सदस्य वार्ता:Mushtaq Ahmed Khilji

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-- नया सदस्य सन्देश (वार्ता) 09:19, 26 मार्च 2023 (UTC)[उत्तर दें]

इस्लाम में रोज़ा[संपादित करें]

इस्लाम में रोज़ा सिर्फ भूखे रहने के लिए नही है । रोज़ा रूह ओर रूहानियत को मजबूत करने के लिए है ।दिल, दिमाग,आंख,कान, मुंह और जबान से भी रोज़ा रहने पर ही कामयाबी है । आंख से गलत तरीके से नहीं देखें ।कान से बुरी बातें नहीं सुने । दिल में किसी के लिए बुराई नहीं रखे । दिमाग में अल्लाह पाक का जिक्र करते हुए और किसी बुराई को करीब नहीं आने दें। किसी भी भूखे ओर प्यासे की तकलीफों को करीब से जानने और समझने के लिए रोज़ा रखते हैं । इन्सान की गलत ख्वाहिश (नफ्स) पर काबू का अहम जरिया रोज़ा है ।


Mushtaq Ahmed Khilji (वार्ता) 09:53, 26 मार्च 2023 (UTC) Mushtaq Ahmed Khilji (वार्ता) 10:06, 26 मार्च 2023 (UTC)[उत्तर दें]

इस्लाम में काफ़िर कौन ?[संपादित करें]

कुरआन पाक में जो दीन में रहकर दिल से, जानकारी होते हुए भी कुफ्र करता है और अल्लाह पाक ने जिस पर कुफ्र की लानत भेजी है ,उसे काफ़िर कहा गया है ।सबके अपने सच्चे दीन पर चलने ओर सबको अपने सच्चे दीन को मानने में कोई भी एतराज कुरआन पाक में नहीं है।इस वजह से किसी अलग कौम के लिए काफ़िर कह देना मुनासिब नहीं समझा जाता है। Mushtaq Ahmed Khilji (वार्ता) 11:47, 26 मार्च 2023 (UTC)[उत्तर दें]