अर्नेस्ट रदरफोर्ड
अर्न्स्ट रदर्फ़ोर्ड | |
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रॉयल सोसाईटी के अध्यक्ष
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पद बहाल 1925–1930 | |
पूर्वा धिकारी | Sir Charles Scott Sherrington |
उत्तरा धिकारी | Sir Frederick Gowland Hopkins |
जन्म | 30 अगस्त 1871 Brightwater, Tasman District, New Zealand |
मृत्यु | 19 अक्टूबर 1937 Cambridge, England, UK | (उम्र 66 वर्ष)
नागरिकता | British subject |
राष्ट्रीयता | न्यूजीलैण्डीय |
निवास | न्यूजीलैण्ड, यूनाइटेड किङडम |
हस्ताक्षर | |
अर्न्स्ट रदर्फ़ोर्ड (३० अगस्त १८७१ - ३१ अक्टूबर १९३७) न्यूज़ीलैण्डीय भौतिक शास्त्री थे जिन्हें परमाणु भौतिकी के जनक के रूप में जाना जाता है। ब्रिटैनिका विश्वकोष उन्हें माइखल फ़ैरडे के बाद सबसे बड़ा प्रयोगवादी मानता है।[1] अपनी मातृभूमि में अपने कार्य के अतिरिक्त, उन्होंने कनाडा और यूनाइटेड किंगडम दोनों में विदेश में अपने करियर का एक बड़ा भाग बिताया।
प्रारम्भिक कार्य में, रदर्फ़ोर्ड ने रेडियोधर्मी अर्धायु काल, रेडियोधर्मी तत्त्व रेडॉन[2] की अवधारणा की खोज की, और अल्फा और बीटा विकिरण को विभेदित और नाम दिया। यह काम मोंरेयाल, केबैक, कनाडा में मैकजिल विश्वविद्यालय में किया गया था। यह रसायन शास्त्र में नोबेल पुरस्कार का आधार है, उन्हें 1908 में "तत्वों के विघटन और रेडियोधर्मी पदार्थों के रासायनिकी में उनकी जांच हेतु" से सम्मानित किया गया था, जिसके हेतु वे पहले महासागरीय नोबेल पुरस्कार विजेता थे, और पहले कनाडा में सम्मानित कार्य को प्रदर्शन करने वाले थे। 1904 में, उन्हें अमेरिकीय दार्शनिक समाज के सदस्य के रूप में चुना गया।[3]
रदर्फ़ोर्ड 1907 में ब्रिटेन में मैंचेस्टर विश्वविद्यालय चले गए, जहाँ उन्होंने और थॉमस रॉय्ड्स ने प्रमाणित किया कि अल्फा विकिरण हीलियम नाभिक है।[4] नोबेल पुरस्कार विजेता बनने के बाद रदर्फ़ोर्ड ने अपना सर्वप्रसिद्ध कार्य किया। 1911 में, यद्यपि वह यह प्रमाणित नहीं कर सके कि यह धनात्मक या ऋणात्मक था, उन्होंने सिद्धान्त दिया कि परमाण्वों का आवेश एक बहुत छोटे नाभिक में केन्द्रित होता है,[5] और इस तरह परमाणु के रदर्फ़ोर्ड मॉडल का नेतृत्व किया, रदर्फ़ोर्ड प्रकीर्णन की अपनी खोज और व्याख्या हांस गाइगर और अर्न्स्ट मार्स्डन के स्वर्ण पन्नी प्रयोग द्वारा किया गया था। उन्होंने 1917 में प्रयोगों में पहली कृत्रिम रूप से प्रेरित नाभिकीय प्रतिक्रिया की, जहाँ नाइट्रोजन नाभिकों पर अल्फा कणों के साथ बमबारी की गई थी। परिणामस्वरूप, उन्होंने एक उप-परमाणु कण के उत्सर्जन की खोज की, जिसे 1919 में उन्होंने "हाइड्रोजन परमाणु" कहा, परन्तु 1920 में, उन्होंने अधिक सठीक रूप से प्रोटॉन का नाम दिया।[6][7]
रदर्फ़ोर्ड 1919 में कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में कैवेण्डिश प्रयोगशाला के निदेशक बने। उनके नेतृत्व में 1932 में जेम्स चैड्विक द्वारा न्यूट्रॉन की खोज की गई थी और उसी वर्ष नाभिक को पूरी तरह से नियन्त्रित तरीके से विभाजित करने का प्रथम प्रयोग छात्रों द्वारा किया गया था। उनकी दिशा, जॉन कॉक्क्रॉफ़्ट और अर्न्स्ट वाल्टन। 1937 में उनकी मृत्यूपरान्त, उन्हें सर आइज़क न्यूटन के पास वेस्ट्मिन्स्टर ऍबी में दफनाया गया था। रासायनिक तत्त रदर्फ़ोर्डियम का नाम उनके नाम पर 1997 में रखा गया था।
परिचय
[संपादित करें]अर्नेस्ट रदरफोर्ड का जन्म 30 अगस्त 1871 को न्यूजीलैंड में हुआ था। अपनी अधिकतम उम्र रासायनिक प्रयोगों में गुजारने वाले वैज्ञानिक माइकल फैराडे के बाद दूसरे स्थान पर अर्नेस्ट रदरफोर्ड का ही नाम आता है। भौतिक विज्ञान में अपनी योग्यताओं के चलते 1894 में रदरफोर्ड को प्रसिद्ध भौतिक विज्ञानी सर जे.जे.थॉमसन के अधीन शोध करने का मौका मिला, इसके लिए उन्हें छात्रवृत्ति भी मिली। 1898 में कनाडा के मैकगिल विश्वविद्यालय में वे भौतिकी के प्रोफेसर रहे और 1907 में इंग्लैंड मैनचैस्टर विश्वविद्यालय में भौतिकी के व्याख्याता। 1919 में थॉमसन की मृत्यु के बाद कैम्ब्रीज विश्वविद्यालय में अर्नेस्ट रदरफोर्ड ही भौतिकी के प्राध्यापक और निदेशक बने। भौतिक रसायन के लगभग सभी प्रयोगों में उपयोग होने वाली अल्फा, बीटा और गामा किरणों के बीच अन्तर बताने वाले वैज्ञानिक अर्नेस्ट रदरफोर्ड ही थे। नाभिकीय भौतिकी में योगदान के लिए 1908 में उन्हें नोबल पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
अर्नेस्ट रदरफोर्ड के परमाणु संरचना के सिद्धांत से पहले पदार्थों में परमाणु की उपस्थिति का पता तो चल सका था, किन्तु परमाणु के बारे में जो जानकारी थी उसे आगे गति दी अर्नेस्ट रदरफोर्ड के किए प्रयोंगों ने।
सालों पहले महर्षि कणाद ने यह बता दिया था कि प्रत्येक पदार्थ बहुत छोटे−छोटे कणों से मिलकर बना है[उद्धरण चाहिए]। 1808 में ब्रिटेन के भौतिक विज्ञानी जॉन डाल्टन ने अपने प्रयोगों के आधार पर बताया कि पदार्थ जिन अविभाज्य कणों से मिलकर बना है उन्हें परमाणु कहते हैं। इन परमाणुओं का स्वतंत्र अस्तित्व संभव है।
डॉल्टन के बाद वैज्ञानिक थॉमसन व रदरफोर्ड के प्रयोगों ने डॉल्टन के सिद्धांत में सुधार किया उन्होंने स्पष्ट कर दिया कि परमाणु अविभाज्य नहीं है बल्कि यह छोटे−छोटे आवेशित कणों से मिलकर बना है। 1897 में सर थामसन ने परमाणु के अंदर धनावेशित कण की उपस्थिति प्रमाणित की। उस समय तक परमाणु के अंदर उपस्थित धनावेशित कणों के लिए कहा गया था कि ये कण परमाणु के अंदर बिखरी हुई अवस्था में ठीक उसी रहते हैं जैसे बूंदी के लड्डू में इलायची के दाने अथवा वॉटर मैलन के अंदर उसके बीज या क्रिसमस पुडिंग में ड्राइ फ्रूट्स।
अर्नेस्ट रदरफोर्ड का वैज्ञानिक दिमाग परमाणु के अंदर इलेक्ट्रान की इस तरह की व्याख्या से संतुष्ट नहीं था, संतुष्टि के लिए उन्होंने कई और प्रयोग किए। परमाणु के अंदर की को संरचना जानने के लिए 1911 में उन्होंने एक प्रयोग किया जिसमें उन्होंने निर्वात में स्क्रीन के सामने रखी एक पतली स्वर्ण पन्नी में से कुछ अल्फा किरणों को गुजारा। प्रयोग के परिणाम आश्चर्य चकित करने वाले थे। परमाणु के बारे में अब तक प्रचलित सिद्धान्त के अनुसार अल्फा कणों को गोल्ड फॉइल के पार स्क्रीन पर एक ही जगह जाकर टकराना चाहिए था, किन्तु रदरफोर्ड ने देखा कि कुछ अल्फा कण गोल्ड फॉइल से टकराकर भिन्न−भिन्न कोणों पर विचलित होकर वापस आ रहे थे और कुछ उसके पार भी निकल रहे थे। रदरफोर्ड के प्रयोग ने स्पष्ट कर दिया कि परमाणु के मध्य कुछ घना धनात्मक भाग है जिससे अल्फा कण वापस लौट रहे थे। प्रयोग से उन्होंने सिद्ध किया कि यह धनात्मक घना भाग परमाणु का 'नाभिक' (न्यूक्लियस) है, इस नाभिक में ही परमाणु का समस्त द्रव्यमान केंद्रित रहता है एवं इलेक्ट्रान इसी धनात्मक आवेश के चारों और व्यवस्थित रूप से घूमते हैं।
इन्हें भी देखें
[संपादित करें]- ↑ "Ernest Rutherford | Accomplishments, Atomic Theory, & Facts | Britannica". www.britannica.com (अंग्रेज़ी में). अभिगमन तिथि 2023-04-05.
- ↑ Cheremisinoff, Nicholas P. (2016-04-20). Pollution Control Handbook for Oil and Gas Engineering (अंग्रेज़ी में). John Wiley & Sons. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-1-119-11788-9.
- ↑ "APS Member History". search.amphilsoc.org. अभिगमन तिथि 2023-04-05.
- ↑ Rutherford, E.; Royds, T. (1908-08-01). "XXIV. Spectrum of the radium emanation". आइ॰एस॰एस॰एन॰ 1941-5982. डीओआइ:10.1080/14786440808636511. Cite journal requires
|journal=
(मदद) - ↑ Longair, Malcolm S. (2003-12-04). Theoretical Concepts in Physics: An Alternative View of Theoretical Reasoning in Physics (अंग्रेज़ी में). Cambridge University Press. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-0-521-52878-8.
- ↑ Rutherford, E. (1919-06-01). "LIV. Collision of α particles with light atoms . IV. An anomalous effect in nitrogen". डीओआइ:10.1080/14786440608635919. Cite journal requires
|journal=
(मदद) - ↑ "Bakerian Lecture: Nuclear constitution of atoms". Proceedings of the Royal Society of London. Series A, Containing Papers of a Mathematical and Physical Character (अंग्रेज़ी में). 97 (686): 374–400. 1920-07. आइ॰एस॰एस॰एन॰ 0950-1207. डीओआइ:10.1098/rspa.1920.0040.
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में तिथि प्राचल का मान जाँचें (मदद)