पानरवा
पानरवा राजस्थान के मेवाड़ क्षेत्र में उदयपुर जिले के झाड़ोल तहसील में स्थित एक गांव है, जो कि मेवाड़ राज्य का एक प्रमुख ठीकाणा हुआ करता था, जिसके शासक सोलंकी राजपूत शाखा से थे।[1]
भोमट के भील
[संपादित करें]भोमट उस क्षेत्र को कहते है जन्हा सब्सासे अधिक भील निवास करते है [2][3][4]। भोमट और खेराड़ के भील युद्ध करने में बेहद ही भयंकर थे । वे युद्ध करने के पहले जोर की ललकारी मारते थे ।
भोमट भील राजाओं की राजधानी रही यह एक ऐसा क्षेत्र रहा जन्हा के भीलों को कोई हरा नहीं सक दरसअल भोमट उस क्षेत्र को कहते है जनहा सबसे अधिक भील रहते है[5] । राणा दयालदास भील भोमट के महान शासक हुए । भील राजाओं में ही राणा हरपाल भील फिर दूद्धा भील और उनके बेटे राणा पूंजा भील[6] [7]हुए जिन्होंने हल्दीघाटी युद्ध में अहम भूमिका निभाई ।
इतिहास
[संपादित करें]सन 1478 ईसवी में रावत अक्षयराज सोलंकी ने, जो कि पाटन के सोलंकी राजाओं के वंशज थे, भोमट में प्रवेश किया और यहाँ के शासक जीवराज यादव को मारकर पानरवा पर अपना अधिकार स्थापित किया।[8] ।
सोलहवीं शताब्दी में रावत हरपाल पानरवा के शासक थे। जब महाराणा उदयसिंह ने भोमट में प्रवेश किया तो रावत हरपाल ने राणा उदयसिंह की बहुत सहायता की जिससे प्रसन्न होकर रावत हरपाल को राणा की पदवी दी गई। तभी से पानरवा के सोलंकी शासकों की पदवी राणा की रही। [9] राणा हरपाल के दूसरे पुत्र, नाहरसिंह के ओगणा पर अपना अधिकार जमाया और उनके वंशज ओगणा के शासक बने।
राणा हरपाल के बाद राणा दूदा और दूदा के बाद, दूदा के पुत्र राणा पूंजा पानरवा के शासक बने। राणा पूंजा ने महाराणा प्रताप की युद्ध में सहायता की थी।[10]
मेवाड़ राज्य की तरफ़ से पानरवा के सोलंकी राजपूत शासकों को पहले द्वितीय और फिर प्रथम श्रेणी की न्यायिक शक्तियाँ प्रदान की गई थी।[11]
वर्तमान प्रमुख
[संपादित करें]पानरवा राजपरिवार के वर्तमान प्रमुख राणा मनोहर सिंह सोलंकी है।[12]
जैव विविधता
[संपादित करें]तेंदुआ, उड़ने वाली गिलहरी, मगरमच्छ, विभिन्न सांप, मून मोथ, टसर, स्लॉथ बीयर, लोमड़ी, हैना, जैकाल, कॉमन केवेट, मोंगोज, चार सींग वाले मृग, भारतीय साही, पेल हेज हॉग, फाउल, फ्रांसोलिन, बटेर, विभिन्न दुर्लभ प्रजातियां आदि पाए जाते है। महुवा, बुरा, पीपल, गूलर, बहेडा, सआद, करंज, खजूर, गोडल, सालार, बेर, घटबोर, कड़ाया, खिरनी, चुरेल, गंगेरन, सफ़ेद, ढोक, इंडोक, बेल, कोतबाड़ी, जंगली केला, आदि।[13]
- Paliwal, Dr. Devilal (2000). Panarwa ka Solanki Rajvansh. Udaipur: Janak Prakashan.
संदर्भ
[संपादित करें]- ↑ Mewar Under Maharana Bhupal Singh, p22
- ↑ Mehara, Jahūrakhām̐ (1992). Rājasthāna svatantratā āndolana kā itihāsa. Śrī Jagadīśasiṃha Gahalota Śodha Saṃsthāna.
- ↑ Sharma, Dr G. L.; Kashyap, Suraj (2021-08-19). RAS/RTS (PRARAMBHIK PARIKSHA) VASTUNISTH SAMANYA GYAN EVAM SAMANYA VIGYAN (Prabhat Prakashan): Bestseller Book by Dr. G.L. Sharma; Suraj Kashyap: RAS/RTS (PRARAMBHIK PARIKSHA) VASTUNISTH SAMANYA GYAN EVAM SAMANYA VIGYAN (Prabhat Prakashan) (अंग्रेज़ी में). Prabhat Prakashan. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-93-5322-517-9.
- ↑ Singh, Pratap Narayan. The Helios of the Aravalis (Novel) (अंग्रेज़ी में). Diamond Pocket Books Pvt Ltd. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-93-5684-631-9.
- ↑ जोशी, बालकृष्ण (1973). उदयपुर डायरेक्ट्री: सन्दर्भ ग्रन्थ. Kamala Sāhitya Saṃsāra.
- ↑ Chitale, Ranjana (2023-01-28). Janjateeya Yoddha : (Swabhiman Aur Swadheenta Ka Sangharsh): Bestseller Book by Ranjana Chitale: Janjateeya Yoddha : (Swabhiman Aur Swadheenta Ka Sangharsh). Prabhat Prakashan. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-93-95386-46-3.
- ↑ Bhāratīya purātatva. Śrī Munijinavijaya Sammāna Samiti. 1971.
- ↑ Paliwal 2000, पृ॰ 19.
- ↑ Paliwal 2000, पृ॰ 45.
- ↑ Paliwal 2000, पृ॰ 96.
- ↑ Mewar Under Maharana Bhupal Singh, p22
- ↑ Paliwal 2000, पृ॰ 89.
- ↑ "Panarwa" (अंग्रेज़ी में). मूल से 19 अक्तूबर 2019 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2020-05-18.