हिन्दू-जर्मन षड्यंत्र का अभियोग

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भगवान सिंह ज्ञानी को सन १९१७ में सान फ्रांसिस्को में हिंदू-जर्मन षड्यंत्र के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।

हिंदू-जर्मन षड्यन्त्र का अभियोग 12 नवंबर 1917 को सैन फ्रांसिस्को के जिला न्यायालय में शुरू हुआ। यह अभियोग भारत में हिन्दू-जर्मन षड्यन्त्र के रूप में एक विद्रोह शुरू करने की योजना के सामने आने के बाद शुरू किया गया था। यह अभियोग उस समय चला था जब प्रथम विश्वयुद्ध में संयुक्त राज्य अमेरिका प्रवेश के बाद वहाँ ऐसी घटनाओं की एक शृंखला शुरू हो गयी थी।

मई 1917 में एक संघीय ग्रंड जूरी ने ग़दर पार्टी के आठ भारतीय राष्ट्रवादियों पर यूनाइटेड किंगडम के खिलाफ एक सैन्य उद्यम बनाने के षड्यंत्र के आरोप में अभियोग लगाया। यह मुकदमा 20 नवम्बर, 1917 से 24 अप्रैल, 1918 तक चला। ब्रिटिश अधिकारियों को आशा थी कि दोषसिद्धि के बाद भारतीयों को अमेरिका से निर्वासित करके भारत भेजा जाएगा। किन्तु भारतीयों के पक्ष में मजबूत जन समर्थन था जिसको ध्यान में रखते हुए अमेरिकी न्याय विभाग ने वैसा न करने का फैसला किया।

सन्दर्भ[संपादित करें]

इन्हें भी देखें[संपादित करें]