा है। इस गड्डे का निर्माण मीर कासिम ने अंग्रेजों के आक्रमण से बचने के लिए कराया था। किला परिसर में ही मीर कासिम का आवास था। मीर कासिम ने किला परिसर में ही सुरंग का निर्माण भी कराया। सुरंग का एक सिरा गंगा घाट पर निकलता था। जिससे नबाव मीर कासिम की बेगम और अन्य महिलाएं गंगा घाट तक पहुंचती थी। वहीं, सुरंग का दूसरा सिरा पीर नफा पहाड़ की ओर निकलता था। लेकिन, सुरंग अब मिट्टी से भर गया है। किला में तीन द्वार है मुख्य द्वार, उतरी और दक्षिणी द्वार। तीनों द्वार पर मीर कासिम के सैनिक तैनात रहते थे। 1885 में यह किला हेनरी डेरोजियों के कब्जे में आ गया। जिसका उन्होंने जीर्णोद्धार भी कराया था और उनके सहयोग से किला द्वार पर बड़ी घड़ी लगाई गई।


चल रहा है जीर्ण-शीर्ण किला द्वार का जीर्णोद्धार : किला के जीर्ण-शीर्ण पड़े दीवारों को सही करने का काम शुरू हो गया है। जबकि मुख्य द्वार पर लगी घड़ी को भी ठीक कराने का निर्देश डीएम अमरेंद्र प्रसाद सिंह ने दिया है। करीब 1 करोड़ 70 लाख रुपये की लागत से किला के उतरी द्वार के पास जर्जर 160 फीट और मुख्य द्वार के पास जर्जर 300 फीट दीवार को दुरूस्त करने के साथ ही दोनों तरफ से बोल्डर पिचिंग का कार्य कराया जा रहा है। नवनिर्मित दीवारों का रंग-रोगन भी होगा। इसके अलावा एक करोड़ से ज्यादा राशि की लागत से तीनों द्वार, मुख्य किला द्वार का रेलिंग और प्लास्टर कार्य होना है। यह कार्य भी प्रक्रिया में है।


किला परिसर की विशेषता : किला परिसर में योगाश्रम होने के कारण यहां सैलानियों का आना-जाना लगा रहता है। ऐसे में यह किला पर्यटन की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण स्थान रखता है। वर्तमान में आयुक्त, डीआइजी, डीएम, एसपी सहित अन्य प्रशासनिक कार्यालय व अधिकारियों का आवास भी किला परिसर में ही चल रहा है।


चैरिटी द्वारा दान की गई थी घड़ी : मुख्य किला द्वार पर लगी घड़ी आजादी से पूर्व तक तो ठीक-ठाक रहा लेकिन, आजादी के बाद रखरखाव के अभाव में कई बार चालू हुआ और बंद हुआ। आजादी के बाद दिलीप नारायण सिंह व अन्य लोगों ने चैरिटी कर घड़ी लगाया था। उन्हीं लोगों के द्वारा देखरेख भी की जाती थी लेकिन, उनके बाद से सही से देखरेख नहीं हो सकी। वर्तमान में पिछले एक साल से भी ज्यादा समय से घड़ी खराब है।


नालंदा की तर्ज पर किला का संरक्षण करने के निर्देश प्रमंडलीय आयुक्त सुनील कुमार सिंह ने मुंगेर किला के जीर्णोद्धार टीम को नालंदा की तर्ज पर किला का संरक्षण करने के निर्देश दिए। आयुक्त ने कहा कि जैसे नालंदा में पुरातत्व स्थल को उसके पुराने स्वरूप में संरक्षित किया गया। वैसे ही किला का भी संरक्षण किया जाना चाहिए।