स्वामी ब्रह्मानन्द

स्वामी ब्रह्मानन्द (21 जनवरी 1863 - 10 अप्रैल 1922) रामकृष्ण मिशन के प्रथम संघाध्यक्ष थे। उनका पूर्वाश्रम नाम 'राखाल चन्द्र घोष' था। रामकृष्ण परमहंस ने उन्हें मानस-पुत्र के रूप में ग्रहण किया। भक्त मंडली में वे 'राजा महाराज' के नाम से जाने जाते हैं।
जीवनी
[संपादित करें]जन्म और बचपन
[संपादित करें]स्वामी ब्रह्मानन्द का जन्म 21 जनवरी,1863 को कोलकाता के निकट स्थित शिकरा नामक ग्राम में हुआ। उनका पूर्व नाम था राखालचन्द्र घोष। पिता आनन्द मोहन घोष के वे बड़े बेटे थे। किशोर उम्र में ही उनका विवाह करवा दिया गया था।
विवेकानन्द और रामकृष्ण के साथ मिलन
[संपादित करें]बारह वर्ष की उम्र में उच्चशिक्षा के लिए वे कोलकाता आये। यहीँ पर उनकी मित्रता नरेन्द्रनाथ से हुआ। प्रेमघनविग्रह श्रीरामकृष्ण के आकर्षण से उनका आगमन दक्षिणेश्वर में हुआ था।श्रीरामकृष्ण ने राखाल को अपना मानस पुत्र के रूप में ग्रहण किये थे।
गुरु के मृत्यु के बाद
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== संघाध्यक्ष के रूप में ==Gyan ke sagar bhi thee
अंतिम दिन
[संपादित करें]उपदेश
[संपादित करें]- साधन भजन में निष्ठा जरुरी। एक दिन भी व्यर्थ में न गवाँए।
- त्याग न करने से ईश्वर में भक्ति नहीं होता। त्याग है- अहंकार को नष्ट करना।
- ब्रह्मचर्य और तपस्या से मन की शक्ति बढ़ती हैं।
ब्रह्मानन्द के नाम पर बनी संस्थाएँ
[संपादित करें]उनके शिष्य योगिंद्रनाथ टैगोर ने १९१२ में बरानगर, कोलकाता में उनके नाम पर एक स्कूल की स्थापना की। टैगोर ने स्कूल का नाम "ब्रह्मानंद बालकाश्रम" रखा था, जिसे अब बरानगर रामकृष्ण मिशन आश्रम उच्च विद्यालय के रूप में जाना जाता है।[1][2]
आगे अध्ययन के लिए
[संपादित करें]- प्रभानन्द, स्वामी : स्वामी ब्रह्मानन्द चरित, रामकृष्ण मठ, नागपुर द्वारा प्रकाशित।
सन्दर्भ
[संपादित करें]- Prabhavananda,Swami.The Eternal Companion Brahmananda,Vedanta Press,California,3rd Edition
- Ashokananda,Swami. Swami Brahmananda,Vedanta Press of Northern California,San Francisco,1970.
बाहरी कड़ियाँ
[संपादित करें]- ↑ "रामकृष्ण मिशन आश्रम, बारानगर, कोलकाता". Archived from the original on 15 दिसंबर 2018. Retrieved 13 जून 2018.
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(help) - ↑ "रामकृष्ण मिशन आश्रम, बारानगर मिशन". Archived from the original on 13 जुलाई 2015. Retrieved 17 मई 2015.