सदस्य वार्ता:Devendra Singh Bamal

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-- नया सदस्य सन्देश (वार्ता) 11:02, 27 सितंबर 2016 (UTC)[उत्तर दें]

जिस दिन तुम्हारा सबसे क़रीबी साथी तुम पर गुस्सा करना छोड़ दे😐.. तब समझ़ लेना चाहिए कि तुम उस इंन्सान को खो चुके हो😒Devendra Singh Bamal (वार्ता) 11:37, 27 सितंबर 2016 (UTC)[उत्तर दें]

सुने हैं की अपने राहुल गाधी को किसी ने जूता पेल डाला, *****************************अबे क्यों जूते की इज्जत को उछाल रहे हो बे कुछ तो कद्र करो, बेचारा सुबह से शाम तक तुम्हारे पैर में पड़ा रहता है और उसको तुमने उस इन्सान को दे मारा जो 2 घंटे भी अपने पैरो पर खड़ा नही रह सकता ।। बहुत नाइंसाफी है ।।

  1. राहुलसोनियागुलाम ओDevendra Singh Bamal (वार्ता) 11:41, 27 सितंबर 2016 (UTC)[उत्तर दें]

== ==राहुल गाधी

सुने हैं की अपने राहुल गाधी को किसी ने जूता पेल डाला, *****************************अबे क्यों जूते की इज्जत को उछाल रहे हो बे कुछ तो कद्र करो, बेचारा सुबह से शाम तक तुम्हारे पैर में पड़ा रहता है और उसको तुमने उस इन्सान को दे मारा जो 2 घंटे भी अपने पैरो पर खड़ा नही रह सकता ।। बहुत नाइंसाफी है ।।

  1. राहुलसोनियागुलाम ओ

#राहुलसोनियागुलाम[संपादित करें]

पिछले कई दिनों में फ़ेसबुक से जो दिव्य ज्ञान की प्राप्ति हुई है उसने मोदी के बारे में मेरी तो आँखे खोल दीं। लगता है वाकई गलत प्रधानमन्त्री चुन लिया हमने। कायर निकला ये तो। अगर आज देश का प्रधानमंत्री राहुल बाबा जैसा जोशीला नौजवान होता तो अब तक तो सफेद घोड़े पर सवार होकर दांतो से लगाम दबाये हुए दोनों हाथों से AK 47 से गोलियाँ दनदनाता हुआ अपने कांग्रेसी सिपहसालारों अभिसेक्स मनु सिंघवी, ज्योतिरादित्य, सुरजेवाला, सन्दीप दीक्षित, चाचा तहमद पटेल, चाचा दिग्विजय वगैरा के संग सेना की टैंक रेजिमेंट का नेतृत्व करते हुए इस्लामाबाद की दिग्विजय पर निकल गया होता। और वहाँ पहुंचकर नवाज शरीफ से जब सामना होता तो AK 47 फेंककर उसे अपने घूंसों और किकों से ऐसे धोता जैसे "छोटा भीम", "किरमाडा" के किले में पहुंच कर उसे धोता है। उधर उसके साथी कांग्रेसी भी राहेल शरीफ, हाफिज सईद, सलाउद्दीन, मसूद अजहर और ISI चीफ रिजवान अख्तर के ऊपर ढोलकपुर के राजू, जग्गू, छुटकी, कालिया और ढोलू भोलू की तरह कहर बरपा रहे होते। बेचारे पाकिस्तानियों को परमाणु बम का बटन भी दबाने का मौका नहीं मिल पाता। और इस्लामाबाद पर तिरंगा फहराकर उनके कटे सिरों से फुटबॉल खेलते हुए वापस आते। खैर....2014 में तो गलती कर चुके पर अब 2019 में भूलकर भी मोदी जैसे आलसी, कायर और फेंकू को PM मत बना देना। PM तो राहुल बाबा जैसा योग्य, विद्वान, मेहनती, कर्मठ और दूरदर्शी नौजवान ही बनना चाहिए। या फिर ईमानदारी और जुबान के पक्के केजरीवाल को मौका मिलना चाहिए। देखा नहीं दिल्ली में कैसा रामराज्य स्थापित कर दिया थोड़े से दिनों में ही बन्दे ने।

सत्य आज सत्य साबित हो रहा है। कोग्रस के कुकर्म जनता के सामने आ रहे हैं। Devendra Singh Bamal (वार्ता) 05:07, 3 जुलाई 2021 (UTC)[उत्तर दें]

उत्तराखण्ड राज्य[संपादित करें]

क्या उत्तराखण्ड राज्य बनाने से कोई फायदा हुआ ? में कहता हूँ नहीं क्योंकि राज्य आगे न जाकर पीछे जा रहा है। नेता गिरी बढ़ती जा रही है। विकास कम होता जा रहा है। उत्तर प्रदेश जैसे राज्य को सबसे ज्यादा मुख्यमंत्री देने वाला राज्य आज खुद एक मुख्यमंत्री के लिये तरस रहा है। केन्द्र ओर राज्य में एक ही पार्टी की सरकार होने के बावजूद हम अनेकों समस्या से जूझ रहे हैं। पहाड़ियों से पलायन हो रहा है। अलग राज्य होने की वजह से भारत की सबसे महत्वपूर्ण कृषि लेन्ड बर्बाद हो रही है। उपजाऊ तराई की ज़मीन आज घनी आबादी की वजह से बंजर हो रही है। जल स्रोत खत्म हो गये जंगल नाम के रहा गये हैं। प्लान टेंशन बन गये हैं। Devendra Singh Bamal (वार्ता) 04:53, 3 जुलाई 2021 (UTC)[उत्तर दें]

जनरल सगत सिंह राठौर[संपादित करें]

गुस्सा काबू में रखना मित्रों!!! क्योंकि पढ़ने के बाद जबरदस्त आने वाला है!! क्या आपको पता है, 1967 में भारत ने चीन के 300 सैनिक मार दिए थे? और मक्कार कांग्रेसी इस सफलता का श्रेय क्यों नहीं लेते?? तो सुनिए हुआ क्या था. वास्तव में 1967 में हमारे जांबाज सैनिकों ने चीनियों के दांत खट्टे कर दिए थे पर इसमें कांग्रेस सरकार का कोई रोल नहीं था। हुआ ये था कि 1965 की लड़ाई में #पाकिस्तान पस्त हो रहा था..... अयूब खान भागा-भागा चीन गया........... चीन से आग्रह किया कि वह भी एक मोर्चा खोल दे, ताकि भारत परास्त हो जाय।

  1. चीन ने पाकिस्तान की मदद करने के लिए भारत को साफ़ तौर पर चेतावनी दी कि...भारतीय सेना अपनी दो पोस्ट खाली कर दे. एक चौकी था #जेलेप और दूसरा था प्रसिद्ध #नाथूला.

भीगी बिल्ली कांग्रेस ने सीधे तौर पर इस आदेश को मानना स्वीकार किया... और सेना को आदेश दिया कि भारत दोनों चौकी खाली कर दे. यह वह समय था जब धरती के लाल #लाल_बहादुर_शास्त्री का रहस्यमय निधन #ताशकंद में हो गया था और #इंदिरा_गांधी भारत की प्रधानमंत्री बन चुकी थी. तो एक चौकी को आदेशानुसार खाली कर दिया गया और उस पर बाकायदा चीनियों ने कब्ज़ा भी कर लिया बिना एक बूँद रक्त बहाए. दुसरे नाथुला पर तैनात थे #जनरल_सगत_सिंह. उन्हें कोर मुख्यालय प्रमुख जनरल बेवूर ने आदेश दिया नाथू ला खाली करने का. पर जनरल सगत सिंह ने उस #आदेश को मानने से साफ़ तौर पर इनकार कर दिया. आगे की कहानी आपको अत्यंत दुखदायी है खून के आसूं रुला देगी. जनरल सगत सिंह अपनी टुकड़ी के साथ आदेश न होने के बावजूद डटे रहे.भयंकर झड़प हुई. भारत के करीब 65 सैनिक शहीद हो गए. हमारे जवान अपने हौसलों के साथ खुले में खड़े थे जबकि चीन अपेक्षाकृत बेहतर हालात में हमारे जवानों को मार रहे थे. जानते हैं, ऐसा क्यों था? यह इसलिए था क्योंकि भारतीय सेना के पास वहां #तोप थी लेकिन उसे चलाने का आदेश देने का हक़ भारतीय सेनाध्यक्ष को भी नहीं था. फिर पढ़ लीजिये. तोप चलाने का आदेश #सेनाध्यक्ष भी नहीं दे सकते थे चाहे आपके कितने भी जवान मारे जाएं. यह अधिकार सीधे प्रधानमंत्री के पास था. उनके आदेश से ही तोप चलाया जा सकता था. यहां सैनिक #वीरगति को प्राप्त हो रहे थे और #पीएम_मैडम किसी भी तरह इसे इस्तेमाल करने के मूड में नहीं थी. फिर.... किसी भी बात की परवाह किये बिना जनरल सगत सिंह ने सीधे अपने सैनिकों को तोप इस्तेमाल करने को कहा. उसके बाद तो भारतीय सेना ने चीनियों पर ऐसा #कहर बरपायया कि देखते ही देखते चीन के 300 चीनी जवान वहां इकतरफा ख़त्म कर दिए गए थे. मामला ख़त्म होते ही जनरल सगत को सज़ा मिलनी ही थी. उन्हें वहां से तबादला कर कहीं और भेज दिया गया लेकिन नाथु ला दर्रा उसी #महापुरुष के कारण सुरक्षित रहा. कल्पना कीजिये. भारत की यह शौर्य गाथा जिसे पाठ्यक्रम का हिस्सा होना था, यह देश के नौनिहालों को बताना था.... पर नहीं बताया गया क्योंकि अगर यह बताया जाता तो भारत की यह #शौर्यगाथा कांग्रेस की शर्म गाथा बन कर सामने आती. इसलिए इतनी बड़ी जीत को देश से लगभग छिपा लिया गया. एक धमकी पर दो चौकी खाली कर देने का आदेश देने वाले, तोप चलाने की इजाज़त किसी कीमत पर भी नहीं देने वाले ये वही कांग्रेस के लोग हैं जिन्होंने बाद में सामान्य गोली चलाने तक का अधिकार भी समझौता कर भारतीय सेना से वहां छीन लिया. और उसी कांग्रेस का राजकुमार #doklam विवाद के समय tv पर प्रकट हो कर पूछता है कि जवानों को खाली हाथ क्यों भेजा??? मन करता है इतने जुते मारूं की जूता फट जाए...

साभार Devendra Singh Bamal (वार्ता) 04:57, 3 जुलाई 2021 (UTC)[उत्तर दें]

जाट कोन है। जाटो मे बामल गोत्र की उत्पत्ति कहा से हुई?[संपादित करें]

जाट जाति के बारे में अनेक प्रकार के लोगों विचार है? कोई कहता है। लव कुश के वंशज हैं। कुछ लोगों ने आजकल एक ग़लत भ्रांति फैला रखी है। कि जाट आर्य थे। जो बात गले नहीं उतरती है। क्योंकि ये सत्य है। की जाट भारत के मूल निवासी हैं। ओर आर्य कहते हैं। बाहर से आये थे। इसलिये ये तर्क गलत साबित होता है। की जाट आर्य थे। जब से कुछ लोगों ने वर्ण व्यवस्था करके लोगों में फुट डालने के उदेश्य से एक मनुस्मृति नामक बुक लिखी ओर लोगों को कर्म के आधार पर वर्णित कर दिया धीरे धीरे लोगों ने इसे एक ग्रुप में बांटकर जाति वाद का नाम दे दिया Devendra Singh Bamal (वार्ता) 05:59, 3 जुलाई 2021 (UTC)[उत्तर दें]