सदस्य वार्ता:Saifullah gopalganjwi

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Latest comment: 5 वर्ष पहले by Saifullah gopalganjwi in topic Introduction
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-- नया सदस्य सन्देश (वार्ता) 12:35, 8 दिसम्बर 2018 (UTC)उत्तर दें

Introduction[संपादित करें]

सैफुल्लाह भाई का जन्म 12 मई 1996 को बिहार के गोपालगंज जिले के छोटे से गांव सरेया पहाड़ में हुआ था। पिता का नाम शहीद सिद्दीक़ी और माता का नाम शाफिकुन नेशा था । बहुत ही गरीब परिवार था , सही से खाना पीना मुश्किल था , बहुत ही मुश्किलों कि सामना करना पड़ता था,बहुत ही मुश्किल से सैफुल्लाह भाई को गाव के स्कूल में दाखिला लिया, जब 10वा पास किए तो उनके पापा के पास पैसा नहीं हो पाया कि सैफुल्लाह भाई को आगे पढ़ने की खर्च उठा सके। मगर सैफुल्लाह भाई ने हिम्मत नहीं हारी और अपने आगे के लिए सोचने लगे और छोटे छोटे बच्चो को स्टडी करने लगे , जिससे उनको पैसा मिलने लगा और आगे इंटरमिडिएट पंडित दीनदयाल उपाध्याय कॉलेज खजुरिया गोपालगंज से किए। उसके बाद पैसा का और मसला हो गया , मगर फिर भी अल्लाह से दुआ करते रहे और अल्लाह ने उनकी सुन ली , फिर स्कॉलरशिप के द्वारा इंजीनियरिंग कॉलेज में दाखिला लिया, यहां पर उनको बहुत मश्किलो की सामना करना पड़ा। स्टडी के लिए रात में कंपनी में काम करना पड़ता था फिर सुबह कॉलेज जाना पड़ता था। किसी भी तरीके से इंजीनियरिंग पास किए,मगर शुरु से कुछ देश के लिए करना चाहते है।। Saifullah bhai Saifullah gopalganjwi (वार्ता) 18:08, 8 दिसम्बर 2018 (UTC)उत्तर दें

Bahut achha hai sir Saifullah gopalganjwi (वार्ता) 18:10, 8 दिसम्बर 2018 (UTC)उत्तर दें

introduction[संपादित करें]

सैफुल्लाह भाई का जन्म 12 मई 1996 को बिहार के गोपालगंज जिले के छोटे से गांव सरेया पहाड़ में हुआ था। पिता का नाम शहीद सिद्दीक़ी और माता का नाम शाफिकुन नेशा था । बहुत ही गरीब परिवार था , सही से खाना पीना मुश्किल था , बहुत ही मुश्किलों कि सामना करना पड़ता था,बहुत ही मुश्किल से सैफुल्लाह भाई को गाव के स्कूल में दाखिला लिया, जब 10वा पास किए तो उनके पापा के पास पैसा नहीं हो पाया कि सैफुल्लाह भाई को आगे पढ़ने की खर्च उठा सके। मगर सैफुल्लाह भाई ने हिम्मत नहीं हारी और अपने आगे के लिए सोचने लगे और छोटे छोटे बच्चो को स्टडी करने लगे , जिससे उनको पैसा मिलने लगा और आगे इंटरमिडिएट पंडित दीनदयाल उपाध्याय कॉलेज खजुरिया गोपालगंज से किए। उसके बाद पैसा का और मसला हो गया , मगर फिर भी अल्लाह से दुआ करते रहे और अल्लाह ने उनकी सुन ली , फिर स्कॉलरशिप के द्वारा इंजीनियरिंग कॉलेज में दाखिला लिया, यहां पर उनको बहुत मश्किलो की सामना करना पड़ा। स्टडी के लिए रात में कंपनी में काम करना पड़ता था फिर सुबह कॉलेज जाना पड़ता था। किसी भी तरीके से इंजीनियरिंग पास किए,मगर शुरु से कुछ देश के लिए करना चाहते है।। Saifullah gopalganjwi (वार्ता) 18:09, 8 दिसम्बर 2018 (UTC)उत्तर दें