केरला साहित्योत्सव
केरला साहित्योत्सव या केरला लिटरेचर फेस्टिवल (के. एल. एफ) एक वार्षिक साहित्योत्सव है जो हर साल कोषीकोड के समुद्र तट में मनाया जाता है। डी सी कीषकेमुरी फाउंडेशन और अन्य संगठनों की सहायता से के. एल. एफ हर साल मनाया जाता हैं। इसे पहली बार फरवरी 4-7 , 2016 के दौरान कोषीकोड के समुद्र तट पर आयोजित किया गया था। कवि,आलोचक और केरला साहित्य अकादमी के भूतपूर्व अध्यक्ष प्रोफेसर डॉक्टर के सचितानन्दन इस साहित्योत्सव के निर्देशक हैं। साहित्योत्सव के मंच की रूपरेखा चित्रकार रियाज़ कोमू ने तय्यार की।
चरित्र, घटनाक्रम
[संपादित करें]2018
[संपादित करें]केरला लिटरेचर फेस्टिवल का तीसरा भाग फरवरी 8-11, 2018 , कोषीकोड बीच में मनाया जायेगा।
2017
[संपादित करें]केरला साहित्योत्सव का दूसरा भाग फरवरी 2-5, 2017, कोषीकोड समुद्र तट पर मनाया गया था। लघुकथा लेखक और उपन्यासकार पाउल ज़करिया ने के. एल. एफ 2017 उद्घाटन किया। ओ. वि. विजयन का कार्टून भी प्रद्रशित किया गया था। दुनिया के विविध भागों से आये तीन सौ से ज्यादा लेखक केरला साहित्योत्सव 2017 के भाग थे। सॉउथ आफ्रिका लेखक अरि सीतास, पाकिस्तानी लेखिका क़ुएसरा शहरास, स्लोवेनिया लेखक इवाल्ड फ़्लिसर, चेक रिपब्लिक से अलेक्जेन्ड्रा बुच्लेर, पोर्चुगीज़ से ब्रूनो विएरा अमराल और वेल्स (यूनाईटेड किंगडम) से निया डेविस केरला साहित्योत्सव में उपस्थित थे। साहित्योत्सव का सेशन चार मंच पर संगठित किया गया था - 'ऐषुतोला ', 'अक्क्षरं', 'तूलिका' और 'वेल्लीतीरा'।
विद्यार्थियों के लिये के.एल.एफ 2017 एक विशेष कार्यक्रम प्रस्तुत किया था - 'स्टुडेन्ट के.एल.एफ'। इधर विद्यार्थियों को लेखकों से एक खुला चर्चा करने का मौका मिलता हैं।
2016
[संपादित करें]केरला साहित्योत्सव 2016 का नेतृत्व कोषीकोड मेयर वि. के. सी. मम्मद कोया (चेयरमैन), रवि डीसी (मुख्य समन्वयक) और ए. के. अब्दुल हकीम (प्रधान संयोजक ) ने की थी।
केरला साहित्योत्सव 2016 का मंच एम. टी. वासुदेवन नायर , अडूर गोपालकृष्णन, आनन्द , तसलीमा नसरीन, अशोक वाजपेयी [1], खदीजा मुमताज़, इन्दु मेनोन, एम. मुकुन्दन, साराह जोसफ, गीता हरिहरन, मीना कंदसामी, प्रतिभा रेय, टी. डी. रामकृष्णन, टी. पद्मनाभन , सुभाष चंद्रन, लीन मणिमेक्लै, गिरीष कासरवल्ली जैसे विशिष्ट लोगों ने धन्य किया।
'मुझे नहीं लगता कि भारत एक असहिष्णु देश है। अधिकतर लोग एक दूसरे की आस्था के प्रति सहनशील होते हैं, ऐसा मेरा मानना है,' तसलीमा नसरीन ने केरला साहित्योत्सव 2016 पर कहा, नवभारत टाइम्स रिपोर्ट प्रकार।[2]
तस्वीरें
[संपादित करें]सन्दर्भ
[संपादित करें]- ↑ "कभी-कभार : असहिष्णुता की बहस ने दूसरे जरूरी मुद्दों को हाशिए पर तो नहीं ढकेल दिया है!– सत्याग्रह". मूल से 2 मार्च 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 1 मार्च 2017.
- ↑ "मुझे नहीं लगता भारत असहिष्णु देश है: तसलीमा– नवभारत टाइम्स". मूल से 1 मार्च 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 1 मार्च 2017.