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-- नया सदस्य सन्देश (वार्ता) 04:55, 5 अगस्त 2020 (UTC)
रवानी राजपूत[संपादित करें]
पुरुवंशी रवानी राजपूतो का इतिहास (HISTORY OF RAWANI RAJPUT)
चंद्रवंशी (पुरुवंशी) रवानी राजवंश का इतिहास
रवानी बाबूआन (राजपूत) क्षत्रियों का इतिहास==[संपादित करें]
रवानी राजवंश मगध (बिहार) पर शासन करने वाला प्रथम एवं प्राचीनतम राजवंश है। रवानी राजवंश बृहद्रथ राजवंश का ही परिवर्तित नाम है। रवानी क्षत्रियों की उत्पत्ति चंद्रवंशी क्षत्रिय वंश से है, व इनकी वंश श्रंखला पुरुकुल की है। सबसे पहले यह कुल पुरुवंश कहलाया, फिर भरतवंश, फिर कुरुवंश, फिर बृहद्रथवंश कालांतर में इसी वंश को रवानी क्षत्रिय बोला जाता है। परंतु यह वही प्राचीन कुल पुरुकुल है, जो चंद्रवंशी राजा पूरू से चला एवं प्रथम कुल कहलाया। राजा पुरू के भाई यदु से यदुकुल चाला, जिसमें श्रीकृष्ण एवं उनके वंशज जडेजा, जादौन, भाटी, चुंडासमा राजपूत हुए। *रवानी* शब्द के बारे मे कहा जाता है कि जब शूद्र शासक धनानंद मगध के समस्त क्षत्रियों का नाश करने लगा, उसी के अत्याचारों से अलग - अलग जगहों पर चले जाने के कारण इन्होंने अपनी पहचान *"रवानी"* बताई चुकी *"रवानी कभी रुकते नहीं"* इसीलिए इन्होंने ये शब्द अपने लिए उपयुक्त समझा एवं रवानी राजपूत कहलाए।
- ===चंदेल (रवानी) की उत्पत्ति===*
नंद के अत्याचार से रवाना हुए, कुछ रवानी राजपूत बुंदेलखंड आकर बसे उनमे एक रवानी राजपूत राजा नन्नुक (चंद्रवर्मन) प्रतिहार राजाओं के शासन में सामंत थे। समय बीतने के साथ प्रतिहारो का शासन कमजोर पड़ा और नन्नुक ने अपना स्वतंत्र शासन घोषित किया। एवं 8वीं से 12वी सदी तक एक प्रबल राजवंश कहलाया। आज भी चम्बल घाटी एवं बुंदेलखंड में यह साक्ष्य मौजूद है, कि किस प्रकार रवानी राजपूत राजा नन्नुक मगध से बुंदेलखंड आए और चंदेल रवानी राजपूत नाम से शासन किया जो कालांतर में आते- आते चंदेल राजपूत ही रहा गया।
कुछ रवानी राजपूत उत्तर प्रदेश में शासन कर के कलहंस राजपूत नाम से प्रसिद्ध हुए।
यहा क्षत्रिय राजपूत विभिन्न जगहों पर अलग-अलग नामो से जाने जाते हैं। :-
- बिहार में कुरुवंशी राजपूत /रवानी या रमानी राजपूत, उप्र में ठाकुर राजपूत/कलहंस राजपूत, मप्र में चंदेल राजपूत /पुरुवंशी राजपूत, राजस्थान में रमानी राजपूत /रावत राजपूत, बंगाल में चंद्रवंशी राजपूत कहलाते हैं।*
कुछ रवानी राजपूत राजस्थान के रवणा राजपूत मे भी मिल गएे।
- =====कुल गोत्र इत्यादि=====*
*1. गोत्र - भारद्वाज, चन्द्रायण* *2. वंश - चंद्रवंश* *3. कुल - रवानी (पुरुवंशी, कुरुवंशी, वृहद्रथवंशी)* *4.कुलदेवी - जरा माता (माँ पार्वती)* *5. कुलदेवता- महादेव* *6. प्रवर - अंगीरस, वशिष्ठ, बृहस्पति* *7. शाखा - माध्यान्दनीय* *8. सूत्र - कात्यायन (गृह)* *9. शिखा - वास* *10. पाद- वाम* *11. गुरु - बृहस्पति* *12. शस्त्र - गदा, तलवार, धनुष* *13. वेद - यजुर्वेद* *14. उपवेद - धनुर्वेद*
- 15. धर्म - सनातन (हिंदू)*
*16. वर्ण - क्षत्रिय* *17. जाती - क्षत्रिय राजपूत*
*=====रवानी राजपूतों की वंशावली व संछिप्त इतिहास=====*
1. राजा चंद्र
2. बुद्ध (चंद्र के बृहस्पति कन्या तारा की कोख से जन्म लिया, *बुद्ध ने श्राध्ददेव मुनि की बेटी इला विवाह कर पुरुरवा नामक पराक्रमी पुत्र को जन्म दिया* )
3. पुरुरवा (इनकी राजधानी प्रयाग थी इनके गुणगान एक बार नारद जी ने इन्द्र सभा में कहे जिसको सुनकर *उर्वशी ने पृथ्वी पर आकर इनसे शादी की,* जिससे आयु, सत्यायु, राय, विजय, वगैरह 7 पुत्र हुए।)
4. आयु ( *वीर प्रतापी राजा*)
5. नहुष (इन्होने 100 बार अश्वमेघ यज्ञ किया था। इन्होने स्वर्ग पर विजय पाई। *इनके बारे में कहा जाता है कि इन्ही की डोली उठाने वाले सप्त ऋषियों के वंशज आज कहार कहलाते हैं।* )
6. ययाति ( *इनकी पत्नी शर्मिष्ठा से 3 पुत्र उत्पन हुए जिसमे से पुरू से आगे वंश चला* । ययाति की दूसरी पत्नी देवयानी के पुत्र यदु से वंश चला जिसमे श्रीकृष्ण हुए।)
7. पुरु (इन राजा के कुल में *जो राजा हुए वो पुरुवंशी कहलाए* ।)
8. जनमेजय 9. प्राचीन्वान 10. प्रवीर 11. मन्यु 12. अरुपद 13. सुदवत 14. बहुचाव 15. संपत्ति 16. अहोगयाति 17. रोद्रख 18. ऋतेयु 19. हन्तिनार 20. तंसु 21. भृत्य 22. सुरोध 23. दुष्यंत 24. भरत ( *इन्ही से इस देश का नाम भारत पड़ा* ।) 25. भुमन्यु 26. अभिमन्यु 27. वृहतक्षेत्र 28. सुहोत्र 29. हस्ती( *इन्होंने हस्तिनापुर की स्थापना की* ) 30. अजमीढ 31. ऋक्ष 32. संवरण 33. कुरु ( *इन्होने कुरुक्षेत्र की स्थापना की* ) 34. सुधनु 35. सुहोत्र 36. च्यवन 37. कृतक 38. उपरीचर वसु 39. बृहद्रथ
40. जरासंध (पुरुवंश के सबसे शक्तिशाली चक्रवर्ती क्षत्रिय राजपूत सम्राट जिन्होंने पातालपुरी (अमेरिका) के राजा उपाच्य को हरा कर वहाँ तक राज स्थापित किया। एवं क्षत्रिय समाज का लोहा पूरे विश्व में मनवाया। *जरासंध को वायु पुराण, हरिवंश पुराण एवं अन्य कई पुराणों में जरासंधेश्वर महाराज, आदि नमो से देवता एवं अवतारी पुरुष बताया गया है।* परंतु क्षत्रियों के इतिहास को मिटने वाले तत्वों ने इन्हें बदनाम किया। परंतु 18 पुराणों में, महाभारत, भागवत, गीता एवं किसी भी ग्रंथ में इनके बारे मे बुरा नहीं लिखा हुआ है।
41. सहदेव 42. सोमापी 43. श्रुतश्रवा 44. आयुतायु 45. निरामित्र 46. सुनेत्र 47. वृहत्कर्मा 48. सेनजीत 49. ऋतुंजय 50. विपत्र 51. मुचि सुचि 52. क्षमय 53. सुवत 54. धर्म 53. सुश्रवा 54. दृढ़सेन 55. सुमित 56. सुबल 57. सुनीत 58. सत्यजीत 60. विश्वजीत 61. रिपुंजय 62. समरंजय
इनके बाद मगध पर शासन समाप्त होता है। परंतु यह क्षत्रिय राजपूत चंदेल राजपूत के रूप में, तथा कुछ रवानी राजपूत के ही रूप में पुन: वापस आकर मगध के विभिन्न क्षेत्रों में शासन स्थापित किया। आज भी इस वंश के राजा नेपाल, बिहार, बंगाल, उत्तरप्रदेश, बुंदेलखंड आदि क्षेत्रों में निवास करते है।
रवानीयों ने चंदेल राजपूत के रूप में एक प्रबल राज स्थापित किया। एवं अन्य कई राजाओ ने उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड आदि क्षेत्रों पर शासन किया।
*गढ़वाल के शक्तिशाली 52 गढ़ो में एक रवानी राजपूतो का गढ़ रवाण गढ़ भी है।* Chandravans (वार्ता) 05:03, 5 अगस्त 2020 (UTC)
रवानी राजपूत Chandravans (वार्ता) 05:05, 5 अगस्त 2020 (UTC)
yes Chandravans (वार्ता) 05:12, 5 अगस्त 2020 (UTC)
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