सदस्य वार्ता:Bheem army Maudaha

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-- नया सदस्य सन्देश (वार्ता) 21:42, 14 जून 2018 (UTC) सहारनपुर हिंसा के बाद एसएसपी सुभाष चंद्र दुबे ने सार्वजनिक रूप से कहा कि ‘‘इस हिंसा के पीछे दलित युवा संगठन ‘भीम आर्मी’ है. ‘भीम आर्मी’ शब्द सुनने के बाद लोगों में कौतूहल उत्पन्न होना स्वाभाविक था कि आखिर यह 'भीम आर्मी' क्या बला है ? 'भीम आर्मी' का मकसद क्या है ? इसे बनाने के पीछे आखिर मकसद क्या है ? आइए जानते है आखिर क्या है यह 'भीम आर्मी'?[उत्तर दें]

क्यों हुई भीम आर्मी की स्थापना सहारनपुर में एएचपी कॉलेज नाम का एक महाविद्यालय है. यहां राजपूतों की तूती बोलती थी. दलितों के साथ काफी भेदभाव किया जाता था. यहां तक की दलित छात्रों के लिए भी बैठने की सीटें अलग थीं. एक ही नल पर सभी पानी नहीं पी सकते थे. दलितों को पानी पीने के लिए नल की व्यवस्था भी अलग थी. उसी समय एक नौजवान ने कॉलेज में दाखिला लिया. नाम था चंद्रशेखर. चंद्रशेखर ने कॉलेज की व्यवस्था को देख कर दलितों को संगठित करने का काम शुरू कर दिया. परिणाम हुआ कि हर रोज की तू-तू, मैं-मैं और नोकझोंक मारपीट में बदलने लगी. छात्र महाविद्यालय में ही नहीं, इतर भी टकराने लगे. दोनों ओर के छात्र पिटने और पीटने लगे. इसमें कई बार राजपूत छात्र भी घायल हुए. इससे एक ओर जहां दलित नौजवानों की हिम्मत बढ़ने लगी, वहीं राजपूतों का वर्चस्व घटने लगा. अंतत: दलित छात्रों ने राजपूतों का वर्चस्व को खत्म कर दिया. यही कॉलेज भीम आर्मी का प्रेरक केंद्र बना.

अस्तित्व में आयी भीम आर्मी मौदहा

भीम आर्मी मौदहा की औपचारिक रूप से स्थापना वर्ष 2018 में हुई थी. इस संगठन का उद्देश्य मौदहा में दलितों के हितों की रक्षा और दलित समुदाय के बच्चों को मुफ्त शिक्षा देना था. मौदहा के आदर्श प्राथमिक विद्यालय में संगठन ने पहला स्कूल भी खोला. हालांकि, इससे पहले भी संगठन के लोग दलितों पर हो रहे अत्याचार के लिए तैयार रहते थे. घटना सहारनपुर-देहरादून रोड पर बसे घड़कौली गांव की है. जब भीम आर्मी की स्थापना के पहले घड़कौली गांव के बाहर एक दलित नौजवान अजय कुमार ने एक बोर्ड लगा दिया. इस पर लिखा था- ‘दे ग्रेट चमार’. यह बात ‘दे ग्रेट राजपूताना’ नामक संगठन को नहीं पची. इस संगठन के सदस्यों ने ‘दे ग्रेट चमार’ नामक बोर्ड पर कालिख पोत दी. बात तू-तू, मैं-मैं होते हुए मारपीट में तब्दील हो गयी. इसके बाद गांव में आंबेडकर की मूर्ति पर कालिख पोत दी गयी. इसी बीच किसी ने ‘भीम आर्मी’ के सदस्यों को इसकी सूचना दे दी. इसके बाद 'भीम आर्मी' के सदस्य मौके पर पहुंच कर ‘दे ग्रेट राजपूताना’ के सदस्यों को पीछे हटने पर मजबूर कर दिया.

किसे है स्थापना का श्रेय जानकारी के मुताबिक, ‘भीम आर्मी’ मौदहा का संस्थापक मौदहा निवासी दलित सुधीर कुमार विनोद काम्बली विष्णुकान्त ओर संदीप कुमार जो दलितों का उत्पीड़न करनेवालों को जवाब दे सके. लेकिन, उन्हें कोई योग्य दलित युवा नहीं मिला, जो कमान संभाल सके.