हीदा मीणा

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मीणा जनजाति में कई शूरवीर पैदा हुए हैं उन्हीं में से एक हैं वीर हीदा मीणा (जन्म: 1688, मृत्यु:1750) । यह वीर जयपुर राज्य में राजा जयसिंह के समय हुआ था। जब राजा जयसिंह ने अश्वमेध यज्ञ करने की इच्छा प्रकट की तो ब्रह्मणो ने बताया कि ऐसा करने के लिए वरदराज विष्णु की मूर्ति आवश्यक है पौराणिक मान्यताओं के अनुसार उस मूर्ति को सामने रखकर द्वापरयुग में युधिष्ठिर ने अश्वमेध यज्ञ कराया था।

जो उस समय कांचीपुरम के राजा के पास थी, राजा जयसिंह ने कांची के राजा से मूर्ति मांगी परंतु कांची के राजा ने मना कर दिया। इस पर राजा जयसिंह ने दरबार में बात रखी की कांची से मूर्ति लाने का साहस किसमें है। तब सभी ने सलाह दी कि यह काम सिर्फ हीदा मीणा ही कर सकता हैं। तब राजा जयसिंह ने हीदा को मूर्ति लेने भेजा, हीदा मूर्ति के साथ साथ कांची के राजा को भी बंदी बना लाया।

राजा जयसिंह ने खुश हो कर परसराम द्वारा के पीछे वाली मोती डूंगरी पर हीदा की मूर्ति लगवाकर उसे सम्मानित किया। जिसे आज हीदा की मोरी के नाम से जाना जाता हैं।