"पंथी गीत": अवतरणों में अंतर
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'''पंथी गीत'''<ref>{{वेब सन्दर्भ|title=छत्तीसगढ़ के लोकगीत और लोकनृत्य|url=http://www.ignca.nic.in/coilnet/chgr0042.htm|website=ignca.nic.in|accessdate=3 अक्टूबर 2015}}</ref> और इस गीत के साथ किया जाने वाला '''पंथी नृत्य''' छत्तीसगढ़ में के सतनामी जाति के लोगो के द्वारा ईश्वर (सतनाम पिता) की स्तुति में और संत गुरूघासी बाबा के जीवन चरित्र का वर्णन किया जाता है।<ref name=upkar>{{पुस्तक सन्दर्भ|title=छत्तीसगढ़ वृहद सन्दर्भ|publisher=उपकार प्रकाशन|page=408|url=https://books.google.co.in/books?id=c5x6BwAAQBAJ&lpg=PR15&ots=GE1i-mdlnQ&dq=%E0%A4%AA%E0%A4%82%E0%A4%A5%E0%A5%80%20%E0%A4%A8%E0%A5%83%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%AF&pg=PA408#v=onepage&q=%E0%A4%AA%E0%A4%82%E0%A4%A5%E0%A5%80%20%E0%A4%A8%E0%A5%83%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%AF&f=false|accessdate=3 अक्टूबर 2015}}</ref> यह निर्गुण भक्ति धारा से प्रेरित गीत और नृत्य हैं जिसमे गुरु घासीदास के द्वारा दिए गए उपदेश को गीत और नृत्य के माध्यम से मंच पर प्रस्तुत किया जाता है।<ref>{{समाचार सन्दर्भ|title=घासीदास जी के अमर संदेश-पंथी गीत|url=http://www.deshbandhu.co.in/newsdetail/1629/3/0#.Vg-Rteyqqko|accessdate=3 अक्टूबर 2015|publisher=देशबंधु|date=20 फरवरी 2010}}</ref> |
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इसके साथ प्रमुख वाद्य यंत्र के रूप में झांझ मंजीरा और मांदर तथा ढोलक का उपयोग किया जाता है। इसे छत्तीसगढ़ की खास पहचान के रूप में भी देखा जाता है।<ref>{{वेब सन्दर्भ|title=कृषि मंत्री ने किया सतनामी समाज के समाज सेवियों का सम्मान|url=http://www.dprcg.gov.in/2478-21-9-2013|website=dprcg.gov.in|publisher=छत्तीसगढ़ जनसंपर्क विभाग|accessdate=3 अक्टूबर 2015|date=21 सितंबर 2013}}</ref> |
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इस नृत्य के नर्तक स्वर्गीय देवदास बंजारे जी ने इसे देश विदेश तक पहुचाया इसका प्रमुख वाद्य यंत्र के रूप में झांझ मंजीरा और ढोलक का उपयोग किया जाता है। |
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इस नृत्य के नर्तकों में स्वर्गीय देवदास बंजारे का नाम उल्लेखनीय है।<ref>{{समाचार सन्दर्भ|title=देवदास बंजारे को पुण्यतिथि पर किया याद|url=http://www.bhaskar.com/news/CHH-RAI-HMU-MAT-latest-raipur-news-030523-2523433-NOR.html|accessdate=3 अक्टूबर 2015|publisher=दैनिक भास्कर|date=27 अगस्त 2015}}</ref> |
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==सन्दर्भ== |
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==बाहरी कड़ियाँ== |
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* [https://www.youtube.com/watch?v=vqHHnlCh94I यूट्यूब पर पंथी मास्टर देवदास बंजारे पर रमण सिंह का वक्तव्य] |
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पंथी गीत[1] और इस गीत के साथ किया जाने वाला पंथी नृत्य छत्तीसगढ़ में के सतनामी जाति के लोगो के द्वारा ईश्वर (सतनाम पिता) की स्तुति में और संत गुरूघासी बाबा के जीवन चरित्र का वर्णन किया जाता है।[2] यह निर्गुण भक्ति धारा से प्रेरित गीत और नृत्य हैं जिसमे गुरु घासीदास के द्वारा दिए गए उपदेश को गीत और नृत्य के माध्यम से मंच पर प्रस्तुत किया जाता है।[3]
इसके साथ प्रमुख वाद्य यंत्र के रूप में झांझ मंजीरा और मांदर तथा ढोलक का उपयोग किया जाता है। इसे छत्तीसगढ़ की खास पहचान के रूप में भी देखा जाता है।[4]
इस नृत्य के नर्तकों में स्वर्गीय देवदास बंजारे का नाम उल्लेखनीय है।[5]
सन्दर्भ
- ↑ "छत्तीसगढ़ के लोकगीत और लोकनृत्य". ignca.nic.in. अभिगमन तिथि 3 अक्टूबर 2015.
- ↑ छत्तीसगढ़ वृहद सन्दर्भ. उपकार प्रकाशन. पृ॰ 408. अभिगमन तिथि 3 अक्टूबर 2015.
- ↑ "घासीदास जी के अमर संदेश-पंथी गीत". देशबंधु. 20 फरवरी 2010. अभिगमन तिथि 3 अक्टूबर 2015.
- ↑ "कृषि मंत्री ने किया सतनामी समाज के समाज सेवियों का सम्मान". dprcg.gov.in. छत्तीसगढ़ जनसंपर्क विभाग. 21 सितंबर 2013. अभिगमन तिथि 3 अक्टूबर 2015.
- ↑ "देवदास बंजारे को पुण्यतिथि पर किया याद". दैनिक भास्कर. 27 अगस्त 2015. अभिगमन तिथि 3 अक्टूबर 2015.