1964 पूर्वी पाकिस्तान जनसंहार
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1964 पूर्वी पाकिस्तान जातीय हत्या | |
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स्थान | पूर्वी पाकिस्तान |
तिथि | 2 जनवरी 1964 – 28 मार्च 1964 |
लक्ष्य | बंगाली हिन्दू, Garos |
हमले का प्रकार | नरसंहार, बलपूर्वक मतान्तरण, Plunder, Arson, Abduction और दुष्कर्म |
अपराधी | पूर्वी पाकिस्तान पुलिस, Ansars, सेना, East-Pakistan Rifles, स्थानीय मुसलमान |
उद्देश्य | 1963 Hazratbal incident |
1964 पूर्वी पाकिस्तान जनसंहार में भारत में जम्मू और कश्मीर में हज़रतबल दरगाह से पैगम्बर के बालों की कथित चोरी के मद्देनजर पूर्वी पाकिस्तान से बंगाली हिन्दुओं के नरसंहार और जातीय सफाई का उल्लेख है। नरसंहार की मुख्य विशेषता इसकी नगरीय प्रकृति और ढाका की राजधानी में बंगाली हिन्दू स्वामित्व वाले उद्योगों और व्यापारिक प्रतिष्ठानों का चयनात्मक लक्ष्यीकरण था। इसके परिणामस्वरूप पड़ोसी पश्चिम बंगाल में बंगाली हिन्दू शरणार्थियों की अन्तहीन लहरें उठीं। शरणार्थी पुनर्वास भारत में एक राष्ट्रीय समस्या बन गया, और सैकड़ों शरणार्थियों को ओडिशा और मध्य प्रदेश (अब छत्तीसगढ़ में) के दण्डकारण्य क्षेत्र में बसाया गया।
प्रेस सेंसरशिप (Censorship)
[संपादित करें]प्रेस रिपोर्टों को पाकिस्तान में बहुत सेंसर (सेंसर) किया गया था। फोटोग्राफी प्रतिबन्धित थी। पाकिस्तान सरकार ने निष्पक्ष रिपोर्टिंग के लिए द डेली इत्तेफाक और पाकिस्तान ऑब्जर्वर पर अभिवेचन (सेंसरशिप) लगा दी। विरोध में पूर्वी पाकिस्तान के पाँच दैनिक समाचार पत्रों ने प्रकाशन बन्द कर दिया। जब रॉयटर्स ने बताया कि अकेले ढाका में 1,000 से अधिक लोग मारे गये हैं, तो पाकिस्तान सरकार ने तत्काल विरोध दर्ज कराया।