सदस्य वार्ता:Mandap sanskritik shiksha kala kendra

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-- नया सदस्य सन्देश (वार्ता) 15:48, 19 जनवरी 2016 (UTC)[उत्तर दें]

राष्ट्रीय, प्रादेशिक एवं समस्थानीक ज्वलंत समस्याओं के तथ्यपरक विवेचन जागरूकता और संास्कृतिक शिक्षण-प्रशिक्षण के लिए मण्डप का गठन रीवा और आस.पास के कुछ लोगों ने मिलकर किया। रीवा और म.प्र. के आसपास के क्षेत्र में रंगकर्म के बीज बहुत अधिक संख्या में और बिखरे हुए थे ये बीज अपने आस पास के वातावरण से प्राप्त हवा और नमी से प्रस्फुटित तो होते थे। परंतु नमी के उड़ जाने के बाद ये कुम्हला और सूख जाते थें। इनके लिए ऐसा कोई बगीचा क्यारी नहीं थी जहां पर इन्हें संरक्षित और सहेजा जा सकें। देखरेख के लिए कोई माली भी नहीं था जो सींचता और देखभाल कर उनको वृक्ष बनने के सुअवसर प्रदान करता।

अपने आसपास के वातावरण और नमी से उपजे इन्ही पौधो को संरक्षित करने सहेजने, सुरक्षा देने और उन्हें बेहतर वृक्ष बनाने के लिए मण्डप का निर्माण किया गया। 1982 के दौर में जब भोपाल में भारत भवन में रंगमण्डल की स्थापना हुई और वहां होने वाले रंगकर्म की आंच और धमक समुचे म.प्र. में पहुंची। इस आंच और धमक में 2000 के आसपास में तेजी आई। रंगकर्म के सुधी और वरिष्ठ लोगों के सांनिध्य में रहकर उन्होने कार्य किया और सीखा। एक दशक बाद लौटकर उन्होने यहां के पौधे को सहेजने और मंच देने का काम किया। आज यह काम निरंतर जारी है और दिनों दिन फल-फूल रहा है। लगभग 2004 से मंडप द्वारा नुक्कड़ नाटकों से नाटकों का सिलसिला शुरू हुआ जो अभी तक निरंतर जारी है। मंडप द्वारा मंचित होने वाले नाटकों की गूंज ना केवल रीवा, मध्यप्रदेष के अन्य शहरों के साथ-साथ देष के अन्य हिस्सों में भी पहुंची है। अपने द्वारा मंचित नाटकों में हवालात, राम की शक्ति पूजा, ठाकुर रणमत सिंह, बेरगिया नाला, जांच पड़ताल, महतारी, प्रेम दीवाने की प्रस्तुतियों की है। मंडप अब तक 30 से अधिक नाटकों का मंचन और 6 नाट्य समारोह और 10 नाट्य कार्यषाला आयोजित कर चुकी है नाटकों के प्रदर्षन देष के हर कोने में हुए और सराहे गए। मंडप हर साल दो तीन नये नाटकों का मंचन करती है। इसके अलावा लोक कलाओं से संरक्षण व संवर्धन और प्रदर्षन की दिषा में कारगर काम किया है। जनहित से जुड़े सभी सरोकारों से भी इसका वास्ता रहा है। साक्षरता हो, भूकम्प, पर्यावरण या अन्य कोई मसला हमारी टीम ने अपनी भूमिका पूरी ईमानदारी से निभाई। हमारे सार्थक रंगकर्म को स्थानीय दर्षकों का भारी संबल मिला और उन्हीं के सहारे आज हम खुद को स्थापित कर पाए।

       रंगकर्म अपने आप में एक व्यापक क्षेत्र है और हर जगह हो रहा है लेकिन आदान-प्रदान की प्रक्रिया के लिए रंगकर्म के क्षेत्र में कार्य करने वाले लोगों को एक शहर से दूसरे शहर में अपने-अपने नाटकों का मंचन किए जाने हेतु जाना चाहिये जिससे एक ही शहर में रहने वाले नागरिक दूसरे शहर के रहने वाले नागरिकों के परिवेष तथा रंगमंच में दूसरे शहरों में क्या हो रहा है उसकी भी जानकारी मिलती रहे। हमारी संस्था मंडप सांस्कृतिक कला केन्द्र, रीवा वर्ष 2004 से रंगकर्म की दिषा में सक्रिय भूमिका निभा रही है जिसके दौरान कार्यषालाओं का आयोजन, बाल कार्यषालाओं का आयोजन तथा तकनीकी कार्यषाला कर नाटक तैयार कर उनके साथ खेलते-खेलते उनका मनोरंजन करते हुये नाटक तैयार करवाते रहते हैं। रंगकर्म के माध्यम से समाज तक हमारी साहित्यिक तथा सामाजिक एवं समस्याओं का सीधे दर्षकों पर असर पड़ता है।

मंडप सांस्कृतिक षिक्षा कला केन्द्र विगत् 10 वर्षों से रंगकर्म के क्षेत्र में रीवा में सक्रिय भूमिका निभा रही है। उसने अपनी कई प्रस्तुतियों एवं कृतियों की उत्कृष्ट कलात्मकता एवं नवोन्मेष कार्य होने के कारण दिनों दिन लोकप्रियता प्राप्त कर रही है।