सदस्य वार्ता:राहुल भारती रवि

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-- नया सदस्य सन्देश (वार्ता) 13:16, 22 नवम्बर 2018 (UTC)[उत्तर दें]

राजनीति[संपादित करें]

मै इन्जीनियर तो जरूर हूँ लेकिन मेरा मन कहता हैं कि मे अपना वय्वसाय करू ओर उसके साथ साथ समाज सेवा भी करू मे समाज मे परिवर्तन लाना चाहाता हू लेकिन नौकरी के कारण मे कुछ नही कर पा रहा हू ओर मे राजनीति मे भी जाना चाहता हूँ मैरा उद्देश्य पेसा कमाने का नही है मेरा उद्देश्य है भारत मे बहुत बडा परिवर्तन लाने का राहुल भारती रवि (वार्ता) 13:40, 22 नवम्बर 2018 (UTC)[उत्तर दें]

Good राहुल भारती रवि (वार्ता) 13:40, 22 नवम्बर 2018 (UTC)[उत्तर दें]

टायरों का रंग काला क्यो होता हैं[संपादित करें]

टायर बनाने के लिए उसमें काला कार्बन मिलाया जाता है जिससे रबर जल्दी नहीं घिस सके। अगर सादा रबर का टायर 10 हज़ार किलोमीटर चल सकता है तो कार्बन युक्त टायर एक लाख किलोमीटर या उससे अधिक चल सकता है। अगर टायर में साधारण रबर लगा दिया जाये तो यह जल्दी ही घिस जाएगा और ज्यादा दिन नहीं चल पाएगा इसलिए इसमें काला कार्बन और सल्फर मिलाया जाता है जिससे कि टायर काफी दिनों तक चल सके। काले कार्बन कि भी कई श्रेणियां होती हैं और रबर मुलायम होगी या सख़्त यह इसपर निर्भर करेगा कि कौन सी श्रेणी का कार्बन उसमें मिलाया गया है। मुलायम रबर के टायरों की पकड़ मज़बूत होती है लेकिन वो जल्दी घिस जाते हैं जबकि सख़्त टायर आसानी से नहीं घिसते और ज्यादा दिन तक चलते है। टायर बनाते वक्त इसमें सल्फर भी मिलाया जाता है और कार्बन काला होने के कारण यह अल्ट्रा वॉयलेट किरणों से भी बच जाता है। तो अब आप समझे की टायर का रंग हमेशा काला क्यों होता है ताकि आप का खर्चा भी कम हो और आपके टायर की लाइफ भी ज्यादा रहे। राहुल भारती रवि (वार्ता) 06:20, 27 नवम्बर 2018 (UTC)[उत्तर दें]