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-- नया सदस्य सन्देश (वार्ता) 10:59, 24 जनवरी 2018 (UTC) हमारा देश प्राचीन काल से ही ऋषियों, मुनियों और साधु-सन्तु का देश रहा हैं.| आज ये कुप्रथाएं देश के उन्नति के मार्ग पर एक रोड़ा हैं. देश – विदेश में प्राचीन काल से ही लड़की को विवाह में गिप्ट, उपहार आदि दिया जाता था. ऐसा नहीं की वर पक्ष लड़की के माँ – बाप पर कोई दहेज की डिमांड रख दे, प्राचीन काल में विवाह में लड़की का पिता दुल्हे को आभूषण कोई उपहार आदि चीजों के साथ अपनी कन्या भी वर पक्ष को प्रदान करता था.[उत्तर दें]

परन्तु आजकल समाज में इसका उल्टा मतलब हो गया हैं. आजकल शादी से पहले सगाई में दुल्हे के पक्ष से शर्त रख दी जाती हैं की दुल्हे को विवाह में क्या-क्या चीजे चाहिए. दहेज़ माँगने के पीछे और भी कारण है जैसे – अगर कोई लड़की दिखने में ठीक ना हो, विकलांग हो, कद छोटा हो, पढ़ी-लिखी नहीं हो तथा और भी कोई कमी जिसमे लड़की के माता-पिता को लड़की की शादी कराने में कोई दिक्कत आती हैं तो वही इसी मौके का फायदा लड़के वाले उठाते हैं और मोटी रकम की डिमांड लड़की वालो के पास रख देते हैं.

जिससे लड़की के माँ-बाप को हताश होकर ज्यादा दहेज देना पडता हैं. आजकल यह भी देखा गया हैं कि लड़की अगर मायके (माँ के घर) से दहेज़ नहीं लाती हैं तो उसे ससुराल में उसका जीना हराम हो जाता हैं. ससुराल में सास, ससुर, नन्द और दुल्हन के पति को भी देखा गया हैं ये सब लोग दुल्हन के ऊपर ताने मारते हैं और उसका ससुराल में रहना मुश्किल कर देते हैं.

आजकल हमने समाज में देखा हैं कि कई जगह तो लड़का खुद लड़की को दहेज ना लाने पर तलाक तक दे देता हैं जिससे लड़की की जिंदगी खराब हो जाती हैं. आज भी भारतीय समाज में सास-बहु का झगड़ा होना आम बात हैं. झगड़े का भी यही माजरा हैं की सास अपनी बहु को बार – बार ताने मारती हैं कि तेरे बाप ने तेरे को क्या दिया. ये लोग समाज में दहेज के लोभी होते हैं. दहेज़ के कारण आज समाज में हत्याकांड हो रहे रहे हैं.

दहेज़ के लोभी यह नहीं मानते की एक तो लड़की के पिता ने अपनी जान से प्यारी लड़की को हमें दिया और ऊपर से उन पर कोई प्रेसर क्यों डाले. इनके लिये लड़की ही दहेज होना चाहिए था लेकिन ये दहेज़ को एक व्यापार और एक सौदा मान बैठे हैं. ये दहेज़ के दानवों को लड़की के साथ – साथ अच्छी संपति चाहिए.

आज समाज में दहेज एक विनाशकारी समस्या बन गई हैं. इसी दहेज के कारण एक – दुसरे के रिश्ते टूट रहे, मार – पिट तथा आत्महत्या हो रहे हैं. जिसका मुख्य कारण विवाह में दी जाने वाली दहेज (संपति) जिम्मेदार हैं. अगर इसी तरह चलता रहा तो समाज का वातावरण के साथ – साथ आने वाले समय में देश को सामाजिक कुरातियों से भी लड़ना पड़ेगा.

हम सभी लोगो को मिलकर समाज की इस बुरी कुरीति से लड़ना चाहिए और ” न दहेज़ देंगे और न दहेज़ लेंगे “ इस विचार को आत्मसात करना चाहिए. जब हम शुरुआत करेंगे तभी परिवर्तन आएगा. यह एक दिन में ठीक नहीं होने वाला. परिवर्तन तभी होगा जब हम सब लोग इसका मिलकर सामना करे और दहेज़ के खिलाफ मिलकर लड़ें. आगे इस लेख को पढ़कर आपके विचारो में कुछ परिवर्तन आया हो तो इस आर्टिकल को दुसरे लोगो के साथ फेसबुक पर जरुर शेयर करे




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दहेज प्रथा एक गंभीर समस्या : DOWRY SYSTEM- A SERIOUS CONCERN: दहेज प्रथा सदियों से चलती आई एक विधि है जो की बदलते वक़्त के साथ और भी गहरा होने लगा है| ये प्रथा पहले के जमाने में केवल राजा महाराजाओं के वंशों तक ही सिमित था| लेकिन जैसे जैसे वक़्त गुजरता गया, इसकी जड़ें धीरे धीरे समाज के हर वर्ग में फैलने लगा| आज के दिन हमारे देश के प्रयात: परिवार में दहेज प्रथा की विधि को निभाया जाता है|

दहेज प्रथा लालच का नया उग्र-रूप है जो की एक दुल्हन की जिंदगी की वैवाहिक, सामाजिक, निजी, शारीरिक, और मानसिक क्षेत्रों पर बुरा प्रभाव डालता है, जो की कभी कभी बड़े ही भयंकर परिणाम लाता है|

दहेज प्रथा का बुरा परिणाम के बारे में सोच कर हर किसी का रूह काँपने लगता है, क्यूंकि इतिहास ने दहेज प्रथा से तड़पती दुल्हनों की एक बड़ी लिस्ट बना रखी है| ये प्रथा एक लड़की की सारी सपनो और अरमानो को चूर चूर कर देता है जो की बड़ी ही दर्दनाक परिणाम लाता है |

लगभग देश की हर कोने में ये प्रथा को आज भी बड़े ही बेजिजक निभाया जाता है|

ये प्रथा केवल अमीरों तक ही सिमित नहीं है, बल्कि ये अब मध्य बर्गियों और गरीबों का भी सरदर्द बन बैठा है|

सोचने की बात है की देश में बढती तरक्की दहेज प्रथा को निगलने में कहाँ चूक जाती है? ऊँच शिक्षा और सामाजिक कार्यकर्मों के बावजूद दहेज प्रथा अपना नंगा नाच आज भी पूरी देश में कर रही है| ये प्रथा हर भारतीयों के लिए सच में एक गंभीर चर्चा बन गयी है जो की हमारे बहु बेटियों पर एक बड़ी ही मुसीबत बन गयी है|

दहेज प्रथा के कारण: CAUSES OF DOWRY SYSTEM IN HINDI: दहेज प्रथा समाज की बीमारी है | इस बीमारी ने न जाने कितने ही परिवारों की खुशियों को मिटा दिया है| आज समाज में दहेज प्रथा पूरी तरह अपनी जगह बना चुकी है जो की एक दस्तक है आगे चलते समय के लिए|

दहेज प्रथा को बढ़ावा देने में समाज की ही अहम् भूमिका है | वह समाज ही है जो की दहेज प्रथा की जड़ को मजबूत कर रही है|

दहेज प्रथा की कई कारण हें, जैसे की–

  इ-शादी की विज्ञापन से फैलती दहेज प्रथा-

आज के इन्टरनेट युग में शादी के लिए लड़का-लड़की इन्टरनेट के माध्यम से भी खोजे जाते हें| इस प्रकार की विज्ञापनों में लड़की की परिवार वाले कई बार अच्छे लड़के की आश में अपना स्टेटस और कमाई को ज्यादा बताने की भूल कर बैठते हें, जो की लड़के वालों में कभी कभी लोभ आ जाता है| इस प्रकार की लोभ शादी के बाद मांग में बदल जाते हें, जो की धीरे धीरे दहेज प्रथा को पनपने देता हें| और दहेज की मांग होने लगती है|

2. समाज में पुरुष प्रधान की लहर से फैलती देहेज प्रथा- हमारे समाज पुरुष प्रधान है| बचपन से ही लड़कियों की मन में ये बात बिठा दिया जाता है की लडके ही घर के अन्दर और बाहर प्रधान हें, और लड़कियों को उनकी आदर और इज्ज़त करनी चाहिए| इस प्रकार की अंधविश्वास और दक्क्यानूसी सोच लड़कियों की लड़कों के अत्याचार के खिलाफ अवाज़ उठाने की साहस की गला घूंट देते हें| और इससे बढती है लड़कियों पर अत्याचार और रूप लेता है विभिन्न मांगों की, जो की दहेज प्रथा का रास्ता खोल देता है|

3. समाज में अपनी झूठी स्टेटस से फैलती दहेज प्रथा- जी हाँ, चौंकाने वाला पर सच| ऊँचे समाज में आज कल अपना सोशल स्टेटस की काफी कम्पटीशन चल रही है| बेटी की शादी में ज्यादा से ज्यादा खर्च करना, महँगी तोहफे देना, लड़के वालों को मांग से ज्यादा तोहफे देना, आदि लड़के वालों के मन को कई बार छू जाता है| ये आदतें धीरे धीरे लड़की पर दबाव बना देती है| शादी के बाद भी लड़के वालों की इस तरह के तोहफों की लत लग जाती है, जो की धीरे धीरे मांग की रफ़्तार को और आगे ले जाती है| और इसी झूठी शान के चलते हम जाने अनजाने में दहेज प्रथा को पनपने देते हैं|

यह भी पढ़ें ›› बेटी बचाओ बेटी पढाओ पर निबन्ध (नारे स्लोगन भाषण) in Hindi pdf 4 . लड़की की सुन्दरता या कोई कमी कई बार दहेज की रस्म को निभा जाती है- कई बार दहेज प्रथा खुद लड़की की माँ बाप की गलती से भी पनपता है| अगर लड़की की सुन्दरता में कोई कमी है या फिर लड़की की किसी भी कमी के कारण शादी में दिक्कत आती है, तो माँ- बाप लड़की की शादी को तुरंत करवाने की आड़ में दहेज देना आरम्भ कर देते हें| और ये बात दहेज प्रथा को हवा देती है|

दहेज प्रथा के कारण तो अनगिनत हैं, लेकिन अब वक़्त आ गया है की हमे कारणों की नहीं, दहेज प्रथा के समाधान के बारे में सोचें|

दहेज प्रथा के दुष्परिणाम IN HINDI: EFFECTS OF DOWRY SYSTEM IN HINDI दहेज प्रथा के परिणाम बहोत ही भयंकर हैं| दहेज प्रथा के कारण गरीब माँ बाप अपनी बेटी की भविष्य को अनसुलझा ही पाते हें|

लड़कियों की शादी के वक़्त दहेज प्रथा अपने सबसे खतरनाक रूप लेती है| शादी या उसके बाद भी जिस घर में दहेज की बू आई, उस घर में दहेज प्रथा के दुष्परिणाम दिखाई देती है| दहेज प्रथा के दुष्परिणाम से हम सब वाकिफ हैं, लेकिन इस कलंक को हम ही बढ़ावा देते हैं|

दहेज प्रथा के बुरे असर हें

दहेज प्रथा के कारण होती लड़कियों के साथ अन्याय: कई बार दहेज दुल्हन के परिवार पर बहोत ही बुरा प्रभाव डालती है | दहेज के खर्चे पूरा सन्न कर जाति है| लड़की के शादी का माहोल खुशियों भरा नहीं रहता, अपमान और शर्मसार का माहोल बन के रह जाती है| इसी कारण हमारे समाज में लडकीयों को कई बार एक बोझ माना जाता है |

     2. दहेज प्रथा के कारण लड़कियों पर अत्याचार :

शादी के बाद जैसे ही दिन गुजरने लगते हें, वैसे ही दहेज की मांगे बढ़ने लग जाती है| अगर लड़की दहेज लाने के खिलाफ बोलती है तो उस पर शारीरिक, मानसिक अत्याचार किया जाता है | घरोई हिंसा को हवा दिया जाता है | लडकी पर कई तरह के जुर्म किया जाता है ताकि वह अपने माईके से दहेज की बात कर सके|

     3. देहेज प्रथा से बढती लड़का लड़की में अंतर:

दहेज प्रथा के कारण कई घरों मे लड़कियों को उतना मोह और प्यार नहीं मिलता जितना की घर के लड़कों को दिया जाता है| माँ बाप को लड़कियों को आने वाली वक़्त में खर्चा का साधन लगता है, और इसी कारण वह कन्या संतान को कई बार अपने हाल में छोड़ते हें| इसी तरह लड़का और लड़की में अंतर बनता है | लड़का और लड़की एक समान पर निबंध पढ़ें|

दहेज़ प्रथा रोकने के उपाय IN HINDI:HOW TO STOP DOWRY PRACTICE: दहेज प्रथा हमारे समाज को खोंखला और बेमतलब बना रही है| ये प्रथा हमारे ही जिंदगी को तबाह कर रही है| लेकिन अब वक़्त आ गया है की हमे दहेज प्रथा के खिलाफ एक जूट हो कर अपना आवाज़ बुलंद करना है|

हर समस्या का समाधान उसके अन्दर ही है| इस तरह से दहेज प्रथा का समाधान भी इसी प्रथा में ही है, बस दहेज लेने और देने की आदत को “हाँ” से “ना” में बदलना है|

आइए जानते हें की दहेज प्रथा को कैसे रोकें– दहेज प्रथा को रोकने के लिए हम ही सबसे बड़ा और कामयाब कदम उठा सकते हें |

दहेज प्रथा को पूरी तरह मिटाने के लिए हमे बस दो ही बातों को अपनाना है-

अगर आप एक लड़की हें- तो आप कभी भी ऐसी घर में शादी करने के लिए अपना स्वीकृति न दें जो दहेज की मांग कर रही हें|

अगर आप एक लड़का हें- तो आप दहेज को अपने शादी या वैवाहिक जिंदगी का हिस्सा न बनने दें| बस हममे ही है समस्या|

हम दहेज प्रथा को पूरी तरह नाकामयाब बना सकते हें अगर हम अपने आप को पूरी तरह इसके लिए जिम्मेदार मानें |

दहेज प्रथा हमारे समाज का एक पुराने जमाने की हिस्सा है| हम ऐसे ही इस प्रथा को झट से बंद नहीं कर सकते| इसके लिए हमे कदम कदम कर के चलना होगा| हमे अपने समाज और देश में कई प्रकार के बदलाव लाना होगा, जैसे की-

दहेज प्रथा को रोकने के लिए क़ानून व्यवस्था में बदलाव लाना होगा- आज कल हमारे समाज में दहेज प्रथा खुली तरह से निभाया जाता है जब कि ये कानूनन जुर्म है| दहेज की व्यापार को बिना किसी दर से किया जाता है| ये ऐसा है क्यूंकि हमारे देश की कानूनी व्यवस्था जरुरत के मुताबिक़ मजबूत नहीं है| जरुरत है दहेज के खिलाफ क़ानून में बदलाव लाना|

लड़का-लड़की एक सामान के बारे में लोगों को अवगत करना होगा – सबसे पहले हमे अपने सोच में बदलाव की जरुरत है| हमे लड़कियों को लड़कों के बराबर समझना है| लड़कियों को लड़कों से किसी भी तरह छोटा महसूस नहीं होने देना है| अगर ऐसा हुआ तो लड़कियों को ससुराल जाने के लिए दहेज का साथ की जरुरत नहीं होगी| कहते हैं की कोई भी कार्य की शुरुवात पहले अपने आस पास की माहोल से करनी चाहिए| घर में अपने बच्चो को लडकियों को सम्मान और आदर करने के बारे में बताना होगा| हमे लड़का लड़की एक समान (पढ़िए लड़का लड़की एक समान पर निबन्ध) को अपनाना होगा|

कन्या भ्रूण हत्या पर रोक लगाना होगा – हमे कन्या भ्रूण हत्या(पढ़िए कन्या भ्रूण हत्या पर निबंध) को पूरी तरह से बंद करने की सपथ लेना होगा| | जितनी लड़कियों की हत्या होगी, दहेज प्रथा को उतना हाथ मिलेगा| दहेज प्रथा लड़कियों की कमी के कारण भी हमारे समाज में पनपती है | ज्यादा से ज्यादा कन्या भ्रूण हत्या के खिलाफ जागृति बना के हम दहेज प्रथा पर रोक लगा सकते हें|

दहेज प्रथा को रोकने के लिए महिला सशक्तिकरण पर जोर देना होगा – इसकी चाबी है एजुकेशन | हमे लड़कियों को ज्यादा से ज्यादा पढ़ाना होगा| उन्हें आजादी देनी होगी, आजादी अपने आप को एक मजबूत नारी बनाने की | हमे लड़कियों के पढाई पे ज्यादा से ज्यादा ध्यान और महत्व देना होगा | लड़कियों को पढ़ा लिखा के अपने पैरों पे खड़े होने के काबिल बनाना होगा, जो की वक़्त आने पर दहेज के खिलाफ खुद लढ सकती हें |

देहेज्प्रथा के खिलाफ सामाजिक जागरूकता फैलाना होगा – हमे दहेज के खिलाफ समाज में जागरूकता पैदा करना है| गाँव और सहारों में दहेज के बुरे प्रकोप के बारे में बताना होगा जो की कई इंसानों को दहेज की पाप करने से रोकने में सहायक साबित होगी| खुद दहेज के खिलाफ सख्ती से पेश आना होगा|

हमे सही और गलत तय करना होगा – जी हाँ!

यह भी पढ़ें ›› लड़का लड़की एक समान पर निबंध (नारा+स्लोगन+एस्से) In Hindi pdf: Gender Equality Essay हमे कुछ बातें अपनी जिंदगी में तय करना होगा| तय करना होगा की हम किसी भी ऐसी शादी में न शामिल हों जहां दहेज की प्रथा को निभायी गयी है|

लड़कियों को ये तय करना होगा की उन्हें दहेज मांगे जाने वाली घरों को अलविदा कहना है, बिना इस बात कि झूठी सपने देख कर की वक़्त सब कुछ ठीक कर देगा|

दहेज प्रथा पर अन्तिम चर्चा: CONCLUSION ON DOWRY SYSTEM दहेज प्रथा हमारे समाज को हमारा नहीं छोड़ा | ये प्रथा पुरे समाज को अपने वस में कर खोखला बना चुका है | वक़्त आ गया है इसके खिलाफ आवाज़ उठाने की| वक़्त आ गया है दहेज प्रथा के क़ानून कि सख्ति से इस्तेमीलकरने की| देहेज प्रथा के कारण आज भी हमारा समाज पिछडा हुआ है| लड़का और लड़की में अंतर मानते हें|

तो चलिए एक मुहीम छेड़ें देहेज प्रथा के खिलाफ| अगर आप के मन में दहेज प्रथा के बारे में कोई जानकारी है तो प्लीज निचे हमे लिख के जरुर भेजें ताकि आप कि कही हुई शायद कोई छोटी सी बात कई जिंदगियों को तबाह होने से बचा दे| दहेज की आदत को हमे जड़ से उखाड़ फेंकना है और एक स्वच्छ भारत की गठन करना है|

हमे अपने सुझाव जरुर दें | और दहेज प्रथा को “ना” बोले|





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