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पारम्पारिक यथार्थवाद (अंतर्राष्ट्रीय संबंध)

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पारम्पारिक यथार्थवाद अंतरराष्ट्रीय राजनीति वाद में एर विचरधारा है। यथार्थवाद के पूर्वानुमान हैं कि - अंतर्राष्ट्रीय संबंध प्रणाली में मुख्य अभिनेता राज्य होते हैं, कोई उच्चराष्ट्रीय अंतर्राष्ट्रीय प्राधिकारी नहीं है, राज्य सदैव अपने हित में कार्य करते हैं, और राज्य आत्म-संरक्षण के लिए शक्ति चाहते हैं। [1] पारम्पारिक यथार्थवाद को अन्य यथार्थवाद के रूपों से अलग किया जा सकता है क्योंकि यह राज्य के व्यवहार एवं अंतर्राष्ट्रीय संघर्ष को समझने में मानव स्वभाव और गृह-राजनीति को विशेष महत्वपूर्णता देता है। [2] [3] पारम्पारिक यथार्थवादी मानते हैं कि मनुष्य स्वार्थी हैं और भय या आक्रामकता के प्रभाव से कार्य करते हैं। [4] अंतर्राष्ट्रीय अराजकता के कारण यही स्वार्थी प्रकृति अंतर्राष्ट्रीय राजनीति में दिखती है।

सन्दर्भ

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  1. Reus-Smit, C & Snidal. D 2008, “The Oxford Handbook of International Relations”, pp. 1–772, Oxford University Press
  2. Kirshner, Jonathan (2015). "The Economic Sins of Modern IR Theory and the Classical Realist Alternative". World Politics. 67 (1): 155–183. JSTOR 24578341. आइ॰एस॰एस॰एन॰ 0043-8871. डीओआइ:10.1017/S0043887114000318.
  3. Donnelly, Jack, 2000. “Realism and International Relations. Cambridge, England: Cambridge University Press”, Web.
  4. Williams, MC. 2007, “Realism reconsidered the legacy of Hans Morgenthau in international relations”, Oxford University Press, Oxford.