सदस्य वार्ता:Chandrashekhar trishul

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-- नया सदस्य सन्देश (वार्ता) 18:14, 9 जुलाई 2021 (UTC)[उत्तर दें]

वर्तमान राजनीति में अम्ब्रेला पॉलिटिक्स[संपादित करें]

क्या "अम्ब्रेला पॉलिटिक्स" ही सबसे बड़ा डर हैं

             बीते दिनों जब प्रधानमंत्री मोदी कर्नाटक की सभा से मल्लिकार्जुन खड़गे का दुःख और असमर्थता पर वार कर रहे थे तबी किसी ने सोचा नहीं होगा की आखिर प्रधानमंत्री मोदी ने इतनी छोटी सी बात को इतना बड़ा क्यों कर दिया। दरअसल बात यहीं तक नहीं है। बात के पीछे जो बात छिपी हुई है वो दरअसल ये है की भाजपा दक्षिण में बेहद कमजोर है और जितनी भी है वो सब उन सहयोगियों के भरोसे है जो अपने प्यार के रोज़ नये किस्से लिखने लिखाने को बेताब नजर आते है। ऐसे में भाजपा को अपने सहयोगियों को ये विश्वास घरे से दिलवाना होगा की वो अर्थात भाजपा पूर्णरूपेण उनके साथ है। और आप देखेंगे की पीएम मोदी ने अपनी इस रैली में कहा, "मैं आपको याद दिलाना चाहता हूं कि कांग्रेस कर्नाटक से कैसे नफरत करती है. कर्नाटक के नेताओं का अपमान करना कांग्रेस की पुरानी संस्कृति का हिस्सा है. कांग्रेस का 'परिवार' पार्टी में जिस किसी से परेशानी महसूस करता है, उसका अपमान शुरू हो जाता है. इतिहास गवाह है कि परिवार के सामने एस निजलिंगप्पा और वीरेंद्र पाटिल जैसे नेताओं को कितना अपमानित किया गया. कर्नाटक में हर कोई यह जानता है।

                पीएम मोदी खरगे के दुःख को व्यक्त करते हुए यहीं नहीं रुके बल्कि इससे आगे बढ़कर उन्होंने कांग्रेस की वरिष्ठ नेता सोनिया गांधी की तरफ इशारा करते हुए कहा, "परिवार के वफादारों ने अब एक बार फिर कर्नाटक के एक और नेता का अपमान किया है. मैं मल्लिकार्जुन खरगे जी का बहुत सम्मान करता हूं. वे इस भूमि के पुत्र हैं, जिनके पास लगभग 50 वर्षों का संसदीय और विधायी अनुभव है. लोगों की सेवा में वह जो कुछ भी कर सकते थे, उन्होंने करने की कोशिश की है. लेकिन मैं यह देखकर दुखी था कि खरगे, जो पार्टी के अध्यक्ष हैं और उम्र में वरिष्ठ हैं, उनके साथ छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के सत्र के दौरान कैसा व्यवहार किया गया।  पीएम मोदी ने खरगे के प्रति दुःख की सवेंदना में ये भी कहा की  "मौसम गर्म था और वहां खड़े सभी लोगों को लग रहा था कि गर्मी स्वाभाविक है. लेकिन उस गर्मी में कांग्रेस प्रमुख और उम्र में वरिष्ठ खरगे के लिए छाते की छाया का सौभाग्य नहीं था. छाते की छाया उनके बगल में खड़े किसी व्यक्ति के लिए थी. यह दिखाता है कि खरगे सिर्फ नाम के लिए कांग्रेस अध्यक्ष हैं और जिस तरह से उनके साथ व्यवहार किया गया है, उसे देखकर हर कोई देख और समझ सकता है कि रिमोट कंट्रोल किसके हाथों में है.

            इधर आपको ये भी बता दें की गुजरात चुनाव के दौरान कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर बड़ा हमला बोला था।खड़गे ने गुजरात में चुनाव प्रचार के दौरानसूरत की एक रैली में खुद को अछूत और प्रधानमंत्री को झूठों का सरदार बताया था ।  खड़गे ने ये भी कहा था कि प्रधानमंत्री खुद को गरीब कहते हैं, लेकिन मुझसे बड़ा गरीब कौन होगा, मैं तो अछूत हूँ। खड़गे कहते हुए आगे बढ़े तो ये भी कह गये कि...आपके जैसा आदमी, जो हमेशा क्लेम करते हैं, मैं गरीब हूं। अरे भाई, हम भी गरीब हैं। हम तो गरीब से गरीब हैं। हम तो अछूतों में आते हैं। कम से कम तुम्हारी चाय तो कोई पीता है, मेरी चाय भी नहीं पीता कोई। और फिर आप बोलते हैं- मैं गरीब हूं। मेरे को किसी ने गालियां दीं, मेरी तो हैसियत क्या है।

खड़गे लगातार पीएम मोदी पर वार करते हुए ये कह गये कि "मोदी और शाह पूछते हैं कि कांग्रेस ने पिछले 70 सालों में क्या किया? अगर 70 साल में काम नहीं करते, तो हम आज लोकतंत्र नहीं पाते। ऐसी बात कह-कहकर अगर आप सहानुभूति पाने की कोशिश करें तो लोग अब होशियार हो गए हैं, उतने बेवकूफ नहीं हैं। एक बार चलता है, एक बार अगर झूठ बोलेंगे तो सुन लेंगे। दो बार भी बोलेंगे तो भी सुन लेंगे। कितने बार बोलेंगे, झूठ पर झूठ। ये झूठों के सरदार हैं। और उस पर कहते हैं ये देश को लूट रहे कांग्रेस वाले। खड़गे यहीं नहीं रुके, उन्होंने गुजरात की भाजपा सरकार पर निशाना साधते हुए कहा..आप गरीबों की जमीन लूट रहे हैं और आदिवासियों को जमीन नहीं दे रहे हैं। जमीन, पानी और जंगल कौन खत्म कर रहा है? आप अमीर लोगों के साथ मिलकर हमें लूट रहे हैं।

                     अब ऐसे में आपको क्या लगता है की ये लड़ाई महज एक दूसरे के ख़िलाफ़ छोटे मोटे बयानों भर की है तो बिलकुल नहीं दरअसल ये लड़ाई दलित वोट बैंक से लेकर दक्षिण में भाजपा के सेंध लगाने वाले प्रयासों के इतर विपक्ष में बैठे सभी विपक्षी दलों को एक दूसरे के ख़िलाफ़ लडवाने की भी है दक्षिण में कमजोर भाजपा कतई नहीं चाहती की वहां कांग्रेस आगामी आम चुनावों में कोई फायदा अर्जित कर पाए इसके अलावा एक बात सबसे महत्वपूर्ण है वो ये की भाजपा दक्षिण में ये भी नहीं चाहती की कोई अन्य दल किसी यदा कदा येन केन प्रकारेण भी कांग्रेस के साथ जुड़े।  ऐसे में जो अधिवेशन की छाता भूल है उसका ज़िक्र दक्षिण में जाकर किया गया।  वो इसलिए की वहां पर कांग्रेस की उम्मीद खरगे का वर्चस्व और सबसे ज्यादा आवश्यक दूसरे दलों को भी ये महसूस करवाना की कांग्रेस की छतरी के नीचे कोई नहीं खड़ा हो सकता।  अब ऐसे में इसे आप चौतरफ़ा प्रहार ऐसे भी मान लीजिये की इस बहाने कहीं ना कहीं दलित वोट बैंक में भी सेंध लगाने का मकसद कामयाब कर लेना।  हालांकि भाजपा के लिए सबसे बड़ा फायदा भी अभी यही है की विपक्ष को एकीकृत नहीं होने देना और वहीँ नीतीश हो या पंवार सबकी बात की काट की कांग्रेस की छतरी के नीचे तो खुद कांग्रेस का अध्यक्ष नहीं खड़ा हो पा रहा है तो आप क्या हो पाओगे। अब जिम्मेदारी विपक्ष की है की वो कैसी एक होता है क्योंकि चौबीस में भाजपा की राहें फिर से आसान हैं और उसकी वजह सफल सरकार नहीं बल्कि टुकड़े टुकड़े विपक्ष है । Chandrashekhar trishul (वार्ता) 13:26, 20 मार्च 2023 (UTC)[उत्तर दें]