सदस्य वार्ता:डॉ.राधे श्याम द्विवेदी
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-- नया सदस्य सन्देश (वार्ता) 14:10, 29 जुलाई 2019 (UTC)
योगिराज देवरहा बाबा की चित्र - विचित्र गाथा डा. राधे श्याम द्विवेदी[संपादित करें]
2405:201:6019:20:A87A:F962:D2BD:2C21 (वार्ता) 14:04, 8 अप्रैल 2024 (UTC)
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B8%E0%A4%A6%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%AF_%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%A4%E0%A4%BE:%E0%A4%A1%E0%A5%89.%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%A7%E0%A5%87_%E0%A4%B6%E0%A5%8D%E0%A4%AF%E0%A4%BE%E0%A4%AE_%E0%A4%A6%E0%A5%8D%E0%A4%B5%E0%A4%BF%E0%A4%B5%E0%A5%87%E0%A4%A6%E0%A5%80#c-%E0%A4%A8%E0%A4%AF%E0%A4%BE_%E0%A4%B8%E0%A4%A6%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%AF_%E0%A4%B8%E0%A4%A8%E0%A5%8D%E0%A4%A6%E0%A5%87%E0%A4%B6-2019-07-29T14:10:00.000Z 2405:201:6019:20:A87A:F962:D2BD:2C21 (वार्ता) 14:31, 8 अप्रैल 2024 (UTC)
सूर्यवंशी राजा विजय के जीवन के कुछ पहलू[संपादित करें]
सूर्यवंशी राजा विजय के जीवन के कुछ पहलू
आचार्य डॉ राधे श्याम द्विवेदी
अयोध्या के सूर्यवंशी राजा हरिशचंद्र के पुत्र का नाम रोहित था। रोहित के पुत्र को हरित के नाम से जाना जाता था, और हरित का पुत्र चम्पा था। चम्पा का पुत्र सुदेव था। उसका पुत्र विजय था।चम्प से सुदेव और उसका पुत्र विजय हुआ। इसी राजा के कार्यकाल में आदि कवि बाल्मीकि द्वारा रामायण की रचना की गई थी। रामायण के रचनाकार प्रचेता पुत्र महर्षि वाल्मीकि को आदि कवि भी कहा जाता है। वो इस कारण कि काव्य का जैसा प्रस्फुटन रामायण में देखने को मिला, वैसा उससे पहले कभी देखने को नहीं मिला था। इसी कारण रामायण को पहला महाकाव्य कहा जाता है। इसी समय महर्षि भारद्वाज भी हुए थे। तमसा-तट पर क्रौंचवध के समय भारद्वाज महर्षि वाल्मीकि के साथ थे, वाल्मीकि रामायण के अनुसार भारद्वाज महर्षि वाल्मीकि के शिष्य थे। ऋषि भारद्वाज सर्वाधिक आयु प्राप्त करने वाले ऋषियों में से एक थे। राजा विजय एक कमजोर शासक था । इनकी सूची में नाम तो मिलता है पर ज्यादा गतिविधियां नही मिलता है।
ब्रह्माण्ड पुराण के अनुसार --
विनय और सुदेव चैम्प के दो पुत्र थे। सुदेव सभी क्षत्रियों के विजेता थे। इसलिए, उन्हें विजय के रूप में याद किया जाता है । वह कोसल का एक राजा था। ब्रह्माण्ड पुराण के अध्याय 73 में कहा गया है कि कोसल के इस राजा विजया ने परशुराम का सामना किया और पराजित हुआ था ।
एक कोई विजय राजा ने वाराणसी शहर पर शासन किया। विजय ने खांडवी शहर को नष्ट कर दिया और वहां खांडव वन उग आया। बाद में उसने जंगल इंद्र को दे दिया। इस वंश का सबसे शक्तिशाली राजा उपरीचर था (कालिका पुराण, अध्याय 92)।
विजय, धुंधु (चैम्प )के दो बेटों में से एक को संदर्भित करता है जो रोहित का पुत्र था , 10 वीं शताब्दी के सौरपुराण के वंशानुचरित खंड के अनुसार : शैव धर्म को दर्शाने वाले विभिन्न उपपुराणों में से एक रहा । तदनुसार, धुंधुमारी ( चैम्प) के तीन बेटे थे दृढ़ाश्व और अन्य। दृढ़ाश्व का पुत्र हरिश्चंद्र था और रोहित हरिश्चंद्र का पुत्र था। धुंधु रोहिताश्व का पुत्र था। धुंधु के दो बेटे थे- सुदेव और विजय थे । विजय राजा अणु राजा सौवीर के समकालीन था जिन्होंने सौवीर साम्राज्य की स्थापना किया था।
लेखक परिचय:-
(लेखक भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण, आगरा मंडल ,आगरा में सहायक पुस्तकालय एवं सूचनाधिकारी पद से सेवामुक्त हुए हैं। वर्तमान समय में उत्तर प्रदेश के बस्ती नगर में निवास करते हुए समसामयिक विषयों,साहित्य, इतिहास, पुरातत्व, संस्कृति और अध्यात्म पर अपना विचार व्यक्त करते रहते हैं।) 2409:4089:ACB1:4BDA:6153:2A32:5884:CE69 (वार्ता) 14:31, 26 मई 2024 (UTC)