सदस्य वार्ता:Acharya satish bhardwaj

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-- नया सदस्य सन्देश (वार्ता) 04:06, 26 नवम्बर 2018 (UTC)[उत्तर दें]

ज्योतिष[संपादित करें]

                   राधे राधे  ममत्रों          आज  हम बात करते है  जीवन  में ग्रहों के  प्रभाव की  ,यह  प्रभाव प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से सभी  जीवों पर देखा  जाता है  । ककन्तु हमारे  मनोभाव पर  इनका  क्या प ् रभाव पडता  है  आज  इस मवषय  पर अपने मवचार व  अनुभव रख रहा  हूं  । मनुष्य एक सामामजक प्राणी  है  और सवसे बुमिमान जीव भी  । प्रमतकदन नये कायय करने का  मवचार और  उसकी बुमि  ककसी  न ककसी कायय एवूं मवचार हेतु उसे प्रेररत करती रहती है  । महन्दूत्व पररवेश में एवूं लम्बी  साूंस्कृमतक  और आस्था की मवरासत के  कारण धमय से जुडे मनोभाव अनायास ही मनोपटल  पर आते रहते है  । कुछ मवचार वुमि ग्रहण कर लेती है  ककन्तु कुछ काल  के  गभय में समाते चले जाते है  ।  बहुत बार हमारी आस्था  से भी  बडकर  कायय हम कर  लेते है  और बहुत  बार ककसी धार्ममक कायय की  चाह  होने के  बाद भी उस कायय को  लेकर  अमधक मचन्तन  चलता रहता है  । जो  यह  मनोभाव का  पररवतयन  होता है  उसमें ग्रहों  का क्या  योगदान रहता है  यह  चचाय का प्रमुख मवषय है  ।   जब भी  आप अनायास ककसी शुभ कायय हेतु प्रवृत  हो  जायें तो  समझ लें के  आप पर शुभ  ग्रहदशा का  प्रभाव चल  रहा  है  । ककन्तु यकद प्रयास करने पर  भी आप शुभकायय को करने व  करवाने में असफल  रहते है  तो समझ लीमजये के  आप पर अशुभ ग्रहों का दशाप्रभाव चल  रहा  है  । आइये इस मवचार को  गूंभीरता  व स्पष्टता से समझते है। कोइ भी अच्छा व्यमि यही  चाहता  है  के  जहाूं वह  रहे  वहाूं का पररवेश भी  अच्छा ही हो । शुभ ग्रहों की प्रवृमत भी  शुभ  ही  होती है  इसी कारण से ये ग्रह  अपनी  दशा में व ् यमि से शुभ  कायय करवाते रहते है  ।ककन्तु इसके  मवपरीत जव अशुभ ग्रहों  की दशा चलती है  तो ककसी भी शुभ कायय में बाधा  उत्वन्न होने लगती है  ।वह  कायय मजसे हम करना तो  चाहते है  ककन्तु उस कायय को  करने की  व्यवस्था  ही  बनती मबगडती रहती है  क्योंकक अशुभ  ग्रहों  का कायय अमूंगल  को करना है  या यूूं कह  लीमजये के  एक क्रुर राजा  अपनी  प्रजा  में अपने भय के  द्वारा मनयन्त्रण रखना चाहता  है  । अशुभ ग्रहों की मनवृती हेतु जब भी ककसी पूंमडत या  ज्योमतषी द्वारा कोई भी धमय कायय मनर्ददष्ट  ककया जाता है  तो उस  कायय को  करने में कोतवाही कभी  न करें  ।   सूयय की  दशा में व्यमि दानी  ,स्नेही  ,दयालु और उदार हो  जाता है  । यकद आपके अन्दर  इस तरह  का मनोभाव उत्पन्न हो रहा  है  तो सझल लीमजये के  आप पर सूयय की महादशा  चल  रही  है  जो  की शुभ है  ककन्तु यकद इसके  मवपरीत आप अमधक क ् रोधी,क्रुर,उत्तेमजत,एवूं अमभमानी  हो  गये है  तो सूयय का  कुप्रभाव आप पर होगा । चन्र की  महादशा  में मोह,सोन्दयय  के  प्रमत आकषयण  ,ककसी मप्रय से ममलने की  चाह का प्रवल  होना  ,  मीठा अमधक खाना  ,  इत्याकद लक्षण  होते है  ककन्तु यमह  चन्र जव अशुभ ग्रहों  के  साथ हो तो नीच  कायय में प्रवृमत  ,  अमधक चूंचलता  ,उतावलापन  ,एवूं क ्लेश पैदा  करता है  ।   मूंगल  की मस्थती आपको  मनणयय लेने की शमि प्रदान करती है  ,आपके  अन्दर आत्मस्वभीमान एवूं आत्ममवश्वास में वृमि करती है  ,  कायय को मनष्ठा  से करने की प ् रवृमत का मवकार करती  है  । असहाय लोगों के  प्रमत प्रेम व सहायता का भाव पैदा करता है   ककन्तु इसकी  कुमस्थमत आपको अपनों  से मवरोध,अनायस कलह,क्रोधी ,कठोर,मनश्तेज  बना  देती है  ।   वुि ग्रह  की शुभ मस्थमत मे व्यमि सौम्यभाव रखता  है  । मातुल पक्ष से अमधक प्रेम करता है  । नवीन मवचार सदैव उसके  मानसपटल पर अूंककत  होते रहते है  । शुभ कायों में उसकी रुची  बड  जाती है  ककन्तु इसकी मवपरीत मस्थती  व्यमि को चुगलखोर,झगडालू,चटुकार,मौकापरस्त,उदमडड  व्यमित्व का बना देती है  । गुरु ग्रह  में आस्था,बडों  का सम्मान,ज्ञान में वृमि,  समता का  भाव पैदा होता  है  ककन्तु अशुभ अवस्था में दीन,लाचार,व्यसनमप्रय,वडों  का अपमान करने वाला  ,घममडड हो जाता है  । क्र की  शुभ  मस्थती व्यमि को प्रेमी,लज्जायुि,सबका  मप्रय,दयालु  ,छोटों  से स्नेह रखने वाला  ,मववेकी बनाती है  ककन्तु अशुभ  शुक्र मनलयज्ज,कामुक,कटु  विा  , कपटाचारी बनाती है  । शमन न्याय मप्रय  ,धार्ममक  ,  स्पष्टविा  ,  और नेतृत्व के  गुणों  का मवकास करता है ककन्तु अशुभ  शमन अधमी  ,  कुकमी  ,  व्यसनमप्रय  ,झूठ  बोलने वाला  बनाता है  । ऱाह-केतु की  शुभ  मस्थती धनवान  ,साहसी  ,अमधक बोलने वाला,  ककन्तु अशुभ मस्थती मवलासी  ,खर्मचला,चोर,कुकमी  ,डरपोक,  और परमनन्दा करने वाला  बनाती है  । अशुभ ग्रह  की दशा होने पर धमय का मवचार आने पर उसमे ककसी भी प्रकार का मवलम्ब  न करें  अन्यथा यह अमधक कुप्रभाव को उत्पन्न कर  सकता  है  । धमय से कुप्रभाव में न्यूनता की जा  सकती  है  । होनी को कमय के  द्वारा बदला  जा  सकता  है  यह प ् रमामणत है  । कुछ न  कुछ धमय करते रहें  ताकक धन  एवूं समय का  सदुपयोग हो सके  । शुभम् ।  Acharya satish bhardwaj (वार्ता) 04:11, 26 नवम्बर 2018 (UTC)[उत्तर दें]