प्रभु नारायण राजकीय इण्टर महाविद्यालय
प्रभु नारायण राजकीय इण्टर कॉलेज | |
प्रभु नारायण राजकीय इण्टर कॉलेज | |
स्थिति | |
---|---|
रामनगर उत्तर प्रदेश, India, 221008, भारत | |
निर्देशांक | 25°16′33″N 83°01′40″E / 25.275802°N 83.0276402°Eनिर्देशांक: 25°16′33″N 83°01′40″E / 25.275802°N 83.0276402°E |
जानकारी | |
विद्यालय प्रकार | इण्टर कॉलेजCollege]] शासकीय |
धार्मिक सम्बन्धता | सभी वर्ग |
स्थापना | 13 जनवरी 1913 |
आरम्भ | 1913 |
संस्थापक | सर जेम्स मेस्टन |
विद्यालय जिला | वाराणसी |
प्रधानाचार्य | डॉ प्रभास कुमार झा |
शिक्षण स्टाफ | 30+ शिक्षक |
Gender | पुरूष |
विद्यार्थी | 2000+ |
प्रद्यत कक्षाएँ | 6 से 12 |
भाषा माध्यम | हिन्दी |
माध्यम | हिन्दी, उर्दू और अंग्रेजी |
कक्षाएँ | 50+ |
परिसराकार | 7 एकड़ |
वर्षपुस्तिका | नव ज्योति |
प्रभु नारायण राजकीय इंटर कॉलेज रामनगर और वाराणसी का सबसे पुराना महाविद्यालय है। इस संस्थान ने शैक्षिक विकास के इतिहास को गर्व से आत्मसात किया है। यह लोगों के सभी समाजों को शिक्षा प्रदान करता है और उच्च योग्य प्रयोगशाला और कक्षाओं से सुसज्जित है। इसमें भौतिकी और रसायन विज्ञान की दो मंजिला प्रयोगशालाँए भी हैं और रामनगर का सबसे बड़ा खेल का मैदान है, जहां विभिन्न प्रकार के टूर्नामेंट विभिन्न महाविद्यालय द्वारा खेले जाते हैं। [1]
इतिहास
[संपादित करें]यह महाविद्यालय 13 जनवरी 1913 को सर जेम्स मेस्टन[2] द्वारा मेस्टन हाई स्कूल के रूप मे स्थापित किया गया था। सर प्रभु नारायण सिंह बहादुर[3] ने स्कूल की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी और स्कूल के लिए आवश्यक जमीन दान की थी तथा यह विद्यालय स्वतंत्र भारत के बाद एक सरकारी महाविद्यालय बन गया और इसे काशी नरेश के नाम पर प्रभु नारायण का नाम दिया गया। विज्ञान प्रयोगशाला 1978 में छात्रों की उचित शिक्षा के लिए बनाया गया था। छात्रावास दूर से आने वाले छात्रों के लिए व्यवस्थित किया गया था लेकिन बाद में इसकी आवश्यकता नहीं होने पर इसे बंद कर दिया गया। सन् 1953 को महाविद्यालय की नव ज्योति नामक वार्षिक पुस्तिका का पहला अंक प्रकाशित हुआ जो कई वर्षों तक सफलतापूर्वक प्रकाशित हुआ। यह कॉलेज अपनी विरासत भवनों के लिए प्रसिद्ध है। इस स्कूल का लाल रंग इसे और अधिक आकर्षक बनाता है मैदान के बीच में एक कुआँ और एक पुराने पिपल का वृक्ष है। सांस्कृतिक कार्यक्रमों के लिए कृष्ण रंग मंच नामक एक मंच है। 1988 में उस समय के तत्कालीन प्रधानाध्यापक ने इस मंच का निर्माण कराया था।
महाविद्यालय के मैदान मे एक और मंच है जिसे सन् 2000 में बनाया गया था। पहली बार सन् 2000 में, तत्कालीन मुख्यमंत्री राम प्रकाश गुप्ता ने "किसान मोर्चा" की रैली को संबोधित किया था। उस समय वर्तमान केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह और पूर्व मुख्य सचिव ओम प्रकाश सिंह भी उपस्थित थे। 22 नवंबर 2017 को 17 वर्षों के बाद, प्रांत के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस मंच से रामनगर के लोगों को संबोधित किया।[4]
परिसर
[संपादित करें]इस महाविद्यालय मे एक हॉल भी है जो कि जिले के सबसे बड़े हॉल में से एक है जहां कई प्रकार के कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं जैसे क्विज़ प्रतियोगिता, सांस्कृतिक कार्यक्रम, बहस प्रतियोगिता और कई अन्य प्रकार के कार्यक्रम। जिला स्तर के खेल खेलने के लिए कॉलेज मे एक विशाल खेल का मैदान भी है। 2016 में, विश्व जनसंख्या दिवस पर, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने यूपी को एक हरा भरा राज्य बनाने के लिए एक अभियान शुरू किया। जिसे यूपी गोज ग्रीन कहा गया, अखिलेश का लक्ष्य 24 घंटों के भीतर 5 करोड़ पौध लगाने का था। इसलिए "यूपी गोज ग्रीन कैम्पेन" का हिस्सा होने के लिए पौधों को महाविद्यालय मे भी 2 हेक्टेयर क्षेत्र में लगाया गया। महाविद्यालय के छात्रों ने भी 2000 से ज्यादा पौधे लगाने मे अपना योगदान दिया।[5]
प्रमुख व्यक्तित्व
[संपादित करें]- गोलेन्द्र पटेल, हिन्दी साहित्य की नई पीढ़ी के प्रमुख स्तम्भों में से एक एवं कवि व लेखक
इन्हें भी देखें
[संपादित करें]बाहरी कड़ियाँ
[संपादित करें]- ↑ "Location". Latlong.net. मूल से 7 अगस्त 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 16 मार्च 2018.
- ↑ "Baron Meston". Official website. मूल से 27 मार्च 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 16 मार्च 2018.
- ↑ "Prabhu Narayan". Official website. मूल से 18 अक्तूबर 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 16 मार्च 2018.
- ↑ "History of PNGIC". Times Of India website. मूल से 27 जून 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 16 मार्च 2018.
- ↑ "UP Goes Green Campaign". Akhilesh Yadav launches scheme to plant 5 crore saplings, Indian Express website. मूल से 9 मार्च 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 16 मार्च 2018.